सीए रिजल्ट: शहर के 300 में से 40 छात्र बने सीए, रामामंडी के साहिल सिटी टॉपर
पिछले साल के मुकाबले छह दिन पहले घोषित परिणाम में शहर के 300 में से 40 विद्यार्थियों ने परीक्षा पास की है। प्रतिशत 13.33 फीसद रहा।
जालंधर, [अंकित शर्मा]। द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया यानी आइसीएआइ ने नवंबर में ली गई सीए की फाइनल परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया है। पिछले साल के मुकाबले छह दिन पहले घोषित परिणाम में शहर के 300 में से 40 विद्यार्थियों ने परीक्षा पास की है। इनका पास प्रतिशत 13.33 फीसद रहा। पिछले साल 250 में से 27 छात्र सीए बने थे और इनका पास प्रतिशत 10.8 रहा था। शहर में कुल 485 अंक लेकर साहिल ने टॉप किया।
‘सीए’ नाम ही काफी हैः साहिल
सीए की फाइनल परीक्षा में 485 अंक पाने वाले रामामंडी के मोहन विहार निवासी साहिल खोसला ने शहर में टॉप किया है। साहिल के पिता राजेश खोसला साउथ अफ्रीका की मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर मैनेजर हैं, जबकि मां अनु खोसला गृहिणी हैं। उनकी बहन बीएससी बायोटेक्नोलॉजी सेकेंड ईयर की छात्रा है। साहिल का कहना है कि ‘सीए’ नाम ही काफी है। यह एक सम्मानजनक क्षेत्र है। 10वीं करने के बाद ही सीए बनने का ही फैसला कर लिया था। इसलिए कामर्स स्ट्रीम चुनी और सपने की तरफ आगे बढ़ना शुरू किया। रोजाना 12-14 घंटे तक सेल्फ स्टडी, दिलकुशा मार्केट में सुबह साढ़े नौ से साढ़े पांच व छह बजे तक काम किया। यही नहीं कभी कभार तो रात 11 बजे तक भी दफ्तर में प्रैक्टिस की। इसी मेहनत का नतीजा है कि जिस लक्ष्य को लेकर चला था आज उस लक्ष्य को पा लिया।
डोनेशन नहीं, काबिलियत का होता है टेस्टः सरुचि
शहर में 480 अंक पाकर दूसरे स्थान पर रही गुजां पीर रोड स्थिति न्यू कैलाश नगर एक्सटेंशन निवासी सरुचि गुप्ता ने कहा है कि यह एक ऐसा प्रोफेशन है जिसमें न तो किसी की सिफारिश चलती और न ही कोई डोनेशन। हर कोई अपनी मेहनत से ही इस फील्ड में आ सकता है।
जालंधरः बेटी सरुचि के सीए परीक्षा पास करने की खुशी में उसका मुंह मीठा करवाते हुए मां नमिता और पिता हरीश गुप्ता।
सरुचि के पिता हरीश गुप्ता बिजनेसमैन हैं जबकि मां नमिता गृहिणी हैं। सरुचि का कहना है कि दसवीं के बाद कामर्स चुनी और बीकाम के साथ ही सीए की तैयारी शुरू कर दी थी। दिन रात सीए की तैयार की। इसमें पढ़ाई के साथ-साथ प्रैक्टिस भी जरूरी होती है। इसलिए सुबह पढ़कर जाना फिर दफ्तर में शाम तक काम करना। फिर देर शाम घर लौट कर देर रात तक पढ़ाई की। वह मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करती हैं। आइएएस की भी तैयारी कर रही हैं। सरुचि ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान माता-पिता का बेहद साथ मिला।
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