बड़े-बूढ़ों का आदर व सत्कार करना ही हमारे संस्कार
संस्कारों के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : संस्कारों के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। क्योंकि संस्कारहीन व्यक्ति जीवन में कभी भी तरक्की नहीं कर सकता। हां इतना जरूर है कि वो जैसे-तैसे ऊंचाई पर पहुंच जाए पर संस्कारों के बिना वे अधिक दिनों तक नहीं टिकता। कुछ इस तरह प्रिसिपल संजय शर्मा ने छात्राओं को संस्कारों की अहमियत समझाई की वे अपने बड़ो-बूढ़ों का आदर करें और अपनी संस्कृति से जुड़े रहे।
वे दैनिक जागरण और पंजाबी जागरण की तरफ से देवी सहाय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सोढल रोड में आयोजित संस्कारशाला प्रोग्राम में संबोधन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम संस्कारों की बदौलत ही अपनी पहचान देश-विदेश में फैला चुके हैं। यही कारण है कि हमारे संस्कार और संस्कृति को अब विदेशी तक अपनाने लगे हैं। मगर हम पाश्चात्य सभ्यता के पीछे लगकर अपने संस्कारों और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। पहले बड़े-बड़े परिवार होते थे जो अब छोटे हो गए हैं। जबकि विदेशों में परिवारों और रिश्तों की अहमियत समझी जाने लगी है। हमें फिर से संयुक्त परिवार में रहकर रिश्तों का मोल समझना चाहिए। इसी तरह शिक्षक सुदर्शन शर्मा ने कहा कि संस्कारों की अहमियत से हमारा जीवन सफल हो सकता है। जो हमारी बोलचाल, व्यवहार से झलकता है। पर हालात ऐसे बन गए हैं कि कोई किसी को देख भी ले तो सामने वाले का पारा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है। बात हाथापाई तक पहुंच जाती है। हमारे संस्कार तो ऐसे नहीं हैं। हर एक के प्रति आदर और सत्कार होने से इस तरह की स्थितियों से बचा जा सकता है।