Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण का असर शुरू, दोपहर 2.02 बजे समापन तक बंद हुए मंदिरों के कपाट
21 जून को लगने जा रहे सूर्य ग्रहण को लेकर एक दिन पहले ही जिले के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं।
जालंधर, जेेएनएन। रविवार को सुबह 10.17 बजे सूर्य ग्रहण शुरू हो गया हालांकि, इसका सूतक एक दिन पहले 20 जून को रात 10.20 बजे ही लग गया था। इसके साथ ही शहर के मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इधर, जालंधर में दोपहर 12 बजे सूर्य ग्रहण का असर स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। 25 वर्ष पूर्व 24 अक्टूबर 1995 को भी इसी तरह का नजारा देखने को मिला था। 90 वर्षीय चरणजीत पुरा निवासी गोपीचंद गुलाटी का ऐसा मानना है। वह बताते हैं कि 1995 में भी सूर्यग्रहण के दौरान इसी तरह का नजारा देखने को मिला था। उस दौरान इससे भी अधिक अंधेरा हो गया था।
जालंधर में सूर्य ग्रहण शुरू हुए लगभग दो घंटे बीत चुके हैं। धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ रहा है। ग्रहण के दौरान सूरज को देखने से होने वाले संभावित नुकसान से बचने के लिए फिलहाल लोग घरों से बाहर निकल यह नजारा देखने से कतरा रहे हैं। हालांकि कुछ लोग हाथ में एक्स-रे फिल्म लेकर सुरक्षित स्थान से सूर्य ग्रहण देख रहे हैं।
जालंधरः एक्स-रे फिल्म को आंखों के लगाकर सूर्य ग्रहण देखती हुईं जालंधर कैंट की रितिका।
बता दें कि इससे पूर्व 24 अक्टूबर 1995 में लगे इस सूर्य ग्रहण को कंकणाकृती ग्रहण भी कहा जाता है। 25 वर्ष बाद इस तरह का ग्रहण लगा है। 21 जून को ही वर्ष का सबसे बड़ा दिन होने के चलते एक साथ दो खगोलीय घटनाओं को लेकर लोगों में भी जिज्ञासा है।
शाम चार बजे खोले जाएंगे मंदिरों के कपाट
दोपहर 2.02 पर सूर्य ग्रहण संपन्न होने के बाद शहर के मंदिरों में प्रतिस्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को पंचामृत स्नान के बाद शाम 4 बजे कपाट खोले जाएंगे। ज्योतिष की नजर से यह सूर्य ग्रहण राशि के हिसाब से प्रभाव डालता है। इस बारे में श्री गोपीनाथ मंदिर सर्कुलर रोड के प्रमुख पुजारी पंडित दीनदयाल शास्त्री बताते हैं कि सूर्य ग्रहण के दौरान लोगों को प्रभु का सिमरन तथा ध्यान लगाना चाहिए।
श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज बताते हैं कि शनिवार रात मंदिर के कपाट बंद करने के बाद रविवार को दिन के समय भी बंद रखे जाएंगे। ग्रहण काल समाप्त होने के बाद प्रतिमाओं को पंचामृत स्नान करवाएंगे। शाम 4.00 से रात 8.00 बजे तक मंदिर खोला जाएगा।
ग्रहण का समय
- प्रारंभ सुबह 10. 17 बजे
- समापन दोपहर 2. 02 बजे
ग्रहण के दौरान यह नहीं करें
- निंद्रा से से परहेज करें।
- गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें।
- नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण ना देखें।
- फूल नहीं तोड़ें।
- कपड़ों की सिलाई करने से परहेज करें।
ग्रहण के दौरान तथा बाद यह करें
- ग्रहण के दौरान सिमरन व ध्यान लगाएं।
- ग्रहण देखने के लिए चश्मा अवश्य पहनें।
- ग्रहण के उपरांत स्नान तथा दान अवश्य करें।
- स्नान करते समय तीर्थ स्थल का जल जरूर मिलाएं।
- मच्छरदानी के अलावा कपास, कंबल, वस्त्र का दान जरूर करें।