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जान देने से पहले एक दिन में ही पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी तन्वी

तन्वी खुदकशी का फैसला कर चुकी थी। उसकी एक दिन पहले की गतिविधियों से स्पष्ट है कि उसने जान देने की ठान ली थी। परिजन इसे भांप नहीं सके।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 10:39 AM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 10:39 AM (IST)
जान देने से पहले एक दिन में ही पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी तन्वी
जान देने से पहले एक दिन में ही पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी तन्वी

मनीष शर्मा, जालंधर: मैथ्स टीचर की प्रताडऩा से तंग आकर जान देने वाली संस्कृति केएमवी स्कूल की 10वीं की छात्रा तन्वी मेहता (15) ने खुदकशी का फैसला कर चुकी थी। इस बारे में उसने अपने माता-पिता या किसी परिजन को कुछ नहीं बताया लेकिन उसकी एक दिन पहले की गतिविधियों से स्पष्ट है कि उसने जान देने की ठान ली थी। परिजन इसे भांप नहीं सके। जान देने से पहले तन्वी एक ही दिन में पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी। वह मंगलवार को स्कूल गई तो उसने मां से शाम को सरसों का साग व मक्की की रोटी बनाने को कहा। एक्टिवा व नया मोबाइल लेने की ख्वाहिश उसने सुसाइड नोट में जताई, लेकिन अपनी जिंदगी खत्म करने से पहले वो ये शौक भी जी लेना चाहती थी। स्कूल से लौटकर उसने चाचा की स्कूटी भी मांगकर चलाई। इसके बाद वह सैर करने चली गई। रात को उसने मोबाइल भी चलाया।

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तन्वी के सुसाइड करने के बाद विलाप करती मां मीना मेहता को ढांढस बंधाते उसके स्कूल की टीचर्स।

शाम को सैर के वक्त उसके साथ उसकी रिश्तेदार काव्या, नेहा व प्रिया थीं। 8-8 साल की यह तीनों बच्चियां सेकेंड क्लास में पढ़ती हैं। तन्वी मोहल्ले में इन बच्चों को अंग्रेजी भी सिखाती थी। नेहा ने आंख से गिरते आंसुओं के बीच बताया कि जब तन्वी दीदी गली में सैर कर रात को घर जाने लगी तो बोली 'अगर हम मर जाएंगे तो तुम लोग क्या करोगे?', नेहा ने कहा कि दीदी ऐसा क्यों बोल रहे हो? आपको क्या हुआ, आपको कुछ नहीं होगा। इस पर तन्वी ने जवाब दिया, 'सुबह हम मरके दिखाएंगे'। इसके बाद वह घर आकर अपने पिता का फोन लेकर कमरे में चली गई। कुछ देर बाद वह चार्जर भी लेने आई। इसके बाद घरवालों को सुबह साढ़े सात बजे फंदे से लटकता उसका शव ही मिला।

गुरु रूपी 'रावण' से हार गया रामलीला का 'रावण'

तन्वी को गोद लेने वाले राजेश मेहता पिछले 40 सालों से लक्कड़ मंडी की रामलीला में रावण का रोल करते हैं। वे इसी नाम से मशहूर भी हैं। बुधवार को एक टीचर की प्रताडऩा से तंग बच्ची ने सुसाइड कर लिया तो वो बोल उठे कि एक गुरु के वेश में छिपे रावण से आज यह रामलीला का रावण हार गया। उन्होंने कहा कि तन्वी एलकेजी से ही इसी स्कूल में पढ़ रही थी। अगर उसने कभी उन्हें बताया होता तो वे स्कूल ही बदल देते।

पुलिस को शक : तन्वी ने इंटरनेट पर देखी थी सुसाइड वीडियो

पिता राजेश मेहता के मुताबिक मंगलवार रात को तन्वी उनका फोन ले गई थी और वाईफाई से कनेक्ट कर इंटरनेट चला रही थी। पुलिस इस बात की संभावना जता रही है कि कहीं तन्वी मोबाइल पर सुसाइड के वीडियो तो नहीं देख रही थी। हालांकि पुलिस या परिजनों ने इसकी पुष्टि नहीं की।

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मैथ्स में कमजोर थी तन्वी, उसे भी सभी की तरह डांटता था : नरेश कपूर

पुलिस हिरासत में आरोपित नरेश कपूर (30) निवासी रैनक बाजार ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि तन्वी पढ़ाई में कमजोर थी। इसीलिए वह उसे दूसरे बच्चों की तरह ही डांटता था, ताकि आने वाले पेपरों में वह अच्छे अंकों से पास हो जाए। तन्वी हमेशा डरती थी कि वह 10वीं के पेपर कैसे क्लियर करेगी। तन्वी अक्सर खुद ही कहती थी कि मैथ्स उसे बहुत मुश्किल लगता है। उससे इतनी मुश्किल पढ़ाई नहीं होती। नौंवी में भी तन्वी के बहुत कम अंक आए थे। नरेश का कहना है कि इस संबंध में उसने स्कूल में आई तन्वी की मां के साथ भी बात की थी। उसने तन्वी की मां को कहा था कि उनकी बेटी मैथ्स में कमजोर है, इसकी ओर ध्यान दो। तन्वी मैथ्स से इतना डरती थी कि वह अक्सर अकेले ही क्लास में रोती थी।

