Move to Jagran APP

Punjab Election 2022 : जालंधर में बागी नेता बिगाड़ेंगे कइयों का खेल, मैदान में उतर सकते हैं भाजपा के भी चेहरे

Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022 विधानसभा चुनाव में इस बार बागियों का बोलबाला रहना तय है। सियासी दलों में बागियों ने झंडा बुलंद करना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के अलावा बहुजन समाज पार्टी भी बगावत का सामना करेगी।

By Vinay KumarEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:18 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 07:07 PM (IST)
Punjab Election 2022 : जालंधर में बागी नेता बिगाड़ेंगे कइयों का खेल, मैदान में उतर सकते हैं भाजपा के भी चेहरे
Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022 जालंधर में बागियों की बगावत कइयों का खेल बिगाड़ेगी।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। विधानसभा चुनाव में इस बार बागियों का बोलबाला रहना तय है। अभी से विभिन्न सियासी दलों में बागियों ने झंडा बुलंद करना शुरू कर दिया है। अगर समय रहते पार्टियों ने इन्हें नहीं संभाला तो यह पार्टी के उम्मीदवारों के लिए सिरदर्द साबित होंगे। आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी के अलावा बहुजन समाज पार्टी भी बगावत का सामना करेगी।

loksabha election banner

सबसे पहले आम आदमी पार्टी के नेताओं ने की बगावत

वेस्ट से टिकट के दावेदार डा. शिवदयाल माली व सेंट्रल हलके के दावेदार डा. संजीव शर्मा ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। वहीं जोगिंदर पाल ने दल बदल कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। डा. माली व डा. शर्मा को मनाने में फिलहाल आम आदमी पार्टी सफल नहीं हो पाई है। नतीजतन मौके का फायदा लेते हुए कांग्रेस, भाजपा तथा अकाली दल ने भी दोनों नेताओं पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।

डा. माली ने कोरोना काल से लेकर अभी तक वेस्ट हलके के साथ-साथ पंजाब के विभिन्न जिलों में घूम-घूम कर केजरीवाल के दिल्ली माडल से लेकर हेल्थ सिस्टम का चुनाव प्रचार किया था। यही काम डा. संजीव शर्मा ने भी किया था। दोनों को ही टिकट नहीं दिया गया, जिसके चलते दोनों बागी हो चुके हैं। बीते दिनों प्रेस क्लब में आप पंजाब के सह प्रभारी राघव चड्ढा की प्रेस कांफ्रेंस में पहुंचकर उनका खुलेआम विरोध भी किया गया था। फिलहाल दोनों सीटों से आप ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

कांग्रेस में भी थम नहीं रही बगावत

कांग्रेस में भी दावेदारों की बगावत थमने का नाम नहीं ले रही है। खास तौर पर सेंट्रल हलके से राजिंदर बेरी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मेयर जगदीश राजा व उनके करीबी आधा दर्जन से अधिक पार्षदों ने बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है। यही हाल जालंधर कैंट में भी चल रहा है। परगट सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद टिकट की उम्मीद में पांच सालों से सियासत कर रहे करतारपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन राणा रंधावा सहित दो अन्य दावेदार अंदरखाते बगावत करने में जुटे हुए हैं। परगट सिंह मौजूदा शिक्षा व खेल मंत्री हैं तथा संगठन के महासचिव भी। अपना टिकट भी परगट ने बढ़े हुए कद के दम पर हासिल कर लिया है, लेकिन अंदरखाते बगावत करने वाले नेताओं को कैसे मना पाएंगे, यह उनके लिए भी बड़ी चुनौती बनने वाला है।

फिल्लौर हलके से पांच व करतारपुर से एक कुल छह बार विधायक रहे सरवण सिंह फिल्लौर ने भी विक्रमजीत सिंह चौधरी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बगावत का झंडा बुलंद कर शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) का दामन थाम लिया है। यही हाल आदमपुर का है। यहां से टिकट कटने के बाद मोहिंदर सिंह केपी ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। नकोदर में बगावत की आग अभी से सुलगने लगी है, जबकि टिकट की घोषणा अभी तक नहीं की गई है। पूर्व मंत्री अमरजीत सिंह समरा, डा. नवजोत दहिया, अश्वन भल्ला, हैप्पी संधू, दर्शन सिंह टाहली, केवल सिंह तक्खर, जसवीर सिंह उप्पल जैसे कद्दावर दावेदारों के बीच पार्टी यहां से पैराशूट उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है।

