कॉलेज स्टूडेंट्स की प्लेसमेंट व आंकड़ों के खेल के बीच रोजगार मेले संपन्न Jalandhar News
प्रशासनिक आंकड़े देखें तो 19 से 30 सितंबर के बीच लगे छह रोजगार मेलों में 13987 बेरोजगार युवाओं ने शिरकत की। जिनमें से 10152 युवाओं को रोजगार मिला।
जालंधर, जेएनएन। बेरोजगारों की जगह ज्यादातर कॉलेज स्टूडेंट्स की प्लेसमेंट और आंकड़ों के खेल के बीच प्रशासन के छह रोजगार मेले सोमवार को संपन्न हो गए। आखिरी दिन जिला उद्योग केंद्र में रोजगार मेला लगा। अंतिम दिन छठे रोजगार मेले में कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुंचा और जिला रोजगार ब्यूरो के अधिकारियों ने ही इसका निपटारा किया। प्रशासनिक आंकड़े देखें तो 19 से 30 सितंबर के बीच लगे छह रोजगार मेलों में 13,987 बेरोजगार युवाओं ने शिरकत की। जिनमें से 10,152 युवाओं को रोजगार मिला। वहीं, 395 युवाओं को नौकरी के लिए शॉर्ट लिस्ट भी किया गया। हालांकि इस सबके बावजूद प्रशासन सरकार के दिए 12 हजार रोजगार के टारगेट को पूरा नहीं कर सका। हालांकि कोई भी अधिकारी इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
बेरोजगार नहीं स्टूडेंट्स प्लेसमेंट!
असल में जमीनी हकीकत से अच्छी तरह रूबरू होने के बावजूद चंडीगढ़ कुर्सियों पर डटे बड़े अफसरों ने मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए जिले के अफसरों पर जबरन 12 हजार नौकरी देने का टारगेट थोप दिया। किसी अफसर ने तर्क देना चाहा तो डांट सुननी पड़ी। नतीजतन, टारगेट का बोझ लेकर वो जालंधर पहुंच गए। इसका नतीजा फिर रोजगार मेलों में देखने को मिला। बेरोजगारों की जगह ज्यादा आवेदकों की उम्मीद में प्रशासन ने चार रोजगार मेले कॉलेज व यूनीवर्सिटी में लगाए। जिससे उन्हें 'बेरोजगार' दिखाने में कोई परेशानी नहीं हुई। वहीं, दूसरा फायदा कॉलेज व यूनीवर्सिटी का हो गया क्योंकि घर बैठे प्रशासन की बुलाई कंपनियों के जरिए उनके स्टूडेंट्स की पढ़ाई के दौरान ही प्लेसमेंट हो गई।
कई बार गिना गया एक 'बेरोजगार'
सरकार के दिए 12 हजार के आंकड़े तक पहुंचने के लिए अफसरों ने चंडीगढ़ बैठे अफसरों की आंखों में धूल झोंकने के लिए जमकर बाजीगरी दिखाई। मेले में अगर एक आवेदक चार कंपनियों में इंटरव्यू दे गया और चारों जगह उसे शॉर्टलिस्ट या चुन लिया गया तो प्रशासन की गिनती में वो चार बार गिना गया। असल में प्रशासन मेला खत्म होने के बाद कंपनियों से चुने गए आवेदकों की लिस्ट लेता है। चूंकि एक कंपनी को नहीं पता कि उसका चुना युवा दूसरी कंपनी में भी चुना गया है, इसलिए वो हर कंपनी के खाते में गिना जाता है। जमीनी स्तर पर भले नौकरी मिले या न मिले, लेकिन चंडीगढ़ तक अफसर जरूर इस आंकड़ें से खुश होंगे और सरकार चुनावी मौसम में घर-घर नौकरी देने की इस आंकड़ेबाजी के खेल की अच्छी फसल जरूर काट लेगी। जिला रोजगार ब्यूरो की डिप्टी डायरेक्टर सुनीता कल्याण ने कहा कि पहले वो पहले आवेदकों का रजिस्ट्रेशन करते हैं और फिर कंपनी से रिपोर्ट लेते हैं कि उन्होंने कितने युवाओं को नौकरी दी।