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अब धोखे से नहीं बेच सकेंगे विवादित जमीन, रेवेन्यू कोर्ट में केस आते ही फर्द में दर्ज होगा ब्योरा

अब जैसे ही आरसीएमएस की वेबसाइट पर केस चढ़ाया जाएगा उस जमीन के खसरा नंबर के जरिए तुरंत इसकी जानकारी पीएलआरएस व रेवेन्यू पंजाब की वेबसाइट पर भी चली जाएगी।

By Vikas KumarEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 07:46 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 02:04 PM (IST)
अब धोखे से नहीं बेच सकेंगे विवादित जमीन, रेवेन्यू कोर्ट में केस आते ही फर्द में दर्ज होगा ब्योरा
अब धोखे से नहीं बेच सकेंगे विवादित जमीन, रेवेन्यू कोर्ट में केस आते ही फर्द में दर्ज होगा ब्योरा

जालंधर [मनीष शर्मा]। जिस जमीन का रेवेन्यू कोर्ट में केस चल रहा हो, गुपचुप उसकी फर्द (जमाबंदी) निकलवाकर आगे बेचने की धोखाधड़ी अब नहीं हो सकेगी। रेवेन्यू कोर्ट में चल रहे सभी जमीन विवाद के केसों का विवरण अब उसकी फर्द में भी दर्ज होगा।

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जिला प्रशासन ने हाल ही में शुरू किए रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) को पंजाब लैंड रिकॉर्ड सोसायटी व रेवेन्यू पंजाब की वेबसाइट से लिंक कर दिया है। अब जैसे ही आरसीएमएस की वेबसाइट पर केस चढ़ाया जाएगा, उस जमीन के खसरा नंबर (खेवट नंबर) के जरिए तुरंत इसकी जानकारी पीएलआरएस व रेवेन्यू पंजाब की वेबसाइट पर भी चली जाएगी। इसके बाद जब भी कोई व्यक्ति जमीन बेचने से पहले कंप्यूटराइज्ड फर्द केंद्र से फर्द निकलवाएगा तो उसमें यह भी लिखा होगा कि इस खसरा नंबर वाली जमीन का केस किस अफसर की अदालत में चल रहा है।

यही नहीं, उसका स्टेट्स भी पता चलेगा कि केस सुनवाई अधीन है या इसका फैसला हो चुका है और अगर फैसला हुआ है तो किसके हक में। रेवेन्यू अधिकारी ने बताया कि इससे जहां आम जनता को सुविधा होगी, वहीं जमीन की खरीदफरोख्त में होने वाली धोखाधड़ी भी रुकेगी।

अभी तक ऐसे चलता था खेल

जमीन खरीदते समय सबसे विश्वसनीय दस्तावेज फर्द ही मानी जाती है। जब भी कोई जमीन खरीदता है तो नई फर्द ही निकालने को कहता है। अभी तक रेवेन्यू कोर्ट में चल रहे केस के बारे में ब्यौरा दर्ज करने का काम मैनुअल था। कोर्ट से ब्यौरा भेजा जाता और तब फर्द में उसे चढ़ाया जाता था। इसमें कई बार लापरवाही बरती जाती या जानबूझकर इसे छिपा लिया जाता था। ऐसे में शातिर धोखेबाज बिना ब्यौरा दर्ज करवाए फर्द निकलवा लेते थे और जमीन बेच देते थे। जमीन बिकने के बाद खरीदार को पता चलता कि यह जमीन विवादित है और इसका केस भी रेवेन्यू कोर्ट में चल रहा है। फिर वह अफसरों से शिकायतों के चक्कर में फंसा रहता था। किसी जमीन पर केस चलने के मामले में सीधी जानकारी देने के लिए भी अभी तक कोई जरिया नहीं था। ऐसे में जमीन खरीदने वाला धोखे का शिकार हो जाता है।

जिले में हैं 25 रेवेन्यू कोर्ट

जिले में इस वक्त 25 रेवेन्यू कोर्ट हैं, जिनमें जमीन के स्वामित्व को लेकर झगड़े के केस सुने जाते हैं। इनमें डिप्टी कमिश्नर, एडिशनल डिप्टी कमिश्नर (जनरल) व जिला रेवेन्यू अफसर (डीआरओ) की एक-एक, फिल्लौर, शाहकोट, नकोदर, जालंधर वन व टू के पांच एसडीएम, इन्हीं पांच तहसीलों के पांच तहसीलदार और सात सब तहसीलों समेत 12 नायब तहसीलदारों की रेवेन्यू कोर्ट शामिल है।

विवादित जमीन का ब्यौरा होगा ऑनलाइन

इस प्रक्रिया के बाद सरकार की तैयारी उन सब जमीनों का ब्यौरा ऑनलाइन करने की है, जिनका विवाद किसी न किसी रेवेन्यू कोर्ट में चल रहा है। इसमें शहरी इलाके से लेकर गांवों तक का ब्यौरा होगा। इसका फायदा होगा कि जब भी आप कोई जमीन खरीदने के लिए सौदा करेंगे तो उससे पहले रेवेन्यू पंजाब की वेबसाइट पर यह देख सकेंगे कि उस इलाके या गांव की कौन-कौन सी संपत्ति का केस चल रहा है।

 
 

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