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नगर निगम की बीमार डिस्पेंसरियां खुद इलाज को मोहताज, 2001 के बाद नहीं हुई डॉक्टरों की भर्ती

गरीबों के ईलाज के लिए खोली गईं यह डिस्पेंसरियां खुद दम तोड़ती जा रही हैं। नगर निगम धीरे-धीरे इन डिस्पेंसरियों को ताला लगाकर अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहा है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 04:02 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 04:02 PM (IST)
नगर निगम की बीमार डिस्पेंसरियां खुद इलाज को मोहताज, 2001 के बाद नहीं हुई डॉक्टरों की भर्ती
नगर निगम की बीमार डिस्पेंसरियां खुद इलाज को मोहताज, 2001 के बाद नहीं हुई डॉक्टरों की भर्ती

जालंधर [जगदीश कुमार]। शहर के स्लम एरिया व गरीबों के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए नगर निगम की ओर से चलाई जा रहीं डिस्पेंसरियां पिछले लंबे अर्से से बीमार चल रही हैं। इस और न तो पिछली अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार न कोई ध्यान दिया और न ही मौजूदा कांग्रेस सरकार संजीदा है। नगर निगम ने भी इन डिस्पेंसरियों को अपने हाल पर छोड़ दिया है।

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हालात ऐसे हो गए हैं कि गरीबों के ईलाज के लिए खोली गईं यह डिस्पेंसरियां खुद दम तोड़ती जा रही हैं। नगर निगम धीरे-धीरे इन डिस्पेंसरियों को ताला लगाकर अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहा है। निगम के पांच डॉक्टर दस डिस्पेंसरियों की बागडोर संभालने के साथ-साथ निगम ऑफिस में एडमिनिस्ट्रेशन के काम का भी बोझ झेल रहे हैं। दस डिस्पेंसरियों में केवल एक ही फार्मासिस्ट बचा है। वह भी अगले तीन माह में सेवानिवृत्त हो जाएगा।
 
14 से 8 तक सिमट गईं डिस्पेंसरियां  
 

नगर निगम के पास 1996 में 14 डिस्पेंसरियां और एक अस्पताल था। 2006 में यह संख्या 10 हो गई। अब नगर निगम हाउस में चार डिस्पेंसरियों को बंद करने का प्रस्ताव रखा था जिनमें से दो को बंद करने की सहमति बनी। चुनाव के बाद अधिसूचना जारी कर इन्हें बंद कर दिया जाएगा। किशनपुरा, कोट पक्षिया, नौहरिया बाजार और मदन फ्लोर मिल में चल रही डिस्पेंसरियों को ताला लगा चुका है। अब 2018 में सेंट्रल टाउन और बस्ती शेख की डिस्पेंसरी को ताला लगेगा। इससे पहले 2006-07 में मॉडल टाउन में 10 बेड वाला अस्पताल बंद हुआ था। इससे पहले शहर में पांच जच्चा बच्चा सुरक्षा सेंटर चलते थे जिसमें केवल माई हीरां वाला ही बचा है। इन डिस्पेंसरियों में 50-60 मरीज रोजाना की ओपीडी थी जो अब 15-20 तक रह गई है।
 

10 डिस्पेंसरियां, 5 डॉक्टर और एक उपवैद्य

नगर निगम ने 1996 के बाद 2001 में डॉक्टरों की भर्ती की थी। उसके बाद जो सेवानिवृत्त हुए उनके पद खाली ही पड़े रहे। नगर निगम के पास दस डिस्पेंसरियां चल रही हैैं और इनकी बागडोर पांच डाक्टरों के हाथ में है। इसके अलावा डॉक्टर निगम आफिस में प्रबंधकीय कामकाज का बोझ भी झेल रहे है। पांच डाक्टरों के पास एक ही उपवैद्य है। डिस्पेंसरियां ज्यादातर समय दर्जा चार कर्मचारियों के सहारे चलती हैं।  
 

ये हैं नगर निगम की डिस्पेंसरियां

  • सेंट्रल टाउन
  • भगत सिंह चौक,
  • प्रीत नगर ,
  • चौगिट्टी
  • बस्ती शेख
  • संतोख पुरा
  • आबादपुरा
  • भार्गव कैंप
  • माडल हाउस
  • बस्ती मिट्ठू

डिस्पेंसरियों किया जाएगा दोबारा आबाद
मेयर जगदीश राज राजा का कहना है कि डिस्पेंसरियां गरीब लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खोली गई थीं। लंबे अर्से से भर्ती बंद होने की वजह से डॉक्टर नहीं मिल पाए हैं। सरकार के समक्ष डॉक्टरों की भर्ती और डिस्पेंसरियों की हालत सुधारने के लिए मांग रखी गई है। शहर में तीन सीएचसी तैयार हो चुकी हैं वहां डाक्टरों की तैनाती के बाद लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी।

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