श्रमिकों की किल्लत देख अपनाई तकनीक, पैडी ट्रांसप्लांटर और जीरो टिल ड्रिल मशीनों की तरफ बढ़ा रुझान
पैडी सीजन में कामगार नहीं मिल रहे। किसान कोई रिस्क नहीं लेना चाह रहे हैं और इसीलिए ज्यादातर ने जीरो टिल ड्रिल मशीन और पैडी ट्रांसप्लांटर मशीनें खरीदने के लिए आर्डर दे दिए हैं।
जालंधर, जेएनएन। कोरोना महामारी के कारण श्रमिकों की कमी से जूझ रहे किसान खेती की नई तकनीक की अपनाने लगे हैं। उन्होंने खेती बचाने के लिए प्रबंध करने शुरू कर दिए है। ज्यादातर किसान जीरो टिल ड्रिल मशीन और पैडी ट्रांसप्लांटर मशीनें खरीदने के लिए आर्डर दे चुके हैं।
पैडी ट्रांसप्लांटर तैयार करने वाले सेहरा फील्ड के इंद्रमोहन सिंह ने बताया कि उन्हें पिछले साल के मुकाबले पांच से दस गुणा काम ज्यादा मिला है। अपने जिले के अलावा कपूरथला, होशियारपुर व मोहाली से भी किसानों ने मशीनें तैयार करने के आर्डर दिए हैं। उन्हें अभी तक 50 से अधिक मशीनों के आर्डर मिल चुके हैं। इससे पहले 5-10 मशीनों के आर्डर ही मिलते थे। मशीनों के आर्डर ज्यादा आने के बाद उन्हें तैयार करने में लेबर की कमी की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
जीरो टिल ड्रिल मशीन तैयार करने वाली कंपनी अमर एग्रीटेक के प्रीतइंद्र सिंह के अनुसार उन्हें 28 जीरो टिल ड्रिल मशीनें तैयार करने का आर्डर मिला है। इसमें से अधिकांश सप्लाई हो चुकी है। सरकार ने दस जून के बाद धान लगाने के आदेश जारी किए है। लेकिन अब कोरोना के संकट की मार झेल रहे श्रमिक अपने गांव लौट गए। मजदूरों की कमी के चलते मशीनों के आर्डर जल्दी दिए थे जिसे समय से पहले उन्होंने पूरा कर दिया है। पैडी ट्रांसप्लांटर तैयार करने के लिए कास्ट आयरन और शीट मेटल की जरूरत पड़ती है पर ढलाई वाली फैक्ट्रियां बंद रहने के कारण कच्चा माल मिलनेे में देरी से मशीनें बनाने में समय लग रहा है।
40 से 50 फीसद तक दी जाती है सब्सिडी
मुख्य खेती अफसर डॉ. सुरेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रांसप्लांटर द्वारा किसानों को धान की सीधी बिजाई करने को उत्साहित करने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उक्त मशीनों पर सब्सिडी लेने के लिए किसानों को 10 मई तक आवेदन करने के लिए कहा गया था। जिले से 125 के करीब किसानों के आवेदन मिले है। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार व खेती विभाग की ओर से सामान्य वर्ग के किसानों को एक मशीन पर 40 फीसद और पिछड़े वर्ग से संबंधित किसानों को 50 फीसद सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी हासिल करने के लिए किसानों को विभाग को मशीन का बिल जमा करवाना होता है। उसके बाद सब्सिडी किसान के खाते में सीधी जमा होती है। उन्होंने कहा कि इस बार जिले में 1.73 लाख हेक्टेयर रकबे पर धान की खेती करने का लक्ष्य है। इसमें से 15 फीसद के करीब किसान धीन की सीधी बिजाई कर रहे है। नई तकनीक के चलते किसान रिस्क लेने से कतरा रहा है।