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Sunday Market बंद करवाने गई टीम का लोगों ने किया विरोध, तीन घंटे बाद सजीं फड़ियां

भगवान वाल्मिकी चौक (ज्योति चौक) के आसपास लगने वाली संडे मार्केट को वहां से शिफ्ट करवाने के लिए रविवार को नगर निगम की टीम ने विशेष अभियान चलाया।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 02:08 PM (IST)
Sunday Market बंद करवाने गई टीम का लोगों ने किया विरोध, तीन घंटे बाद सजीं फड़ियां
Sunday Market बंद करवाने गई टीम का लोगों ने किया विरोध, तीन घंटे बाद सजीं फड़ियां

जेएनएन, जालंधर। भगवान वाल्मिकी चौक (ज्योति चौक) के आसपास लगने वाली संडे मार्केट को वहां से शिफ्ट करवाने के लिए रविवार को नगर निगम की टीम ने विशेष अभियान चलाया। तहबाजारी विभाग के सुपरिंटेंडेंट मनदीप सिंह सुबह आठ बजे पुलिस दल के साथ वहां डटे थे और लोगों को फड़ियां लगाने से रोकना शुरू कर दिया। अचानक से निगम की इस कार्रवाई होती देख वहां फड़ियां लगाने वालों ने कार्रवाई का विरोध करना शुरू कर दिया। इस दौरान लोगों की निगम टीम के साथ तीखी बहस भी हुई, लेकिन टीम के कड़े तेवर देख वहां पर फड़ियों के प्रधान और आसपास के दुकानदार और कांग्रेसी कौंसलर शेरी चड्डा भी मौके पर पहुंच गए। फड़ी मार्केट के अलग-अलग प्रधानों ने निगम सुपरिटेंडेंट को लिख कर दिया है कि वे फीस देने के लिए तैयार हैं। पार्षद परमजोत सिंह शैरी चड्डा ने भी फड़ी लगाने वालों के लिए एक सप्ताह की मोहलत मांगी। इसके बाद फैसला हुआ कि वीरवार को दुकानदारों की निगम अधिकारियों से बैठक होगी और इसका हल निकाला जाएगा। इसके बाद टीम वहां से लौट गई और करीब तीन घंटे बाद फड़ियां बाजारों में सज गईं।

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प्रशासकीय कांप्लेक्स में शिफ्ट होगी संडे मार्केट, हर हफ्ते देने होंगे 1500 रुपये

बता दें कि निगम की टीम दबाव बना रही है कि संडे मार्केट को नगर निगम के प्रशासकीय कांप्लेक्स के साथ खाली पड़ी जमीन पर शिफ्ट किया जाए। यह जमीन फिश एक्वेरियम के लिए रखी गई थी लेकिन यह प्रोजेक्ट रद्द हो चुका है। यही नहीं निगम हर फड़ी वाले से हर हफ्ते 1500 रुपये फीस लेने की तैयारी भी कर चुका है। बता दें कि संडे मार्केट को नगर निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा ने निगम के प्रशासकीय कांप्लेक्स के साथ शास्त्री मार्केट के पीछे खाली पड़ी जमीन पर शिफ्ट करने का प्लान बनाया है। इस जमीन की तीन दिन पहले सफाई भी करवाई गई है। हालांकि यह जमीन इतनी नहीं है कि यहां संडे मार्केट की फड़ियां लगाई जा सकें। सडें बाजार को मौजूदा जगह से दूर ले जाना भी मुश्किल काम होगा। बाजार वहीं जा सकेगा जहां लोगों के पहुंचने में मुश्किल न हो। पार्षद शैरी चड्डा ने कहा कि फड़ियों को शिफ्ट करने का दबाव बनाया जा रहा है लेकिन यह इतनी आसानी से संभव नहीं है।

निगम को हर साल आठ करोड़ रुपये का नुकसान

बिना मंजूरी लग रही संडे मार्केट के कारण नगर निगम को हर हफ्ते करीब 15 लाख के हिसाब से सालाना करीब आठ करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। निगम को फड़ी लगाने वाले हर हफ्ते 1500 रुपए प्रति फड़ी दे सकते हैं। फिलहाल जिन दुकानों के आगे यह फड़ियां लगाई जाती हैं उन दुकानों के मालिक वसूली करते हैं। बड़ी दुकान के आगे दो से तीन फड़ियां भी लग जाती हैं।

राजनीतिक दबाव में शिफ्ट करना मुश्किल

नगर निगम संडे मार्केट को शिफ्ट करने का प्लान पहले भी बनता रहा है। पहले इसे बलर्टन पार्क में शिफ्ट करने का प्लान बनाया था लेकिन सिरे नहीं चढ़ सका। इसी बीच इन दिनों लोकसभा चुनाव के चलते भी इस बाजार को शिफ्ट करना निगम के लिए आसान नहीं है। मार्केट को शिफ्ट करने का विरोध होना तय है। कोई भी पार्टी लोगों के विरोध को देखते हुए निगम की प्लानिंग को सिरे चढ़ने देगी इसकी संभावना बेहद कम ही है। निगम अफसरों पर कांग्रेस नेताओं का दबाव भी रहेगा कि मार्केट शिफ्ट करने की योजना को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए ताकि चुनाव में विपक्ष को मौका न मिले।

हर हफ्ते कट रहीं लोगों की जेबें

संडे मार्केट जेबकतरों की कमाई का भी जरिया है। इस क्राइम में महिलाएं ज्यादा शामिल हैं। चूंकि बाजार में ज्यादा महिलाएं ही खरीददारी के लिए आती हैं। ऐसे में जेबकतरे भीड़ में घुल मिल कर महिलाओं के पर्स साफ कर देते हैं। रविवार को बाजार में होने वाले पैटी क्राइम की जानकारी थाना में कम ही पहुंचती है। थाने में हफ्ते में एक या दो शिकायतें ही आती हैं लेकिन जेब कटने का शिकार औसतन 5 से 7 लोग बनते हैं।

सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा, ट्रैफिक जाम से मुश्किल

संडे बाजार में हजारों लोग खरीददारी के लिए आते हैं। सिविल अस्पताल रोड, नकोदर रोड, पीएनबी चौक रोड की सड़कें, रैणक बाजार से शेखां बाजार में कई-कई फुट के कब्जे हो जाते हैं। सड़कों पर भीड़ के कारण जाम के हालात रहते हैं। ऐसे में सुरक्षा के प्रबंध कमजोर पड़ जाते हैं। पुलिस कई बार सुरक्षा के मद्देनजर अलर्ट जारी कर चुकी है। बाजारों में रहने वाले लोग भी संडे को घरों में कैद होकर रह जाते हैं। सिविल अस्पताल तक एंबुलैंस आना भी मुश्किल हो जाता है। ट्रैफिक पुलिस ने कई बार ओल्ड जीटी रोड पर संडे को आटोज की एंट्री भी रोकी है लेकिन इसका भी ज्यादा असर नजर नहीं आया।

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