आर्किटेक्ट्स ने दिया मूल मंत्र, नेता आएंगे और जाएंगे लोग ही जालंधर को स्मार्ट बनाएंगे
आर्किटेक्ट्स ने जालंधर के लोगों को मूल मंत्र दिया है। अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनाना है तो उन्हें खुद आगे आना होगा।
जागरण संवाददाता, जालंधर। चंडीगढ़, हरियाणा, आईआईटी रुड़की, बांगलादेश आदि से पहुंचे आर्किटेक्ट्स ने शहर के लोगों को जालंधर को स्मार्ट सिटी बनाने का मूल मंत्र दिया है। उन्होंने कहा कि देश के विकास को राजनेताओं पर नहीं छोड़ा जा सकता है। नेता तो आएंगे और जाएंगे, लोग जब खुद कुछ कर दिखाने के जज्बे के साथ खड़े होंगे तभी सही मायने में शहर व देश की तस्वीर बदलेगी। आर्किटेक्ट्स को समाज को साथ लेकर खुद खड़ा होना होगा। ये आर्किटेक्ट्स इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स पंजाब चैप्टर की ओर से आयोजित इंटरनेशनल प्रोफेशनल मीट में हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए एशियन विलेज, पार्लियामेंट लाइब्रेरी, विजुअल आर्ट्स इंस्टीट्यूट रोहतक, जंग-ए-आजादी करतारपुर जैसी बेमिसाल इमारतों के शिल्पकार प्रख्यात आर्किटेक्ट राज रेवाल थे। उन्होंने कहा कि जिस दिन यहां के लोग शहर को अपना मान लेंगे, आर्किटेक्ट शहर को अपना लेंगे, उस दिन इसे स्मार्ट सिटी बनने से कोई नहीं रोक सकता है।
उन्होंने आह्वान किया कि अपने जीवन व अपने घर को संवारने के साथ आज जरूरत अपने शहर और अपने देश के लिए कंट्रीब्यूट करने की है। ये समय की मांग है। मूल समस्या यही है हम अपने आप तक सीमित हैं, अपने परिवार तक सीमित हैं, इस दायरे से बाहर आना होगा। प्रोफेशनल मीट का उद्घाटन मुख्य अतिथि राज रेवाल, मेयर जगदीश राज राजा, शहर के वरिष्ठ आर्किटेक्ट नरेन्द्र अरोड़ा, जालंधर सेंटर के चेयरमैन जेजे ने संयुक्त रूप से ज्योति प्रचंड करके किया।
इस मौके पर चंडीगढ़ गृह मंत्रालय के सलाहकार सुरिंदर बाघा, डीन लवली प्रोफेशनल यूनीवर्सिटी आर्किटेक्ट अतुल सिंगला, आईआईए पंजाब चैप्टर के चेयरमैन संजय गोयल मौजूद थे। जालंधर सेंटर के चेयरमैन जेजे ने सभी मेहमानों का स्वागत किया।
52 साल बाद गुरु-शिष्य मिले तो उमड़ पड़ी भावनाएं
वर्ष 1966 में प्रख्यात आर्किटेक्ट राज रेवाल (84 साल ) जब दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में प्रोफेसर थे, तब जालंधर में आर्किटेक्ट की पहली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाले 73 वर्षीय आर्किटेक्ट नरेन्द्र अरोड़ा उसी स्कूल में रेवाल के शिष्य थे। 52 साल के बाद शुक्रवार को प्रोफेशनल मीट में दोनों गुरु-शिष्य भावपूर्ण ढंग से गले मिले तो भावनाओं का ज्वार दोनों की आंखों में आंसू बनकर छलक पड़ा। नरेन्द्र अरोड़ा ने कहा कि राज सर बिलकुल नहीं बदले। आज भी वे 52 साल पुराने वाले राज सर ही हैं। अपने शिल्प के बल पर दुनिया को रिझाने वाले राज भी सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने के बावजूद अपनी धरती पर आए तो उनकी आंखे कुछ देर तक होशियारपुर के आर्किटेक्स को तलाशती रहीं, जैसे ही होशियारपुर के आर्किटेक्ट सामने आए तो उन्हें गले लगा लिया। खुद राज भी यहीं के हैं।