20 साल पहले समझ आया असहाय लोगों का दर्दः दिव्यांग, विधवा व बुजुर्गों के लिए फ्री फोटोस्टेट करते हैं एसपी सिंह
एसपी सिंह हंस बताते हैं कि उनके पिता जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स में बूथ चलाते थे। 1999 में उनका निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने बूथ पर फोटोकॉपी के कामकाज की कमान संभाल ली।
जालंधर [मनीष शर्मा]। 'बीस साल पहले मां की विधवा पेंशन लगवाने के लिए पांच चक्कर काटे, हर बार फार्म व दस्तावेज फोटो कॉपी कराकर ले जाते रहे, पेंशन तो नहीं लगी, लेकिन पेंशन के इच्छुक लोगों का दर्द अच्छे से समझ आ गया।' यह कहना है चौगिट्टी के रहने वाले एसपी सिंह हंस का। एसपी सिंह को वह परेशानी इतनी चुभी कि उन्होंने ऐसे असहाय लोगों की मदद करने की ठान ली। इसके बाद 20 साल से वे विधवा, दिव्यांग व बुजुर्गों की फोटोकॉपी मुफ्त में करते हैं। जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स में बूथ नंबर 178 चलाने वाले हंस की इस निस्वार्थ सेवा के बारे में दूसरे बूथ वालों और सरकारी दफ्तर वालों को भी पता है। उनके पास कोई बुजुर्ग या दिव्यांग आता है तो वो उन्हें हंस के पास फ्री फोटोस्टेट करवाने भेज देते हैं।
एसपी सिंह हंस बताते हैं कि उनके पिता डॉ. निर्मल सिंह जिला प्रशासकीय कांप्लेक्स में बूथ चलाते थे। 1999 में उनका निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने बूथ पर फोटोकॉपी के कामकाज की कमान संभाल ली। उसी दौरान उन्होंने अपनी माता सतनाम कौर की विधवा पेंशन लगाने की सोची। इसके लिए उन्होंने सरकारी दफ्तरों के पांच चक्कर काटे, लेकिन पेंशन नहीं लगी। सरकारी दफ्तर में कभी कहते इस कागज की कॉपी लाओ तो कभी उस कागज की कॉपी लाओ। नतीजा, इसके बाद उन्होंने पेंशन के लिए आवेदन ही नहीं किया। इस सब के बीच उन्होंने विधवाओं व दिव्यांगों को सरकारी दफ्तर में खूब परेशान होते देखा। उन्होंने तय कर लिया कि वो इन लोगों से फोटोकॉपी के पैसे नहीं लेंगे। एक तो वो उम्र व शारीरिक कमजोरी से पहले ही परेशान होते हैं और फिर सरकारी दफ्तरों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं। इसी सोच ने उन्हें यह सेवा करने का रास्ता दिखाया। पहले तो वो दस्तावेज स्कैन कर प्रिंटर से प्रिंट निकालकर फ्री देते थे, डेढ़ साल पहले उन्होंने फोटो स्टेट मशीन ले ली है। मशीन लोन पर ली है, लेकिन फ्री सेवा जारी है।
हर रोज आते हैं 15-20 आवेदक
हंस फोटोस्टेट बूथ पर रोजाना 15 से 20 दिव्यांग, बुजुर्ग व विधवा महिलाएं आती हैं, जिन्हें वे फ्री में फोटोकॉपी करके देते हैं, चाहे कितने भी पेज हों। इसमें सिर्फ पेंशन के ही कागज नहीं, बल्कि दूसरी किसी भी तरह की सेवा के लिए आवेदन के कागजात शामिल हैं। हंस कहते हैं कि जीवन के इस पड़ाव में इन लोगों के लिए यह कोई बहुत बड़ी सेवा नहीं है। वाहेगुरु ने क्षमता बख्शी व मेहर की तो वो यह छोटी सी खुशी देने के काबिल बने हैं।
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