तंत्र के गण: 20 वर्ष से Extra Class लगाकर कमजोर बच्चों को English पढ़ा रहीं सतिंदर कौर
गुरु तेग बहादुर नगर निवासी सतिंदर कौर की बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने की ललक प्रेरणादायी है। वह वर्षों से बिना रुके-थके बच्चों का अंग्रेजी बोलने का डर खत्म कर रही हैं।
जालंधर [अंकित शर्मा]। सरकारी स्कूल का हर बच्चा अंग्रेजी बोले। अंग्रेजी बोलने का डर भूलाकर वे भी कॉन्वेंट स्कूलों के बच्चों के साथ निडरता से बातचीत करें। इस सोच और मकसद के साथ सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड की अंग्रेजी की शिक्षिका सतिंदर कौर 20 साल से अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर बच्चों को पढ़ा रही हैं। उनकी इंग्लिश कम्युनिकेशन स्किल्स बढ़ा रही हैं।
सतिंदर कौर ने बताया कि उनके रास्ते कई बाधाएं भी आईं। साथी शिक्षकों की बातें भी सुननी पड़ीं। इस सबके बीच एक बार तो उनके कदम डगमगा गए थे पर परिवार और सकारात्मक सोच वालों का साथ मिलने से उनका हौसला बना रहा। वह वर्षों से जून-जुलाई की छुट्टियों, सर्दियों की छुट्टियों के साथ-साथ हर शनिवार और रविवार को भी पढ़ाती आ रही हैं। इसके साथ-साथ शनिवार व रविवार को स्कूल आने पर रिफ्रेंशमेंट के साथ-साथ बच्चों का जन्मदिन भी मनाया जाता है।
एक्स्ट्रा क्लास में सही से हो पाता है बच्चों का विश्लेषण
शिक्षा विभाग की तरफ से अतिरिक्त क्लासें लगाने को लेकर मान्यता दिए जाने पर सतिंदर कौर बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि कभी-कभार कक्षा के दौरान पढ़ाते समय हर बच्चे पर जरूरी ध्यान नहीं जा पाता है। यह काम एक्स्ट्रा क्लास में किया जा सकता है। इससे हर बच्चे का विश्लेषण संभव हो पाया और बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ उनसे जुड़ते गए। इस कारण वह अपनी हर परेशानी भी शेयर करते हैं।
सबसे पहले हेलरां स्कूल में दी सेवाएं
गुरु तेग बहादुर नगर निवासी सतिंदर कौर के पति मनिंदर सिंह गुरु अमरदास स्कूल में क्लर्क हैं। बेटा हरप्रीत सिंह एमबीए कर रहा है। वह बताती हैं कि एमए-बीएड करने के दौरान उनकी एसडी फुल्लरवान स्कूल प्रीत नगर लाडोवाली रोड में टीचिंग प्रेक्टिस लगी थी। प्रेक्टिस के बाद वहीं पढ़ाना शुरू कर दिया था। दो साल बाद उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी के लिए आवेदन किया और 1997 में नियुक्त हुई और पहला स्टेशन सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल हेलरां मिला, जहां वर्ष 2001 तक पढ़ाया। उसके बाद जल्लोवाली स्कूल में 2001 से 2002 तक और वर्ष 2003 में सरकारी कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड में ट्रांसफर हुई। तभी से मौजूदा समय में यहीं पर बच्चों के अंग्रेजी व अब एसएसटी विषय भी पढ़ा रहे हैं।
बच्चों की समस्याएं जान एक्स्ट्रा क्लास लगाने का आया विचार
वे बताती हैं कि जब गांव हेलरे स्कूल में पढ़ाने का मौका मिला तो देखा कि गांव के ज्यादातर बच्चे पढ़ने की तरफ ध्यान नहीं देते थे। एक बच्चे को पढ़ाई न करने की वजह से डांटा। तब बच्चे ने अपनी समस्या सुनाते हुए कहा कि उससे पढ़ा नहीं जाता। ऐसे में सोचा क्यों न अतिरिक्त समय देकर पढ़ाना शुरू किया जाए। बच्चों की क्लासें लगाने शुरू की और अच्छे नतीजे भी नजर आने लगे। इसके बाद अतिरिक्त कलासें लगाने का विचार पक्का हो गया।
क्लास में आते एक बच्ची हो गई दुर्घटना का शिकार, लोगों ने कहा-हादसा तुम्हारे कारण हुआ
एक बार एक लड़की स्कूल समय से पहले लगाई क्लास में आते समय हादसे का शिकार हो गई। इसके बाद हर किसी ने यह कहना शुरू कर दिया कि यह हादसा उसकी वजह से हुआ। आप उसे पढ़ाने के लिए नहीं बुलाती तो यह हादसा न होता। इस कारण एक बार तो मन में डर से पैदा हो गया था। इसके बाद चंडीगढ़ से जालंधर आने वाले हर अधिकारी के आगे अर्जी रखी कि उन्हें एक्स्ट्रा क्लास लगाने की मंजूरी दी जाए। जवाब मिला कि मंजूरी नहीं मिलेगी, आप चाहें तो अतिरिक्त समय में पढ़ाती रहें।
हादसे के बाद दूर से आने वाले बच्चों को घर जाकर पढ़ा रहीं
उस हादसे के बाद नजदीक से आने वाले बच्चों को सुबह स्कूल समय से पहले और दूर से आने वाले बच्चों को दोपहर में उनके घर पढ़ाना शुरू किया। ऐसे में कोटरामदास में एक जगह चुनी, जहां बच्चों और उनके अभिभावक से ऐसा रिश्ता बन गया, जैसे मैं मायके घर आई हूं। वहां रोज बच्चों को पढ़ाने के लिए जाना और उनकी तरफ से बेहद प्यार मिलता था। ऐसे में वहां अभिभावक भी उनके पास आने लगे। वहां अपने स्कूल के साथ-साथ दूसरे स्कूलों के बच्चों को भी बढ़ाने की मौका मिला।
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