12 दिन पहली ही हुई थी अस्सिटेंट प्रोफेसर से नरेश की शादी

आरोपित नरेश कपूर की 12 दिन पहले ही 25 जनवरी को लवली प्रोफेशनल यूनीवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर युवती के साथ शादी हुई थी। उसने बताया कि वह अपनी निजी और पेशेवर ङ्क्षजदगी को अलग-अलग रखता था। वह तो रोज की तरह बुधवार को स्कूल गया था, लेकिन इस दौरान उसे पता चला कि तन्वी ने आत्महत्या कर ली है।

जांच का विषय : टेस्ट में अच्छे अंक, तो कमजोर कैसे थी तन्वी

जनवरी में हुए गणित के एक टेस्ट में तन्वी मेहता ने 50 में से 48 अंक प्राप्त किए थे। शिक्षक नरेश कपूर का कहना था कि तन्वी मेहता गणित के विषय में कमजोर थी। अब सोचने वाली बात है कि अगर तन्वी गणित के विषय में कमजोर थी तो टेस्ट में कैसे बढिय़ा अंक आए? इस बात पर कई सवाल खड़े होते हैं।

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सुसाइड नोट में लिखा, नरेश कपूर नूं सजा जरूर दवायो, तां ही मेरी आत्मा नूं शांति आउणी है

मम्मा एंड पापा, मैं एह सुसाइड अपणी मर्जी नाल नहीं कर रही, इस दे पिच्छे इक बहुत वड्डा कारण है, ओह है मेरे स्कूल दा सर 'नरेश कपूर'। यार मम्मा ओह मैंनूं हमेशा कुछ न कुछ बोलदा ही रैहंदा सी। अगर मैं स्कूल जांदी सी ते ओहनूं हमेशा मैं ही दिखदी हुंदी सी, मैंनूं ही ओह हमेशा डांडदा हुंदा सी। चाहे तुसी मेरी किसे वी सहेली नूं पुछ लेंयो। किसे होर दा गुस्सा ओह हमेशा मेरे ते ही कडदा रैहंदा सी। उसने अपणी क्लास च सारे बच्चेयां नूं डरा के रखेया सी। मम्मा, मैं ओहनें दे ही डर तों स्कूल नहीं जांदी सी। तुसीं पुछदे हुंदे सी मां कि तेरा पढ़ाई च दिल क्यों नहीं लगदा मैंनूं दस।

मम्मा मैं तुहानूं की दसदी ओहनूं देख के ते ओहना दियां गल्लां सोच-सोच के मेरा दिल घबराउन लग जांदा सी। ओहनां दी क्लास च कोई किसे तों कुछ चीज मंग वी लैंदा सी मां ते ओह उस बच्चे दे मुंह ते अपणा पंजा छाप दिंदा सी। सारियां कलासां पास करके मैं मम्मा 10वीं च होई ते इस कलास च आ के मेरा दिमाग फिर गया। ओहना दियां गल्लां सोच-सोच के मम्मा मैनूं इस सर कोलों बहुत डर लगदा है। ओहना दे करके तां मैं स्कूल च वी बहुत रोई हां, भावें तुसी मेरियां सहेलियां नूं पुछ लवो, मैंनू कोई होर रस्ता नहीं सुसाइड करण तो अलावा। तुहानूं लगदा होवेगा कि मैं बहुत गलत रस्ता चूज कीता, मेरा फैसला वी गलत हो सकदा है बट मेरे दिल दा डर झूठा ते गलत नहीं हो सकदा। 'आई हेट नरेश सर' (इस शब्द के अंत में छात्रा ने उदासी का इमोजी बनाया)।

मम्मा तुसीं प्लीज मेरे जाण तो बाद ना रोइयो, ठीक आ। मैं हमेशा तुहाडे दिल च रहूंगी। तुसी अपणा ते पापा दा ध्यान रखियो। पापा जी, हुण तुहाडे पैसे नूं कोई अग्ग नहीं लगाउगा। हुण तुहानूं कोई तंग नहीं करेगा कि मैंनू एह ला के दो, ओ ला के दो। चलो मेरे मरण तों पेहलां इक दिल दी रीझ सी कि एक्टिवा ते न्यू फोन लैणा है, चलो कोई नीं ऐह दोवें चीजां ही नहीं आइयां, कोई गल्ल नहीं। काव्या (रिश्ते की बहन) नूं कहियो कि दीदी तुहानूं बहुत प्यार करदी है।

मम्मा प्लीज तुसीं ते पापा दोनों मिलके नरेश कपूर नूं सजा जरूर दवायो। ओहने मैंनू मजबूर कर दित्ता कि मैं मर जवां। प्लीज तुसी ओहनूं छड्डियो ना, ओहना दी गलती दी सजा ओहनूं जरूर देयो। ता ही मेरी आत्मा नूं शांति आउणी है।

बस एस तों ज्यादा मैं हुण कुछ नहीं लिखणा चाहुंदी। बस ए ही कहूंगा, आई लव यू मम्मी एंड पापा।

- तन्वी मेहता पुत्री राजेश मेहता 'रावण'

आई क्विट!!! बाय!!! (इस दो शब्दों के बीच में छात्रा ने आंखों से आंसु निकलते इमोजी बनाया और अंत में अलविदा एवरीवन लिख सुसाइड नोट खत्म किया।)

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