पंजाब की मासूम मानसी को दुर्लभ बीमारी, 4 वर्ष की उम्र में 32 किलो वजन, खेलते-खेलते फूल जाती हैं सांसें
अमृतसर की मानसी को अजीब बीमारी हो गई है। उसका वजन सामान्य बच्चों की तीन गुणा अधिक है। इस कारण वह पैरों पर नहीं चल पाती है। घुटनों के बल रेंगकर घर के आंगन में खेलती है। उसकी बहन चाहत को भी यही बीमारी थी।
नितिन धीमान, अमृतसर। एक और चाहत जिंदगी व नियति से आहत है। भारी-भरकम शरीर वाली चाहत तो आप सबको याद होगी। अमृतसर की चाहत की ढाई वर्ष की आयु में 2019 में मौत हो गई थी। उसका वजन ही उसकी मौत का कारण बना था। चाहत की तरह ही उसकी बहन मानसी भी इसी अवस्था से गुजर रही है। चार वर्षीय मानसी का वजन 32 किलोग्राम है।
अमृतसर के मोहकमपुरा क्षेत्र के झुग्गियांवाला चौक में रहने वाले सूरज व उसका परिवार बेटी चाहत की मौत के सदमे से अभी तक उबर नहीं सके हैं। उस पर मानसी भी चाहत की तरह ही अजीब बीमारी की चपेट में आ गई है। मानसी की शारीरिक बनावट सामान्य बच्चों की अपेक्षाकृत तीन गुणा अधिक है।
अल्प मात्रा में खाना खाती है मानसी
पिता सूरज बताते हैं कि वह आम बच्चों की तरह ही हंसती-खेलती है। खाना भी अल्प मात्रा में ही खाती है। चाहत की तरह ही मानसी रात को दस बजे सोने के बाद हर सुबह तीन बजे जग जाती है। वह हमें उठाकर खेलने की जिद करती है। घुटनों के बल रेंगकर घर के आंगन में खेलती है। खेलते-खेलते उसकी सांसें फूल जाती हैं और वह जमीन पर ही लेट जाती है। बाइक पर बैठने का उसे खूब शौक है। इसके अलावा उनके बड़े भाई बलविंदर के बेटे मलकीत का वजन भी अधिक है।
अनहोनी की आशंका से घबराता है मां का मन
सूरज की पत्नी रीनो के अनुसार मानसी पर चमड़ी की परत तेजी से चढ़ रही है। शारीरिक बनावट के अनुसार वह सोते समय जबरदस्त खर्राटे भरती है। रीनो बताती है कि उनकी कोख से बेटे ने भी जन्म लिया था, लेकिन वह चंद सांसें लेकर चल बसा। फिर चाहत हुई पर वह भी चली गई। अब मानसी को लेकर अनहोनी की आशंका से मन घबराता है।
जीएनडीएच में चल रहा उपचार
बच्ची का परिवार गुरुनानक देव अस्पताल में उसका उपचार करवा रहा है। वहां उसे लेप्टिन हाइपोथैलेमस नाम का रोग होना बताया गया है। डाक्टर उसकी डाइट में कार्बोहाइड्रेट का इस्तेमाल न करने की सलाह दे रहे हैं। इलाज निश्शुल्क हो रहा है, लेकिन यदि निजी अस्पताल में इलाज करवाया जाए तो इसमें लाखों खर्च होने का अनुमान है।
हारमोनल डिस्टर्बेंस से बढ़ता है वजन
सरकारी मेडिकल कालेज के शिशु रोग विषेशज्ञ डा. संदीप अग्रवाल कहते हैं कि ऐसे बच्चों का वजन हारमोनल डिस्टर्बेंस की वजह से बढ़ता है।
दैनिक जागरण के माध्यम से हुआ था चाहत का उपचार
चाहत का उपचार दैनिक जागरण के माध्यम से हुआ था। दैनिक जागरण में समाचार प्रकाशित होने के बाद बेंगलुरू के एक निजी अस्पताल ने चाहत के उपचार का जिम्मा उठाया था। चाहत का उपचार शुरू हुआ और उसका वजन भी कम होने लगा, पर दुर्भाग्यवश उसकी मौत हो गई थी।