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नानक नगरी में देखिए गुरु जी का 99 शहरों का सफर, Touch Screen से जान सकेंगे इतिहास

गुरु जी की 99 शहरों की यात्रा हो या सिख धर्म से जुड़ी कोई भी जानकारी सबकुछ नानक नगरी में मिलेगा। SGPC इस स्थान पर चार मंजिला मूल मंत्र इमारत का निर्माण करा रही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 11:41 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 08:27 AM (IST)
नानक नगरी में देखिए गुरु जी का 99 शहरों का सफर, Touch Screen से जान सकेंगे इतिहास
नानक नगरी में देखिए गुरु जी का 99 शहरों का सफर, Touch Screen से जान सकेंगे इतिहास

कपूरथला [हरनेक सिंह जैनपुरी]। ‘इक ओंकार सतनाम, करता पुरखु निरभउ। निरवैर अकाल मूरत अजूनी सैभं गुर प्रसादि।।’ यह सिख धर्म का मूल मंत्र है। गुरु नानक देव जी ने पंजाब के सुल्तानपुर लोधी में पवित्र काली बेई के किनारे सिख धर्म के इस मूल मंत्र का उच्चारण कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बुनियाद रखी थी। अब यहीं पर सिख धर्म से जुड़ी हर जानकारी मिलेगी। गुरु जी की 99 शहरों की यात्रा हो या सिख धर्म से जुड़ी कोई भी जानकारी.. सब कुछ यहां मिलेगा।

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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) इस स्थान पर चार मंजिला मूल मंत्र इमारत का निर्माण करा रही है। इसकी अलग-अलग मंजिलों पर सिख धर्म से जुड़ी जानकारियां होंगी। यहां विविध तरीके के खोज कार्य भी होंगे।गौरतलब है कि श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 14 साल 9 महीने 13 दिन का समय सुल्तानपुर लोधी में व्यतीत किया। यहां की धरती पर उन्होंने मूल मंत्र का उच्चारण किया और विश्व कल्याण के लिए दुनिया का भ्रमण शुरू किया था।

पूरी दुनिया में फैलेगा गुरबाणी का ज्ञान

करीब 20 करोड़ की लागत से बन रही मूल मंत्र इमारत से गुरबाणी के ज्ञान का प्रकाश दुनिया भर में फैलेगा। यहां गुरबाणी को लेकर खोज कार्य होंगे। बाणी सिद्धांत और फलसफे को प्रचारित किया जाएगा, ताकि लोगों में मानव हित के लिए कार्य करने की भावना भरी जा सके। इमारत की पहली मंजिल गुरु नानक देव जी की पहली उदासी को समर्पित होगी। गुरु जी ने 1500 ई. में सुल्तानपुर लोधी से पहली उदासी शुरू की। इसके तहत गोइंदवाल, अमृतसर से एमनाबाद, गुजरांवाला, लाहौर, कासूर से पिहोवा, करनाल, हरिद्वार, वृंदावन, मथुरा, गुवाहाटी आदि करीब 99 शहरों से होकर 1505 ई. को सुल्तानपुर लोधी वापस आए थे। गुरु जी के इस सारे सफर को चित्रों के जरिये दर्शाया जाएगा। श्रद्धालु एक क्लिक पर डिजिटल रूप में पूरे सिख इतिहास से रूबरू हो सकेंगे।

13 फीट होगी ऊंचाई

कारसेवा की देखरेख कर रहे भाई सतनाम सिंह ने बताया कि इमारत की नींव 20 फीट गहरी है। इसे गोलाकार आकृति में बनाया रहा है। हर मंजिल की ऊंचाई 13 फीट होगी। इमारत के अंदर 20 फीट घेरे में 13-13 फीट चौड़ी जगह में पानी का प्रवाह होगा, जिसका निकास पवित्र काली बेई में होगा। इस स्थान पर कुल 13 गैलरियां बनेंगी। मध्य वाले हिस्से को ऊपरी मंजिल तक बिल्कुल खाली रखा जाएगा। ऊपर से नीचे को शानदार लाइटों से खूबसूरत रूप प्रदान किया जाएगा। लगभग 65 फीट ऊंची इस इमारत में सबसे ऊपर गुंबद बनेगा। इसका डिजाइन इंजीनियर बाबा महिंदर सिंह यूके वालों ने तैयार किया है। भाई इंद्रजीत सिंह बिट्टू ने बताया कि इमारत पूरी तरह डिजिटलाइज होगी। टच स्क्रीन के जरिये श्री इतिहास के बारे में जान सकेंगे। चित्रों के जरिये भी सिख इतिहास को दर्शाया जाएगा। भाई सतनाम का अनुमान है कि प्रकाशोत्सव तक इमारत का ढांचा तैयार हो जाएगा, लेकिन पूरी तरह तैयार होने में वर्ष 2020 की बैसाखी तक का समय लग जाएगा।

दो मंजिल तैयार, तीसरी का लेंटर डाला

इमारत का निर्माण कार्य 18 अक्टूबर 2018 को आरंभ हुआ है। इसकी दो मंजिल तैयार हो चुकी हैं। तीसरी मंजिल का लेंटर डाला गया है। इमारत के लिए SGPC ने सिर्फ स्थान उपलब्ध कराया है। निर्माण कार्य श्रद्धालुओं के सहयोग से चल रहा है। इसकी सेवा निष्काम सेवक जत्था यूके के भाई महिंदर सिंह, किला आनंदगढ़, आनंदपुर साहिब के संत बाबा लाभ सिंह और बाबा हरभजन सिंह भलवान निभा रहे हैं।

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