वरियाणा में कूड़े से खाद बनाने के कारखाने को फिर चालने की तैयारी
वरियाणा डंप पर करीब 12 साल से बंद पड़े कूड़े से खाद बनाने के कारखाने को एक बार फिर शुरू करने की तैयारी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर
वरियाणा डंप पर करीब 12 साल से बंद पड़े कूड़े से खाद बनाने के कारखाने को एक बार फिर शुरू करने की तैयारी है। लोकल बाडी सेक्रेटरी और पीएमआइडीसी के सीईओ के दो दिन पहले जालंधर दौरे के दौरान इस पर भी चर्चा हुई है। इन अधिकारियों ने खुद भी डंप दौरा किया था और बंद पड़ी मशीनरी को शुरू करने के निर्देश दिए थे।
इससे पहले ही नगर निगम कमिश्नर कूड़े से खाद बनाने के कारखाने को शुरू करने के प्रयास अपने तौर पर शुरू कर चुके हैं। हाउस की मीटिग में भी यह मुद्दा उठाया था। करनेश शर्मा ने कहा था कि चंडीगढ़ में अफसरों से इस मुद्दे पर पहले ही बात कर चुके हैं। कारखाने को दोबारा शुरू करने के लिए कांट्रेक्ट कंपनी से बात जारी है। कमिश्नर ने कहा कि कंपनी काम शुरू करने के लिए फंड की मांग कर रही है। उन्होने कहा कि यह संभव नहीं है कि एडवांस पैसा दिया जाए, लेकिन कंपनी से काम करवाने के लिए कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कंपनी के डायरेक्टर धीरज घई का कहना है कि नगर निगम कूड़े की प्रोसेसिग फीस तय करे और लगातार भुगतान करे तो काम में कोई मुश्किल नहीं रहेगी। निगम की वजह से खराब हुई मशीनरी
ग्रो मोर कंपनी के डायरेक्टर धीरज घई का कहना है कि कारखाना शुरू करने के लिए बात चल रही है और संभावना है कि इसके सकारात्मक नतीजे आएंगे। उनका कहना है कि कारखाने को चलाने में मशीनरी को रिपेयर करने की जरूरत है। नगर निगम के डंप से पानी का रिसाव होने के कारण ही मशीनरी खराब हुई है। नगर निगम मशीनरी चलाने में मदद करे। डंप पर जमा है आठ लाख क्यूबिक टन कूड़ा
वरियाणा डंप पर कूड़े से खाद बनाने के प्रोजेक्ट पर अगर 2003 में ही काम शुरू हो जाता तो आज सरकार को 41 करोड़ रुपये नहीं खर्च करने पड़ते। शहर में रोजाना 500 टन कूड़ा निकल रहा है। अभी डंप पर आठ लाख क्यूबिक टन कूड़ा जमा है। वरियाणा डंप पर लगा कूड़े से खाद बनाने का प्लांट करीब 12 साल से बंद पड़ा है। करीब 15 साल पहले लगा यह प्लांट दो-तीन साल बाद ही बंद हो गया था। इसके बाद कई बार कारखाना चला, लेकिन कुछ दिन बाद ही बंद हो जाता था। गीला-सूखा कूड़े को अलग-अलग करने के लिए तैयारी नहीं था निगम
नगर निगम अब गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग करने पर जोर दे रहा है। ग्रो मोर कंपनी इस पर 15 साल पहले काम शुरू करना चाहती थी, लेकिन तब नगर निगम को यह तकनीक ठीक नहीं लगी थी। अगर यह काम 15 साल पहले शुरू कर दिया होता तो आज वरियाणा डंप पर कूड़े के पहाड़ नहीं होते।