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किसी कीमत पर नहीं होने देंगे रेलवे का निजीकरण

रेलवे के इतिहास में 1974 में सबसे बड़ी रेल स्ट्राइक 20 दिन की हुई थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 07:08 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 07:08 PM (IST)
किसी कीमत पर नहीं होने देंगे रेलवे का निजीकरण
किसी कीमत पर नहीं होने देंगे रेलवे का निजीकरण

जागरण संवाददाता, जालंधर : रेलवे के इतिहास में 1974 में सबसे बड़ी रेल स्ट्राइक 20 दिन की हुई थी। अगर केंद्र सरकार ने रेलवे के निगमीकरण-निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया तो एक बार फिर से उससे भी बड़ी स्ट्राइक की जाएगी।

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ये बात रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला के कर्मचारियों की सभी यूनियन व एसोसिएशन की संयुक्त आरसीएफ बचाओ संघर्ष कमेटी ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कही। केंद्र सरकार की नीति को कोसते हुए नेताओंने संघर्ष का ऐलान किया। नेताओं का कहना था कि 2006 में भी रेलवे को प्राइवेट हाथों में सौंपने के फैसले पर विचार शुरू हुआ था, तब भी प्रदर्शन किया था। अब फिर से ऐसा करने की कोशिश की गई तो इस बार लड़ाई आर पार की होगी। ये मुद्दा चंद लोगों का नहीं बल्कि 12.50 लाख मुलाजिमों का है।

इस दौरान कमेटी के कन्वीनर जसवंत सिंह सैनी ने कहा कि रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने 18 जून को पत्र जारी कर रेलवे में 100 दिन के एक्शन प्लान के तहत 31 अगस्त तक प्राइवेट कंपनियों के हाथों में रेलवे को बेचने का प्रपोजल बनाया है। उन्होंने कहा कि किसी भी यूनिट को प्राइवेट कंपनियों को नहीं सौंपा जा सकता। इसीलिए पहले देश भर में रेल कोच बनाए जाने वाले आरसीएफ सहित सातों यूनिट को इंडियन रेलवे रोलिग स्टॉक कंपनी बनाया जा रहा है। अकेले आरसीएफ में ही 90 से 95 तरह के 36 हजार से अधिक कोच बनाए जा चुके हैं। विदेशों में भी कोच व बोगियां बनाकर एक्सपोर्ट की जा चुकी हैं। हर टार्गेट पूरा करने पर सभी यूनिट फायदे में हैं, फिर भी उन्हें प्राइवेट हाथों में देना गलत है।

सेक्रेटरी जसवजीत सिंह ने कहा कि आरसीएफ की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के मध्य हुए समझौते के तहत 17 अगस्त 1985 को रखी गई थी। तब किसानों ने सस्ते दाम में अपनी उपजाऊ भूमि को योगदान के रूप में दिया था। फैक्ट्री में हजारों नौजवानों को रोजगार मिलने से पंजाब में शांति बहाल हुई है। रेल कोच फैक्ट्री को एशिया का सबसे बड़ा कारखाना होने का गौरव प्राप्त है। जिसे निजी हाथों में नहीं जाने देंगे। इसके लिए जरूरत पड़ी तो कड़ा संघर्ष किया जाएगा। इस मौके पर संघर्ष कमेटी में आरसीएफ रेलवे इंप्लाइज यूनियन के प्रधान परमजीत खालसा, मेन्स यूनियन के प्रधान राजबीर सिंह, मजदूर यूनियन के प्रधान सुरेशपाल, कर्मचारी संघ के प्रधान राजेश ठाकुर, इंजीनियर एसोसिएशन के सचिव नागेश यादव, आइआरटीएसए के प्रधान दर्शन लाल, एससी एसटी एसोसिएशन के कैशियर दर्शन लाल, ओबीसी एसोसिएशन के प्रधान उमा शंकर और यूरिया के महासचिव सुखवीर सिंह, इंजीनियरिग एसोसिएशन के महासचिव रमन जैन आदि मौजूद थे। लक्ष्य से ज्यादा ही किया है उत्पादन

वर्ष-टार्गेट-उत्पादन

2014-15-1593-1582

2015-16-1596-1616

2016-17-1488-1489

2017-18-1250-1251

2018-19-1374-1350


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