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निजी कारिंदों के हवाले डीटीओ दफ्तर का सरकारी रिकॉर्ड

जागरण संवाददाता, जालंधर : डीटीओ दफ्तर में कई घोटाले सामने आने के बावजूद निजी कारिंदे सरका

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 03:01 AM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2017 03:01 AM (IST)
निजी कारिंदों के हवाले डीटीओ दफ्तर का सरकारी रिकॉर्ड
निजी कारिंदों के हवाले डीटीओ दफ्तर का सरकारी रिकॉर्ड

जागरण संवाददाता, जालंधर : डीटीओ दफ्तर में कई घोटाले सामने आने के बावजूद निजी कारिंदे सरकारी मुलाजिमों की तरह डंके की चोट पर सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करते हैं। बुधवार को जैसे ही निजी कारिंदों को दैनिक जागरण के कैमरे ने कैमरे में कैद करना शुरू किया, दफ्तर में भगदड़ मच गई। निजी कारिंदे ही नहीं बल्कि विभाग के क्लर्क तक सीटें छोड़कर भाग निकले।

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गौरतलब है कि ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट ट्रेक पर बने डीटीओ दफ्तर में दलालों व निजी कारिंदों का बोलबाला कम नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में ट्रैक व जिला प्रबंधकीय कॉम्पलेक्स स्थित दफ्तर में लगभग एक दर्जन निजी कारिंदे काम कर रहे हैं। इन्हीं कारिंदों के हवाले डीटीओ दफ्तर का पूरा सरकारी रिकॉर्ड होता है। बुधवार को ट्रैक स्थिति डीटीओ ऑफिस में जैसे ही दैनिक जागरण के कैमरे ने इन कारिदों को कैमरे में कैद करने की कोशिश की तो ये कारिंदे अपनी सीटें छोड़कर भाग खड़े हुए। निजी कारिंदे ही नहीं। सरकारी कर्मचारी भी सीटों से गायब हो गए। बाद में खाली पड़े दफ्तर में वहां अपने कामकाज के लिए पहुंचे लोग खुद ही फाइलों में अपनी फाइल की प्रोग्रेस तलाश करते देखे गए। सूत्रों का कहना है कि ये निजी कारिंदे लक्जरी गाड़ियों में सवार होकर आते हैं, इन्हें उनके काम का भुगतान भी संबंधित क्लर्क ही करते हैं।

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सवाल पूछने पर टालमटोल करते रहे एडीटीओ

इस संबंध में जब एडीटीओ प्यारा सिंह से पूछा तो उन्होंने बताया कि डीटीओ से बात क रें, इस मामले में वही कुछ बता सकते हैं। जब उन्हें बताया गया कि इस समय तो वही सारे कामकाज को देख रहे हैं तो इस पर उन्होंने फिर दलील दी कि डीटीओ ही बता पाएंगे। डीटीओ ने फोन अटेंड नहीं किया। सिस्टम में हो रहे बदलाव के चलते वे अपने ऑफिस में पहुंच भी नहीं रहे हैं।

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कारिंदे बने घोटालों के टूल

-पिछले साल जुलाई में सामने आया था लाखों का हैवी लाइसेंस घोटाला

-नंबर रिटेन घोटाला पीआईई-33 अमृतसर का नंबर जालंधर से जारी कर दिया गया, ये घोटाला भी पिछले साल अक्टूबर में सामने आया था।

-कॉलेज गोइंग लड़के अक्सर कुछ लड़कियों की स्कूटी के नंबर के आधार पर मात्र 100 रुपये प्राईवेट कारिंदों को लेकर उनके घर का पता आदि निकलवा लेते हैं।


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