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पंजाब में बसों को चलाना हुआ मुश्किल, कम किराया और रियायतों ने बढ़ाई आपरेटर्स की परेशानी

सरकारी बसों में महिलाओं को निःशुल्क यात्रा की सुविधा निजी आपरेटरों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है। महिलाओं के साथ सफर करने वाले पुरुष यात्री भी सरकारी बस में ही सफर कर रहे हैं। फ्री यात्रा के कारण सरकार को भी आमदनी नहीं हो पा रही है।

By Manupal SharmaEdited By: Pankaj DwivediPublished: Tue, 27 Sep 2022 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 01:15 PM (IST)
पंजाब में बसों को चलाना हुआ मुश्किल, कम किराया और रियायतों ने बढ़ाई आपरेटर्स की परेशानी
सरकारी नीति के कारण निजी और सरकारी दोनों बस आपरेटर्स नाखुश हैं। जागरण

मनुपाल शर्मा, जालंधर। प्रदेश मे बस सफर के लिए कम किराया और सरकारी बसों में बढ़ रही रियायतें समूचे बस ट्रांसपोर्ट सेक्टर को परेशानी में डाल रही हैं। इस कारण निजी के अलावा सरकारी आपरेटर (पंजाब रोडवेज एवं पीआरटीसी) भी परेशान हैं। निजी आपरेटरों का तर्क है कि डीजल की कीमतें 86 रुपये प्रति लीटर से भी आगे जा पहुंची हैं। सरकारी बस स्टैंड निजी हाथों में सौंपे जा चुके हैं, जिसके चलते भारी-भरकम अड्डा फीस देनी पड़ रही है और टोल देना तो अब मुश्किल ही होता जा रहा है।

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सरकारी बसों में महिलाओं को निःशुल्क यात्रा की सुविधा निजी आपरेटरों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा रही है। महिलाओं के साथ सफर करने वाले पुरुष यात्री भी सरकारी बस में ही सफर कर रहे हैं। पंजाब मोटर यूनियन बैंक पदाधिकारी एवं गगनदीप बस सर्विस के संचालक संदीप शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार लगातार बस आपरेटरों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। यही वजह है कि अब आपरेटर अपनी बसें बेचने तक को मजबूर हो गए हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं है जब बस कंपनियों पर ताले लग जाएंगे।

दूसरी तरफ, अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर पंजाब रोडवेज के अधिकारियों का कहना है कि पंजाब रोडवेज की बसों में भारी-भरकम रश तो उमड़ रहा है, लेकिन सरकार को नियमित तौर पर पैसा मिल नहीं रहा है। महिला यात्रियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है, इस कारण रोडवेज की आमदनी नहीं हो पा रही है।

अब कर्मचारियों की समय पर वेतन अदायगी और डीजल खरीद पाना भी भारी चुनौती बन गया है। रोडवेज अधिकारियों का तर्क है कि पिछली कांग्रेस सरकार के शासनकाल में ही उन्होंने किराया बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन चुनावी वर्ष होने के कारण उसे नजरअंदाज कर दिया गया। अब महिलाओं की निःशुल्क यात्रा का अतिरिक्त भार रोडवेज और पीआरटीसी के ऊपर है, जिस कारण आमदनी नहीं हो पा रही है। 


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