साहिब सिंह ने तैयार किया जलियांवाला बाग का मॉडल, Derby में हेरिटेज म्यूजियम की बनेगा शान
जनरल डायर के एक इशारे पर मौत के घाट उतारने की ब्रिटिश सरकार की बर्बता को प्रमाणित करती इस घटना को मॉडल के रूप में जीवंत किया है शहर के भाई साहिब सिंह ने।
जेएनएन, जालंधर। 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग कांड को याद करते ही आंखें नम हो जाती हैं। सैंकड़ों निर्दोष व निहत्थे लोगों पर जनरल डायर के एक इशारे पर मौत के घाट उतारने की ब्रिटिश सरकार की बर्बता को प्रमाणित करती इस घटना को मॉडल के रूप में जीवंत किया है शहर के भाई साहिब सिंह ने। खास बात यह है कि इस मॉडल को जून माह में नेशनल सिख हैरिटेज सेंटर एंड होलोकास्ट म्यूजियम डर्बी में सुशोभित किया जाएगा। इस संबंध में वीरवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान सिख सेवक सोसायटी इंटरनेशनल तथा नेशनल सिख हैरिटेज सेंटर एंड होलोकास्ट म्यूजियम डर्बी के चेयरमैन राजिंदर सिंह पुरेवाल तथा प्रधान परमिदंरपाल सिंह खालसा ने भाई साहिब सिंह को हरि सिह नरवा पुरस्कार के साथ सम्मानित किया।
जलियांवाला बाग कांड का मॉडल तैयार करने वाले साहिब सिंह के साथ परमिंदरपाल सिंह खालसा, राजिंदर सिंह पुरेवाल व अन्य।
इस दौरान उन्होंने कहा कि डर्बी में सिख इतिहास तथा पंथक विचारों के प्रचार तथा प्रसार के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। इसके तहत इस दिशा में काम करने वालों को सम्मानित किया जाता है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों को मुताबिक उस समय श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होने आए 799 सिख संगत भी शामिल थी, जिसे जलियांवाला बाग का प्रवेश द्वार बंद करके गोलियां मारकर कत्ल कर दिया गया था। इस घटना को यह मॉडल जीवंत कर रहा है, जिसे जून माह में डर्बी स्थित म्यूजियम में सुशोभित किया जाएगा। इस दौरान उनके साथ रणजीत सिंह संधू, पाल सिंह फ्रांस, किरणप्रीत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर पाल सिंह गोल्डी, प्रोफेसर बलविंदर पाल सिंह, प्रितपाल सिंह, चरणजीत सिंह हैप्पी, संदीप सिंह चावला, हरभजन सिंह बैंस, महिंदर सिंह चमक, मनजीत सिंह दुआ, दविंदर सिंह आनन्द, अमरजीत सिंह, गगनदीप सिंह व अन्य उपस्थित रहे।
दो वर्ष की मेहनत से तैयार किया मॉडल
जलियांवाला बाग कांड का मॉडल तैयार करने वाले साहिब सिंह!
भाई साहिब सिंह का रूझान शुरू से ही सिख एतिहासिक स्थानों में रहा है। इसी कारण वह पिछले लंबे समय से इस दिशा में कार्य कर रहे है। उन्होंने बताया कि यह मॉडल तैयार करने में करीब दो वर्ष लग गए। रोजाना 16 से 17 घंटे इस पर ध्यान केंद्रित करके इसकी तैयारी की जाती। उन्होंने कहा कि लकड़ी से तैयार किए गए मॉडल के लिए कई तरह का कैमिकल अमेरिका सहित कई देशों से मंगवाना पड़ा। इस मॉडल की रंगत तथा जोड़ कई वर्षों तक यथावत रहेंगे। इससे पूर्व श्री अकाल तख्त साहिब में 1984 की घटना को बयां करता तथा श्री दरबार साहिब का मॉडल भी तैयार किया गया था। जिसे पहले से ही उक्त म्यूजियम में सुशोभित किया जा चुका है। शहर के बस्ती शेख के रहने वाले साहिब सिंह बताते हैं कि सिख एतिहासिक स्थानों के प्रति उनका बचपन से ही रूझान रहा है। शुरूआत में घर में सजाने के लिए छोटे-छोटे मॉडल तैयार करता था। यही शौंक बाद में जुनून बन गया। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सिख इतिहास से जुड़े हर पहलू व घटना को जीवंत करना है।