डिजिटल थंब से रजिस्ट्री में हेराफेरी, जमीन किसी की लेकिन मालिक बन बेच रहा कोई और
अब तक यूआईडी और रेवेन्यू विभाग के बीच करार नहीं हुआ है। रजिस्ट्री के समय तहसील में गवाही के रूप में डिजिटल थंब लगवाया जाता है जिससे रजिस्ट्री किसी और के नाम पर हो सकती है।
जालंधर [सत्येन ओझा]। जमीनों की रजिस्ट्री के समय गवाही के रूप में 'आधार' को मान्यता बेमानी है। अभी तक आइडेंटीफिकेशन आफ इंडिया एवं रेवेन्यू विभाग के मध्य इस संबंध में एग्रीमेंट हुआ ही नहीं है। यही वजह है कि रजिस्ट्री के समय तहसीलों में गवाही के रूप में डिजिटल थंब लगवाया तो जा रहा है, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं है। यूआइडी से रेवेन्यू विभाग का लिंक न होने के कारण रिकार्ड मैच ही नहीं होता है। हाल में इसका खुलास तब हुआ जब जालंधर सब रजिस्ट्रार दफ्तर में जमीन की पॉवर ऑफ अटॉर्नी के समय चरण सिंह का थंब हरबंस सिंह ने लगा दिया। रिकार्ड मैच न होने के कारण हरबंस को चरण सिंह मानकर पावर ऑफ अटॉर्नी कर दी गई।
यूआइडी से कनेक्ट ही नहीं है रेवेन्यू विभाग
पंजाब सरकार के राजस्व विभाग ने ऑनलाइन रजिस्ट्री शुरू करने के साथ ही घोषणा कर दी कि नंबरदार न भी हो तो अब 'आधार' को ही गवाही के रूप में मान्यता दी जाएगी। इस घोषणा के साथ ही अब जिन तहसीलों में ऑनलाइन रजिस्ट्रियां हो रही हैं, वहां डिजिटल थंब लगवाया तो जा रहा है, लेकिन अभी तक डिजिटल थंब धोखा साबित हो रहा है। यूआइडी से रेवेन्यू विभाग कनेक्ट न होने के कारण थंब लगने पर भी पहचान ही नहीं होती है। यही वजह है कि आज भी रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होने के बावजूद जमीन किसी की होती है और मालिक बनकर कोई अन्य जमीन बेच डालता है।
नंबरदार न होने पर आधार को माना है गवाह
पंजाब रजिस्ट्रेशन मैनुअल में रजिस्ट्री के समय गवाही के लिए 13 लोगों को अधिकृत किया गया है। इसमें सांसद, एमएलए, एमएलसी, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत मेंबर, हलका नंबरदार, जैल सेवक (जैलदार), उप जैल सेवक, म्युनिसिपल कमेटी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य, कॉआपरेटिव सोसायटी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, सेवानिवृत गजटेड अधिकारी, पूर्व सेना अधिकारी या पासपोर्ट, पैन कार्ड को भी गवाह के रूप में मान्यता देने के साथ नए मैनुअल में आधार को भी मान्यता दे दी है। नंबरदार न होने पर आधार को ही गवाह मान लिया गया है।
मैनुअल एक्ट का भी उल्लंघन
पंजाब रजिस्ट्रेशन मैनुअल एक्ट 1029 के संबंध में 28 अगस्त 2002 को क्लेरीफिकेशन आई थी, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जमीन को बेचने वाले व्यक्ति के हलके का नंबरदार ही गवाही डाल सकता है, दूसरे हलके का नंबरदार नहीं। यही वजह है कि नंबरदारों को सरकार 1500 रुपये महीने मासिक मानदेय देती है। जमीन की रजिस्ट्री के 90 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में मैनुअल का उल्लंघन कर गवाही दूसरे क्षेत्रों के नंबरदार डाल रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आधार को लेकर सख्त आदेश दिए हैं कि किन-किन सेवाओं के लिए आधार का इस्तेमाल हो सकता है। मामला निजी स्वतंत्रता से जुड़ा होने के कारण अभी लिंक नहीं हो पाया है।
-वरिंदर कुमार शर्मा, डिप्टी कमिश्नर