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खेल मंत्री के नए आश्वासन से DSO खुश, खिलाडिय़ों को नहीं भरोसा

पिछले वर्ष भी ट्रैक शुरू करवाने की आस जगी थी पर हुआ कुछ नहीं। यही नहीं जालंधर के सांसद चौधरी संतोख सिंह ने भी ट्रैक का मुआयना करने के बाद आश्वासन दिया था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 04:01 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 06:25 PM (IST)
खेल मंत्री के नए आश्वासन से DSO खुश, खिलाडिय़ों को नहीं भरोसा
खेल मंत्री के नए आश्वासन से DSO खुश, खिलाडिय़ों को नहीं भरोसा

जालंधर, जेएनएन। एनआरआइ सभा प्रधान पद के चुनाव के दौरान खेल मंत्री गुरमीत सिंह सोढी शहर में थे। खेल मंत्री ने अचानक जिला खेल अधिकारी को बुला लिया और स्पोर्ट्स कॉलेज के फटे एथलेटिक्स ट्रैक को बदलने का काम एक अप्रैल से शुरू करने का आश्वासन दे दिया। मंत्री ने कहा कि बजट में राज्य के स्टेडियम के रखरखाव के लिए तीस करोड़ रखे गए हैं। बजट की कुछ राशि से एथलेटिक्स ट्रैक बदला जाएगा। मंत्री जी के इस आश्वासन से डीएसओ खुश हैं तो दूसरी तरफ खिलाडिय़ों को मंत्री जी के वादे पर जरा भी विश्वास नहीं है। पिछले वर्ष भी ट्रैक शुरू करवाने की आस जगी थी पर हुआ कुछ नहीं। यही नहीं जालंधर के सांसद चौधरी संतोख सिंह ने भी ट्रैक का मुआयना करने के बाद आश्वासन दिया था कि वे खुद इसे बदलवाएंगे पर कुछ नहीं हुआ। इसी कारण खिलाड़ी अब किसी नेता के वादे पर विश्वास नहीं करते।

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खेल अधिकारी की लौटी खुशी

हाल ही में खेल विभाग ने डे स्कॉलर खिलाडिय़ों के ट्रायल लिए। ट्रायल से पहले डीएसओ (जिला खेल अधिकारी) तनाव में चल रहे थे। कारण था पिछले वर्ष डे स्कॉलर खिलाडिय़ों की सीटें अधिकतर खाली रह गई थीं अब दोबारा कहीं पहले जैसा हाल ना हो जाए। ट्रायल का दिन आया तो खिलाडिय़ों के आने से पहले तक डीएसओ तनाव में थे, लेकिन जैसे-जैसे खिलाड़ी आने शुरू हुए  उनका तनाव भी घटता गया। डे स्कॉलर खिलाडिय़ों की कुल सीटें 400 हैं लेकिन विभिन्न खेलों के ट्रायल देने के लिए 500 खिलाड़ी पहुंच गए। मैदान में मौजूद डीएसओ के माथे पर पड़ी चिंता की लकीरें हट गईं। डीएसओ गुरप्रीत सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष डे स्कॉलर की सीटें खाली थीं। सीटें भरने का दबाव था। इस बार खिलाडिय़ों ने मेरी लाज रख ली। अब जल्द ही लिस्ट खेल विभाग के हेड आफिस को भेजेंगे।

नया पेन नहीं, रिफिल खरीदो

खेल विभाग चंडीगढ़ ने जिला खेल विभाग के बजट में कटौती कर दी है। हेड ऑफिस से छह महीने के लिए पचास हजार रुपये खर्च के लिए भेजे जाते थे। जिसे जिला खेल अधिकारी खेल व खिलाडिय़ों पर आसानी से खर्च कर सकते थे। अब यह बजट पचास से तीस हजार रुपये कर दिया गया तो खेल अधिकारी बड़े सोच-समझ कर फंड का प्रयोग कर रहे हैं। हालात कुछ ऐसे हो गए हैं कि  दिन में तीन बार चाय की चुस्की लेने वाले अधिकारी मेहमान के आने पर भी इस बात का ध्यान रखते हैं कि कहीं ज्यादा खर्चा ना हो जाए। यहां तक कि स्याही पर भी कटौती शुरू हो गई है। डीएसओ नया पेन मंगवाने की बजाए सभी को उसका रिफिल मंगवाने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे में डीएसओ का ध्यान खेलों की तरफ लगने की बजाए दफ्तर के हिसाब-किताब में ही लगा रहता है।

टीचर्स की आस पर फिरा पानी

हर शिक्षक खेल से जुड़ा हो और फिट रहे। इसलिए बीते वर्ष फरवरी में टीचर्स की खेल प्रतियोगिताएं करवाने का शिक्षा विभाग ने मन बनाया था। आदेशों के अनुसार शिक्षकों को अपनी रुचि के खेल में भाग लेने के लिए कहा गया था। शिक्षकों में भी इसका बेहद उत्साह दिखने लगा था और वे अभ्यास में भी जुट गए थे। खुशी इस बात की थी कि जो खेल छोड़ चुके थे उसे दोबारा खेलेंगे। यह मुकाबले लुधियाना में करवाए जाने थे। इसे लेकर विभिन्न खेलों की टीमें भी तैयार हो चुकी थीं और अधिकतर ने खेल किट तक तैयार ले ली थी लेकिन अचानक ऐन वक्त पर खेलें रद कर दी गईं। सभी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। डीपीआइ एलीमेंटरी इंद्रजीत का कहना है कि परीक्षाएं और रिजल्ट शत-प्रतिशत हो, इस वजह से खेलों को स्थगित करना पड़ा था। अब नतीजे आने के बाद अध्यापकों को आस है खेलें होंगी।


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