Ayodhya Special: तरनतारन के कसेल में था प्रभु श्रीराम का ननिहाल, मोगा के जनेर में ससुराल!
लोगों की मान्यता है कि तरनतारन का कसेल गांव भगवान श्रीराम के नाना का पुश्तैनी गांव कौशलपुरी था। वहीं मोगा का जनेर माता सीता के पिता जनक की राजधानी जनकपुर थी।
जालंधर, [दुर्गेश मिश्र]। अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर श्री राम और उनसे जुड़े स्थलों की चर्चा इस समय जोरों पर है। ऐसे ही स्थानों में से तरनतारन जिले का गांव कसेल और मोगा जिले का गांव जनेर शामिल हैं। जनश्रुति के अनुसार दोनों स्थानों का संबंध रामायण काल से रहा है। कसेल भगवान श्रीराम के नाना का पुश्तैनी गांव कौशलपुरी था। जनेर माता सीता के पिता जनक की राजधानी थी, जिसका प्राचीन नाम जनकपुर था। दोनों गांवों की बीच में करीब 250 किमी का फासला है। इन दोनों गांवों मिट्टी भी श्री राम मंदिर निर्माण प्रयोग होने के लिए अयोध्या ले जाई गई है। हालांकि, इतिहासकार ग्रामीणों के दावों को तर्कसंगत नहीं मानते हैं।
जनआस्था : कसेल के शिवमंदिर में माता कौशल्या करती थीं पूजा
अमृतसर से 22 किमी की दूर स्थित है गांव कसेल। ग्रामीणों का कहना है कि त्रेता युग में जिस कौशलपुरी का उल्लेख है, वह कौशलपुरी आज का कसेल है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर में माता कौशल्या पूजा करने आती थीं। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि महाराजा ने दान में जमीन और 1800 रुपये सालाना जागीर लगाई थी। मंदिर के पास ही स्थित एक प्राचीन तालाब है।
मोगा के गांव जनेर से मिला सिक्का। गांव जनेर से मिली भगवान विष्णु की प्रतिमा।
जनेर से मिली भगवान विष्णु की मूर्ति है मान्यता का आधार
मोगा से करीब 10 किमी की दूरी पर है गांव जनेर। टीले पर बसे इस गांव के बारे में मान्यता है कि यह गांव राजा जनक का नगर रहा है। गांव के लोगों के अनुसार यहां भगवान विष्णु की मूर्ति, मिट्टी बर्तनों के टुकड़े, ईंटें और सिक्के भी मिल चुके हैं। ग्रामीणों के अनुसार 1968 में गांव के ही गुरमेल सिंह के घर में खुदाई के दौरान भगवान विष्णु की मूर्ति मिली थी जो गांव के मंदिर में प्रतिष्ठापित है। वर्ष 1984-85 में एक स्थान पर खुदाई करते समय बड़े आकार के सिक्के और अन्य सामान भी मिला था।
जजनेर था जनेर का पुराना नाम
केंद्रीय विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त इतिहासकार डॉ. सुभाष परिहार कहते हैं कि जनेर का पुराना नाम जजनेर था, जो अपभ्रंश होकर जनेर हो गया। डॉ. परिहार के अनुसार 11वीं सदी के आरंभ में अल्बरुनी ने अपनी पुस्तक ‘अलहिंद’ में तत्कालीन भारत के रास्ते और पड़ावों का जिक्र करते हुए लिखा है कि महमूद गजनवी पंजाब के जजनेर में रुका था। जनेर और कसेल का संबंध रामायण काल से है या नहीं, इसके लिए शोध की जरूरत है। इसकी मान्यता के पीछे सिर्फ जनआस्था है।
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