खुद को शरीर नहीं जीव मान कर ईश्वर की प्राप्ति संभव : मनोज मिश्रा
खुद को शरीर नही बल्कि जीव मान कर ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। यह प्रवचन शनिवार को लाजपत नगर नगर में रेड क्रास भवन के साथ जंज घर में समता सत्संग सम्मेलन के दौरान बरेली से आए प्रेमी मनोज मिश्रा ने किए।
जासं, जालंधर : खुद को शरीर नहीं बल्कि जीव मानकर ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है। उक्त प्रवचन शनिवार को लाजपत नगर में रेडक्रास भवन के साथ जंज घर में समता सत्संग सम्मेलन के दौरान बरेली से आए प्रेमी मनोज मिश्रा ने किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनुष्य शरीर के साथ परिवार और जरूरतों का दायरा फैला रहा है। फिर उसी के मोह माया के जाल में फंस कर ¨जदगी में उसकी ख्वाहिशें बढ़ने लगती हैं और प्रभु मिलन का अंतर भी बढ़ने लगता है। इस अंतर को कम करना उसके लिए मुश्किल हो जाता है। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में महाभारत के दौरान अर्जुन भी परिवार के मोह जाल में फंस गया था। वह कौरवों को दुश्मन नहीं बल्कि परिवार का हिस्सा मानता था और उन पर बाण नहीं चलाना चाहता था। कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें गीतासार सुना कर बताया था कि मोहमाया के जाल से बाहर निकलें और अपने धर्म और कर्तव्य की पालना करें। श्री मिश्रा ने बताया कि मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति के लिए इस बात का ज्ञान होना जरूरी है कि वो एक शरीर नहीं बल्कि जीव है। इन्द्रजीत बजाज ने बताया कि रविवार को भी सुबह 10 से 1 बजे तक सत्संग का कार्यक्रम जारी रहेगा। इस मौके पर राजेश लांबा, अमित बजाज, ओम ढल्ल, बीआर मोंगा तथा मनोहर लाल के अलावा शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे।