वसूली के खेल में फैल रही संडे मार्केट
संडे मार्केट में अवैध वसूली का खेल चल रहा है। यह वसूली निगम नहीं बल्कि दुकानदारों की तरफ से की जाती है। इसी वसूली के लालच में संडे मार्केट का दायरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।
शाम सहगल, जालंधर
संडे मार्केट में अवैध वसूली का खेल चल रहा है। यह वसूली निगम नहीं बल्कि दुकानदारों की तरफ से की जाती है। इसी वसूली के लालच में संडे मार्केट का दायरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। दुकानदार अपनी दुकान के आगे फड़ी लगवा जेब भरने में लगे है और निगम के तहबाजारी विभाग ने इसे अवैध बताकर पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधी हुई है। निगम अधिकारियों की मिलीभगत से ही इस अवैध धंधे को अंजाम दिया जा रहा है। किसी समय भगवान वाल्मीकि चौक से शेखां बाजार की हद तक महज 500 फड़ियां लगती थी। अब बेरोकटोक व अच्छे कारोबार के चलते यह दायरा बढ़कर अब दो हजार फड़ियों तक पहुंच गया। अब भगवान वाल्मीकि चौक से लेकर रैनक बाजार, सैंदां गेट, शेखां बाजार व कलां बाजार से होते हुए गुड़ मंडी तक फड़ी लगती है। तंग बाजारों में भी दुकानों व चौराहों को नहीं छोड़ा गया। वहां के रेट भी फिक्स हैं। संडे मार्केट का दायरा बढ़ने के कारण यहां जाम, छेड़खानी व लूटपाट की घटनाएं बढ़ गई है। रविवार के दिन तो कोई व्यक्ति वाहन लेकर इस दायरे में नहीं आ सकता। चैन या बाली झपटने की वारदात को आम हो गई है। जटिल औपचारिकताओं के चलते अधिकतर मामले पुलिस चौकी तक पहुंचते ही नहीं। हर सप्ताह रैनक बाजार व शेखां बाजार में सड़क के दोनों तरफ सात फुट तक कब्जा कर लिया जाता है। शेष बची छह फुट सड़क पर एक बार किसी वाहन के फंस जाने के बाद लंबे समय तक जाम रहता है। जरूरत का हर सामान फड़ी पर, हजारों की भीड़ पर कार्रवाई नहीं
कपड़ों से लेकर शूज व हैंडलूम से लेकर रेडीमेड सहित हर सामान फड़ियों पर इस मार्केट में मिल जाएगा। हर सप्ताह हजारों की संख्या में लोग पहुंचते है। शाम चार बजे के बाद तो पैर रखने की जगह नहीं मिलती। वाल्मीकि चौक पर पुलिस का नाका भी लगा है लेकिन उसके बावजूद न तो पुलिस प्रशासन ने कभी गंभीरता दिखाई है और न निगम ने। .अब तो बोली लगने लगी, सबसे महंगा रेट टिक्की वाले चौक का
जगह के मुताबिक दुकानदारों द्वारा परोक्ष रूप से बोली लगाई जाती है। जो बोली अधिक देता है दुकान के आगे फड़ी लगा सकता है। यह दाम दुकान का साइज, लोकेशन व आगे की सड़क के मुताबिक निर्धारित की जाती है। इन दिनों शेखां बाजार में 500 से 700 रुपये, रैनक बाजार में एक हजार से 1500 रुपये व टिक्की वाला चौक में 1500 से लेकर दो हजार रुपये प्रतिदिन की वसूली की जाती है।
--------------------------- घरों में दुबके रहते हैं रिहायशी इलाकों के लोग
संडे मार्केट के दायरे में घोड़े वाला चौक, तेल वाली गली, रास्ता मोहल्ला, छोटा शेखां बाजार, कोट छिबिया, छोटा अली मोहल्ला सहित कई घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके है। लोग रविवार के दिन घरों में दुबकने को विवश है। एसोसिएशन सीमित दायरे में बाजार लगाने के हक में
संडे मार्केट को लेकर मार्केट एसोसिएशन एक सीमित दायरे में बाजार लगाने के हक में है। बाजार शेखां शापकीपर एसोसिएशन के प्रधान हरप्रीत सिह का कहना है कि संडे मार्केट में भीड़ की आड़ में कई बार शरारती तत्व सक्रिय हो जाते हैं। कोरोना काल के बाद कारोबार ट्रैक पर आ रहा है ऐसे में यह बाजार दायरे में ही लगाने की इजाजत दी जानी चाहिए। राजकुमार शर्मा बताते हैं संडे मार्केट का स्थान व दायरा निर्धारित किए जाने की जरूरत है। यह है विकल्प
संडे मार्केट को पटाखा मार्केट की तरह जिले के किसी खुले इलाके में शिफ्ट करना बेहतर विकल्प है। इससे लोगों को तो राहत मिलेगी। निगम के लिए रेवेन्यू का साधन भी बन बन जाएगा। अधिकारी बोले, अवैध है संडे मार्केट
निगम के तहबाजारी विभाग के सुपरिटेंडेंट मनदीप सिंह बताते है कि संडे मार्केट को निगम की तरफ कोई मंजूरी नहीं दी गई है। यहीं कारण है कि निगम यहां कोई वसूली नहीं करता। अवैध रूप से लग रही इस मार्केट को लेकर विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद समाधान निकाला जाएगा।