पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम पर सियासत गरमाई, धरने से शिअद में जान फूंकेंगे सुखबीर
एससी वर्ग के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के मुद्दे पर 14 नवंबर को धरना देकर सुखबीर बादल जालंधर अकाली दल यूनिट में नई जान फूंक सकते हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। दलित बहुल क्षेत्र दोआबा में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के मुद्दे पर जालंधर में आगामी 14 नवंबर को दिया जा रहा अकाली दल का धरना कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल भी इस धरने में शामिल होंगे। इस धरने के साथ अकाली दल दलित समुदाय में अपनी उपस्थिति तो दर्ज करवाएगा ही साथ ही जालंधर में लगभग ठंडे पड़ चुके पार्टी वर्करों में भी नई जान फूंकने में सफल होगा। कुल मिलाकर संसदीय चुनाव से ठीक पहले सुखबीर अकाली दल को एक नई दिशा देने में जरूर कामयाब हो सकते हैं।
जालंधर में थम चुकी थी अकाली दल की गतिविधियां
विधानसभा चुनाव हारने के बाद दोआबा और विशेषकर जालंधर में अकाली दल की गतिविधियां लगभग थम चुकी हैं। एकाध धरने को छोड़कर अकाली दल जालंधर में ऐसा कुछ भी नहीं कर पाया जिससे वर्करों में सक्रियता आ सके। इसी वजह से अकाली दल का संगठनात्मक ढांचा भी कोई मजबूती नहीं दिखा पाया और यूथ अकाली दल तो कहीं नजर ही नहीं आया। आखरी बार गुरप्रताप सिंह वडाला को जालंधर ग्रामीण का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनके सम्मान में दो-चार समारोह तो जरूर हुए, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ जिसके चलते अकाली दल अपने आप को मजबूत बता पाता।
पोस्ट मैट्रिक पर मिल सकता है दलित समुदाय का साथ
पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप एक ऐसा मसला है जिसकी गूंज दोआबा से लेकर चंडीगढ़ तक और फिर दिल्ली तक पहुंच रही है। जाहिर सी बात है जब दलित समुदाय के बच्चों की पढ़ाई का मसला कोई भी पार्टी इतनी मजबूती से उठाएगी तो संबंधित समुदाय की तरफ से कुछ न कुछ समर्थन मिलना लाजमी ही होगा। हालांकि केंद्र में भाजपा के राज्य मंत्री विजय सांपला और कांग्रेस सरकार पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के मसले पर अपनी तरफ से किए जा रहे प्रयत्नों को समय-समय पर रख रहे हैं लेकिन अकाली दल का यह धरना पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
ताकतवर दलित नेता बन कर उभर सकते हैं टीनू
लगातार दूसरी बार आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने पवन कुमार टीनू के लिए अकाली दल का यह धरना उनको मजबूत दलित नेता के तौर पर स्थापित कर सकता है। टीनू इस मसले को लेकर कैप्टन सरकार का कड़ा विरोध कर रहे हैं। चंडीगढ़ में धरना-प्रदर्शन के बाद अब जालंधर में भी पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल के साथ धरना देंगे। टीनू के अलावा अकाली दल में किसी भी अन्य नेता ने इस मसले पर इतना मजबूती से सरकार का विरोध नहीं किया है, जितना कर पाने में टीनू सफल हो रहे हैं। अगर अकाली दल का यह धरना सफल रहता है तो दलित समुदाय में और पार्टी में टीनू को श्रेय मिलना लगभग तय ही होगा।