ओवरस्पीड से हर साल दो हजार से ज्यादा मौतें, पंजाब सरकार ने और बढ़ा दी स्पीड लिमिट!
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने अप्रैल 2018 को नए सिरे से स्पीड लिमिट तय की थी। इसमें फोर लेन पर 100 किमी/घंटा नगर निगम क्षेत्र के भीतर 70 किमी/घंटा गति रखी गई थी।
जालंधर [मनीष शर्मा]। पंजाब में ओवरस्पीड से सड़क हादसों में हर साल दो हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं, लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। सरकार ने केंद्रीय परिवहन मंत्रलय द्वारा जारी स्पीड लिमिट के नोटिफिकेशन को हू-ब-हू राज्य में भी जारी कर दिया है। उसकी इस लापरवाही से प्रदेश में हाईवे ही नहीं बल्कि नगर निगम क्षेत्र में भी वाहनों की स्पीड लिमिट बढ़ गई है, जबकि इस कम करने की जरूरत थी।
राज्यों को यह अधिकार है कि वे अपने हिसाब से केंद्रीय परिवहन मंत्रलय के नोटिफिकेशन में संशोधन कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने की कोशिश नहीं की गई। हैरानी की बात तो यह है कि अस्पतालों के बाहर भी अलग से स्पीड लिमिट तय करने की कोशिश नहीं की गई। ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी भी यह जानते हैं कि ज्यादा स्पीड लिमिट खतरनाक हो सकती है। इसके बावजूद विभाग द्वारा करीब डेढ़ साल बाद भी इसमें बदलाव करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इससे पहले पंजाब सरकार ने 2007 में स्पीड लिमिट तय की थी। इसके बाद सिर्फ सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी को लेकर हाई कोर्ट के आदेश पर स्कूलों के बाहर स्पीड लिमिट तय की गई थी।
केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने छह अप्रैल 2018 को नए सिरे से स्पीड लिमिट तय की थी। इसमें फोर लेन पर 100 किमी प्रति घंटा, नगर निगम क्षेत्र के भीतर 70 किमी प्रति घंटा व अन्य सड़कों पर भी यही स्पीड लिमिट तय कर दी। नौ सीट से ज्यादा वाले वाहनों के लिए यह लिमिट क्रमश: 90 व 60 किमी प्रति घंटा, कॉमर्शियल के लिए क्रमश: 80 व 60 किमी प्रति घंटा और बाइक के लिए 80 व 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई। इसके बाद पंजाब ट्रांसपोर्ट विभाग ने 20 जुलाई 2018 को जो नोटिफिकेशन जारी किया उसमें एक भी बदलाव नहीं किया।
राज्यों को है गति सीमा तय करने का अधिकार
केंद्रीय परिवहन मंत्रलय ने अलग-अलग तरह की सड़कों पर विभिन्न वाहनों की अधिकतम स्पीड लिमिट तय करते हुए यह भी कहा था कि राज्य अपने यहां के हालात के हिसाब से इसे कम या ज्यादा कर सकते हैं। मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 112 के सब सेक्शन दो में इसकी व्यवस्था है, परंतु पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
स्कूलों व अस्पतालों के बाहर सुरक्षा से खिलवाड़
स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट की सख्ती के बाद सेफ स्कूल वाहन स्कीम बनाई गई थी। इसके तहत स्कूलों के बाहर अधिकतम स्पीड 30 किमी प्रति घंटा कर दी गई थी, लेकिन पंजाब सरकार के नोटिफिकेशन में यह स्पीड लिमिट 70 किमी प्रति घंटा कर दी गई। 2007 में स्कूलों के बाहर यह लिमिट 45 किमी प्रति घंटा तय की गई थी। अस्पतालों के बाहर कोई स्पीड लिमिट तय नहीं की गई।
एक किमी स्पीड बढ़ाने से 5% ज्यादा हादसों की आशंका
विश्व स्वास्थ्य संगठन के लीगल डेवलपमेंट प्रोग्राम के मेंबर हरप्रीत सिंह कहते हैं कि पूरे विश्व ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि अगर हम एक किमी प्रति घंटा स्पीड बढ़ाते हैं तो जानलेवा हादसों की आशंका पांच फीसद तक बढ़ जाती है। अगर स्पीड लिमिट में पांच फीसद की कमी करते हैं तो 30 फीसद तक जानलेवा हादसे घटाए जा सकते हैं। सरकार ने निगम हद के भीतर तक स्पीड लिमिट को बढ़ाकर 70 किमी कर दिया, जोकि पहले 50 किमी प्रति घंटा थी।
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