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शहरनामाः निजी अस्पताल का बिल देख कोरोना मरीजों को आई Civil Hospital की याद

प्राईवेट अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की कोशिश है कि किसी भी तरह दोबारा सरकारी अस्पताल की शरण में जाएं और अपनी जेब कटने से बचाएं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 03:59 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 03:59 PM (IST)
शहरनामाः निजी अस्पताल का बिल देख कोरोना मरीजों को आई Civil Hospital की याद
शहरनामाः निजी अस्पताल का बिल देख कोरोना मरीजों को आई Civil Hospital की याद

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। फिलहाल कोरोना वायरस का खौफ पूरी दुनिया में फैला हुआ है। जालंधर भी उससे अछूता नहीं है। जालंधर में कोरोना से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तिहरे शतक के करीब है और इसके चलते नौ लोगों की मौत भी हो चुकी है। इन हालातों के बीच कोरोना के मरीजों की संख्या अभी भी बढ़ती ही जा रही है। सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था के चलते अब कई मरीज कोरोना का इलाज करवाने के लिए निजी अस्पतालों का रुख करने लगे हैं।

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बीते दिनों जालंधर में एक ही परिवार के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य संक्रमित पाए गए। उन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज की बजाय प्रशासन से गुहार लगाकर निजी अस्पताल का रुख कर लिया। हालांकि अब वे परेशान हैं। कारण, इन अस्पतालों में रोजाना का हजारों में बिल बन रहा है। मरीजों की कोशिश है कि किसी भी तरह दोबारा सरकारी अस्पताल की शरण में जाएं और अपनी जेब कटने से बचाएं।

जब क्लब ने कान घुमाकर पकड़ा

मामला शहर के सबसे प्रतिष्ठित जिमखाना क्लब से जुड़ा है। करीब ढाई महीने पहले कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए लगाए कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान जिमखाना क्लब को भी बंद कर दिया गया। अब क्लब को खोलने की कवायद में इसे पूरी तरह सैनिटाइज करवाया जा रहा है। ऐसे में क्लब को संचालित करने के लिए हुई बैठक में क्लब सदस्यों से वह धनराशि वसूलने की भी तैयारी कर ली गई, जिसकी सुविधा उन्होंने ली ही नहीं। प्रबंधकों की कोशिश है कि सदस्यों से एक साल की फीस एकसाथ जमा करवाई जाए और दो महीने की छूट दे दी जाए। सदस्यों को इस संबंधी मैसेज भी भेज दिए गए हैं। पोल तो तब खुली, जब क्लब के पुराने सदस्यों ने कहा कि यह फॉर्मूला तो सालों पुराना है। यह छूट तो पहले से ही मिलती रही है। अब क्लब फीस वसूली के लिए कान घुमाकर पकड़ रहा है।

मिली छूट, कॉलोनाइजरों ने की लूट

लॉकडाउन व कर्फ्यू लगाने के बाद से सरकार का राजस्व एकदम से कम हो गया। इसके बाद लोगों को सुविधाएं देते-देते खजाना भी खाली हो गया। अब जब शहर धीरे-धीरे खुलने लगा है तो राजस्व वसूली के लिए सरकार भी एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा रही है। सरकार ने ज्यादा राजस्व वसूली के लिए सबसे पहले जमीनों की रजिस्ट्री करवाने की छूट दी थी। साथ ही कॉलोनाइजरों को छूट दी गई कि वे नई कॉलोनियों का विकास शुल्क किश्तों में जमा करवा सकते हैं। फिर क्या था, तमाम कॉलोनाइजरों ने सरकार की छूट पर लूट मचा दी। उन्होंने नई कॉलोनियों में प्लॉट काटकर बेच दिए। खेल यह हुआ कि सिर्फ दस फीसद शुल्क जमा करवाया गया और पूरी-पूरी कॉलोनियां बेच दी गईं। समीक्षा में पता चला कि राजस्व एकत्र हुआ नहीं और लूट हो गई। अब ऐसी 26 कॉलोनियों पर डंडा चलना भी शुरू हो गया है।

ऑड-ईवन पर चुप्पी साथ गए चौधरी

लॉकडाउन को खोलने के मुद्दे पर जिले में प्रशासन व नेता कई बार आमने-सामने हुए। ढाई माह से ज्यादा समय से दुकानें बंद करके व्यापार में घाटा झेल रहे दुकानदारों पर प्रशासन ने ऑड-ईवन फार्मूला लागू कर दिया। इस पर दुकानदारों ने जमकर विरोध किया। इसके बाद इसी मुद्दे पर सियासत भी शुरू हो गई। प्रशासनिक अधिकारियों, विधायकों तथा सांसद की मौजूदगी में बैठक हुई। पहले तो सांसद चौधरी संतोख सिंह बैठक में प्रशासनिक अफसरों का साथ देते दिखाई दिए। उन्होंने यही कहा कि ऑड-ईवन फार्मूला पूरी तरह सही है। थोड़ी देर बाद जब विधायकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया तो अधिकारी व विधायक आमने-सामने हो गए। इन सबके बीच गेंद सांसद चौधरी के पाले में चली गई। अधिकारियों को तो यही उम्मीद थी कि चौधरी पहले किए वादे मुताबिक उन्हीं का साथ देंगे। लेकिन मौके की नजाकत को भांपते हुए वह चुप्पी साध गए।


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