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रॉ मटीरियल की कीमतें बढ़ीं, ऑटो पाट्र्स होंगे 5 फीसद महंगे

दो-तीन महीने में स्टील की कीमतों में 10 से 15 फीसद बढ़ोतरी हुई है। इसके कारण अॉटो पाट्र्स महंगे हो सकते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 11:50 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 09:01 PM (IST)
रॉ मटीरियल की कीमतें बढ़ीं, ऑटो पाट्र्स होंगे 5 फीसद महंगे
रॉ मटीरियल की कीमतें बढ़ीं, ऑटो पाट्र्स होंगे 5 फीसद महंगे

जालंधर [कमल किशोर]। केंद्र सरकार की ओर से रॉ मटीरियल पर नीति नहीं बनाने के चलते हर महीने रॉ मटीरियल के दाम बढ़ रहे हैं। अब ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के चलते इंडस्ट्री में रॉ मटीरियल नहीं पहुंच रहा है। दो-तीन महीने में स्टील की कीमतों में 10 से 15 फीसद बढ़ोतरी हुई है। स्टील प्राइस और स्टेनलेस स्टील पर ड्यूटी से विदेशी स्टील महंगा हो जाता है।

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उद्यमी महंगा स्टील खरीदने में रुचि नहीं दिखाते। उन्हें घरेलू स्टील कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो अपनी मर्जी से कीमत बढ़ा देती हैं। यही आलम ऑटो पाट्र्स इंडस्ट्री का है। स्क्रैप, पिग आयरन, सिलिकॉन, मैगनीजियम व कार्बन रॉ मटीरियल की कीमतों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। ट्रेडर्स रॉ मटीरियल की कीमतों को पूल कर अपनी मर्जी से कीमत बढ़ा देते हैं।

ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल ने रॉ मटीरियल के महंगे होने पर असर डाला है। रॉ मटीरियल की कीमतें बढ़ने से ऑटो पाट्र्स इंडस्ट्री के उत्पाद 5 प्रतिशत महंगे होंगे। जिले में 100 इंडस्ट्रीज है जो प्रति वर्ष 1500 करोड़ का कारोबार करती है। पहले स्क्रैप 32000 रुपये प्रति टन था जो अब 35000 रुपये पहुंच गया है।

ईईपीसी के रीजनल डिप्टी डायरेक्टर ओपिंदर सिंह ने कहा कि दो-तीन महीने पर रॉ मटीरियल में तेजी आई है। रॉ मटीरियल महंगा होने के कारण क्रूड ऑयल, लोहा, निक्कल, पेट्रोल व डीजल की कीमतों में उतार चढ़ाव है। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के चलते रॉ मटीरियल नहीं आ रहा है। अगर ट्रेन से मंगवाते हैं तो ट्रांसपोर्ट चार्जेस अधिक होंगे और समय ज्यादा लगेगा। रॉ मटीरियल महंगा पड़ेगा।

यह उत्पाद हो सकते हैं महंगे

रिम, इंजन, नट्ट बोल्ट, टाई रोड एंड, बैयरिंग, वैशिस, पंप, इलेक्ट्रिकल गैजेट, कट ऑउट वाइपर, चेसी पार्ट, हिजिंस, डैश बोर्ड, शॉकर, स्प्रिंग, सस्पेंशन

बिना प्रॉफिट के आर्डर ले रही इंडस्ट्री : गोकुल कपूर

जेएमपी इंडस्ट्री के डायरेक्टर गोकुल कपूर ने कहा कि रॉ मटीरियल महंगा होने की वजह से उत्पाद 5 प्रतिशत महंगा होने की उम्मीद है। बायर पुरानी कीमत पर ही आर्डर दे रहा है। बिना प्रॉफिट कमाए इंडस्ट्री काम कर रही है। ट्रेडर्स अपनी मर्जी से रॉ मटीरियल को पूल कर लेते हैं।

घरेलू स्टील इंडस्ट्री बढ़ा देती हैं कीमतें: शरद अग्रवाल

ओके टूल्स के एमडी शरद अग्रवाल ने कहा कि रॉ मटीरियल पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। रॉ मटीरियल की कीमतें बढऩे से उत्पाद की कीमतें बढ़ जाती है। बायर आर्डर देता है लेकिन गिनती कम हो जाती है। स्टील की कंपनियों की बात करें तो घरेलू इंडस्ट्री पर निर्भर है जिसकी वजह से घरेलू स्टील इंडस्ट्री कीमतें बढ़ा देती है।

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