सुखबीर ने बगावत रोकने के लिए कसी कमर

शिरोमणि अकाली दल भी बगावत की आग में झुलस रहा है। विभिन्न सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही बगावत अकाली दल में ही शुरू हुई थी। जालंधर की सेंट्रल, कैंट, शाहकोट व करतारपुर सीटों पर अकाली दल भी बगावत से जूझ रहा है। करतारपुर से कद्दावर नेता सेठ सतपाल मल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। सेठ सतपाल मल करतारपुर से पिछले चुनाव में अकाली दल के उम्मीदवार रह चुके हैं।

सेंट्रल हलके से भी पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर रखा था। हालांकि सुखबीर ने समय रहते कूटनीति करके भाटिया को मना लिया है और चुनाव प्रचार के काम में लगा भी दिया है। लेकिन भाटिया अंदरखाते एक हलके तक ही सीमित होकर रह गए हैं। कैंट हलके में भी अकाली दल बगावत से जूझ रहा है। अकाली दल के पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ ने टिकट न मिलने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया है।

साथ ही मक्कड़ ने कैंट से चुनाव लड़ने की दावेदारी भी पेश कर दी है। उधर, शाहकोट में भी अकाली दल को अंदरखाते बगावत झेलनी पड़ी थी, लेकिन सुखबीर ने खुद को उम्मीदवार के रूप में पेश करना शुरू करके बगावत को पहले ठंडा किया और उसके बाद दिवंगत अजीत सिंह कोहाड़ के पोते बिचित्र सिंह कोहाड़ को उम्मीदवार बना दिया। वहीं आप से अकाली दल में आए डा. अमरजीत सिंह को भी समझा-बुझाकर शांत कर दिया।

भाजपा में भी सुलग रही है बगावत की आग

पंजाब में पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ने जा रही भारतीय जनता पार्टी ने बगावत को शांत करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस तथा शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन कर लिया है। इसके बावजूद विभिन्न सीटों पर पिछले पांच सालों से चुनाव लडऩे को लेकर अपनी जमीन तैयार करने में जुटे भाजपा के तमाम नेताओं में अंदरखाते बगावत की आग का धुआं निकलना शुरू हो चुका है। हालांकि अभी तक पार्टी ने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है, बावजूद इसके टिकट की आस लगाए बैठे कई दावेदार बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं।

भाजपा में सबसे बड़ी बगावत कैंट हलके में दिखाई पड़ सकती है। यहां पर एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यह सीट पहले गठबंधन में अकाली दल के खाते में होती थी। इस बार इस सीट से भाजपा अपना उम्मीदवार उतारेगी। नतीजतन कई भाजपा नेताओं ने इस सीट से दावेदारी ठोक रखी है। इनमें भाजपा के आइटी सेल के प्रदेश इंचार्ज अमित तनेजा, प्रदेश प्रवक्ता दीवान अमित अरोड़ा, जिला भाजपा देहाती के प्रधान अमरजीत सिंह अमरी, सरबजीत सिंह मक्कड़ तथा मोंटी गुरमीत सहगल मुख्य नाम हैं। इनमें से टिकट किसी एक को ही मिलनी है। नतीजतन बाकियों को मनाना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। सेंट्रल से प्रदेश सचिव अनिल सच्चर, पार्षद शैली खन्ना, किशन लाल शर्मा ने दावा ठोक रखा है। हालांकि इस सीट से भाजपा के कद्दावर नेता मनोरंजन कालिया पिछले कई चुनावों से खड़े होते रहे हैं और सबसे बड़ी दावेदारी भी उन्हीं की है।

नार्थ हलके में भी पूर्व सीपीएस व पूर्व विधायक केडी भंडारी के अलावा पूर्व मेयर व प्रदेश भाजपा उपप्रधान राकेश राठौर, जिला प्रधान सुशील शर्मा, पूर्व मेयर सुनील ज्योति, नवल किशोर कंबोज तथा मिंटा कोछड़ ने दावे कर रखे हैं। टिकट किसे मिलेगी, अभी तय नहीं है, लेकिन राठौर का सियासी भविष्य यही चुनाव तय करेगा। साथ ही उम्मीदवार की घोषणा के बाद बाकी दावेदारों को मना पाना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। वेस्ट हलके में भी भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ सकता है। यहां से बाहुल्य भगत समाज से मोहिंदर भगत व विजय सांपला के करीबी रोबिन सांपला ने दावे ठोक रखे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के बागी मोहिंदर सिंह केपी को अगर पार्टी सीट से उतारती है तो बगावत होना तय है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.