वर्दी पर नशा तस्करी का दाग: इंद्रजीत पर दर्ज मामलों को खंगाल रही एसटीएफ
बरामद नशे को बिकवाने के आरोप में गिरफ्तार पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों की भी जांच की जा रही है।
जेएनएन, जालंधर। तस्करों से मिलीभगत करते हुए केसों में हेराफेरी और बरामद हुए नशे को बिकवाने के आरोप में गिरफ्तार हुए इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह के करतारपुर कनेक्शन की जांच एसटीएफ ने शुरू कर दी है। अमृतसर में उसके घर से मिली एके 47 को केस प्रॉपर्टी बताने के बाद इंदरजीत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। एसटीएफ ने अब करतारपुर में उसकी सेवा अवधि के दौरान सारे तस्करी और गैंगस्टरों के केसों की जांच शुरू की है।
इंदरजीत करतारपुर में मई 2012 से मार्च 2013 तक बतौर एसएचओ तैनात रहा था। वहीं इसके बाद विभाग ने उसे एक माह के लिए हटाया था। हालांकि इसके बाद फिर से तत्कालीन एसएसपी यूरिंदर सिंह हेयर ने 22 अप्रैल 2013 को करतारपुर का एसएचओ लगा दिया था। वहीं 14 मई 2013 को उसका फिर से ट्रांसफर सीआइए में कर दिया गया। इस एक माह की अवधि के दौरान इंस्पेक्टर इंदरजीत ने 200 करोड़ की आइस ड्रग रैकेट का पर्दाफाश करते हुए कंदोला गांव से राजा कंदोला को गिरफ्तार किया था।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इंस्पेक्टर इंदरजीत की शुरुआत से ही कार्यशैली संदिग्ध रही है। बड़ा कारण इंदरजीत के पहले तक इलाकों में कोई बड़ी रिकवरी या गैंगस्टर नहीं पकड़ा जाता लेकिन इंदरजीत के पोस्टेड होते ही बड़ी तस्करी और गैंगस्टर पकड़ लिए जाते। इन्हीं आधारों पर एसटीएफ उसके गैंगस्टरों और तस्करों से साठ गांठ के संबंधों की जांच कर रही है। अब तक की जांच में उसके बारे में टीम ने नशा तस्करों से मिलने वाली रिकवरी में हेरफेर की बात सामने आई है। बरामद हुए माल को कम दिखाकर या मिलावट कर माल अपने पास रख लेना वहीं इसके बाद तस्करों से अपना माल बिकवाना सामने आ चुका है।
बुधवार को अमृतसर स्थित उसके घर से मिली एके 47 के बाद एसटीएफ ने करतारपुर में दर्ज हुए केसों को जांच के दायरे में लिया है। सूत्रों के मुताबिक करतारपुर के केसों से कई और बड़े खेल इंदरजीत के उजागर हो सकते हैं। फिलहाल एसटीएफ गैंगस्टरों से हथियार लेकर सप्लाई के बारे में भी जांच कर रही है। मामले में जालंधर जिले का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इसका कारण यह भी है कि कुछ सीनियर अधिकारियों का नाम भी इंदरजीत सिंह से जुड़ सकता है।
एसटीएफ की जांच के दायरे का हिस्सा यह भी है कि अगर इंदरजीत सिंह इस हद तक नियमों से बाहर जाकर ड्यूटी करता रहा तो जरूर उसके सिर पर किसी सीनियर का हाथ होगा। यही कारण है कि पुलिस के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।
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