जासूस पाला ने मोबाइल कर दिया था फार्मेट, पुलिस ने डाटा रिकवरी के लिए भेजा Jalandhar News
हरपाल पाला कुछ समय के बाद अपने मोबाइल का सारा डाटा डिलीट कर उसे रीसेट कर देता है ताकि अगर पकड़ा भी जाए तो सूचनाएं भेजे जाने का पता न चल सके।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। करतारपुर के गांव भतीजा से पकड़े गए पाकिस्तानी जासूस हरपाल पाला ने कुछ दिन पहले ही अपना मोबाइल फार्मेट कर लिया था। इस वजह से उसके भीतर के फोटो और वीडियो डिलीट हो गए। इसे देखते हुए पुलिस ने उसके मोबाइल को डाटा रिकवरी के लिए फारेंसिक लैब भेज दिया है। पाला ने पाकिस्तान में बैठे आतंकी गोपाल चावला और खालिस्तानी आतंकियों परमजीत सिंह पंजवड़, रणजीत सिंह नीटा, प्रीत कमल ग्रेवाल आदि को कौन-कौन सी गोपनीय व महत्वपूर्ण जानकारियां भेजी हैं, इसका पता अब डाटा वापस मिलने के बाद ही चल सकेगा।
जांच एजेंसियों की मानें तो अक्सर जो भी जासूसी करता है, वो इसी तरह से कुछ समय के बाद अपने मोबाइल का सारा डाटा डिलीट कर उसे रीसेट कर देता है, ताकि अगर पकड़ा भी जाए तो सूचनाएं भेजे जाने का पता न चल सके। देहात पुलिस के सीआईए स्टाफ ने उसे वीरवार को अदालत में पेश कर चार दिन का और रिमांड ले लिया है।
यहां गलती कर गया पाला, सिम कार्ड से मिले पाकिस्तानी नंबर
आतंकी गोपाल चावला के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भारतीय सेना व वायु सेना की अहम सूचनाएं देने की पोल न खुले। इस वजह से जासूस पाला ने मोबाइल फार्मेट कर दिया था। मगर, यहां वो बड़ी गलती कर गया कि उसने सिम कार्ड में सेव किए नंबर डिलीट नहीं किए। जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो उसके सिम कार्ड से कई पाकिस्तानी नंबरों के साथ दूसरे देशों के भी नंबर पुलिस को मिल गए। पुलिस ने सिम कार्ड को जब्त कर लिया और वही उसके खिलाफ सबसे बड़ा सबूत बन गया। हालांकि यह नंबर किसके हैं? इसको पुलिस फारेंसिक एक्सपर्ट के जरिए पता कर रही है।
हरीन गया था पाला, वहां से हुआ संपर्क
पुलिस की अब तक की जांच में सामने आया है कि हरपाल पाला कुछ साल पहले बहरीन गया था। जहां से उसका आतंकी गोपाल चावला व दूसरे खालिस्तानी आतंकियों से संपर्क हुआ। इसके बाद उसके पास सभी आतंकियों के नंबर आ गए और वह उनसे नियमित बातचीत करने लगा। हालांकि पूछताछ में वो जासूसी की बात से इनकार कर रहा है। ट्रेनिंग का भी शक पुलिस को यह भी शक है कि पाला पूरी तरह से ट्रेंड जासूस है। क्योंकि तीन दिन के रिमांड के बावजूद अभी तक उसने जुबान नहीं खोली है। वह बार-बार जासूसी की बात से मुकर रहा है। हालांकि उसके मोबाइल में पाकिस्तानी नंबरों के सवाल पर भी वो स्पष्ट जवाब देने के बजाय अनभिज्ञता जता रहा है।
तीन साल से कर रहा था जासूसी
शुरूआती जांच में सामने आया कि हरपाल पाला तकरीबन तीन साल से आइएसआइ के लिए काम कर रहा है। चूंकि उसके आदमपुर एयरबेस में काम करने के बारे में आतंकियों को पता चल गया था, इसलिए उन्होंने इसे अपने साथ मिला लिया। फिर इसके जरिए सेना से जुड़ी अहम गोपनीय सूचनाएं लेते रहे।
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