संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी शुरू, सिविल में बनेगा बच्चों का 30 बेड का आईसीयू
कोरोना की दूसरी लहर में सामने आई कमियों से सबक लेते हुए जिला प्रशासन ने संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना की दूसरी लहर में सामने आई कमियों से सबक लेते हुए जिला प्रशासन ने संभावित तीसरी लहर के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा असर डालेगी इसलिए सेहत विभाग व जिला प्रशासन ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया। दूसरी लहर कमजोर पड़ते ही बच्चों के लिए निजी व सरकारी अस्पतालों की सेहत सुविधाओं को मजबूत किया जा रहा है।
इसके लिए सिविल अस्पताल में बच्चों के लिए तीस बेड का कोविड केयर आईसीयू बनाया जा रहा है। अलग से नोडल अफसर को भी तैनात किया गया है। उससे डिमांड मांगी गई है कि तीसरी लहर में बच्चों के इलाज के लिए किन-किन उपकरणों व स्टाफ की जरूरत होगी। निजी अस्पतालों में भी मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सर्वे शुरू किया गया है ताकि पता चल सके कि एक समय में कितने संक्रमित बच्चों को दाखिल किया जा सकता है। जिला प्रशासन ने भी आक्सीजन की किल्लत को पूरा करने के लिए सिविल अस्पताल में दूसरा आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए कहा है। निजी अस्पतालों को भी प्लांट लगाने की अपील की गई है। बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले वेंटीलेटरों की संख्या काफी कम होने की वजह से भविष्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए अभी से सरकार को डिमांड भेजी जा रही है।
------------ बाल रोग माहिर डाक्टरों की तैनाती होगी, अलग कमेटी गठित की गई है
सिविल अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. सीमा ने बताया कि एसएमओ व नोडल अफसर के साथ बैठक की गई है। सिविल की तीसरी मंजिल पर फीमेल सर्जिकल वार्ड को बच्चों के लिए कोरोना आईसीयू बनाया जाएगा। इनमें जो मरीज दाखिल है उन्हें छुट्टी मिलने के बाद इसे बच्चों के रिजर्व कर लिया जाएगा। सेंट्रलाइड आक्सीजन पाइप व बिजली फीटिग का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। बाल रोग माहिर डाक्टरों की तैनाती की जाएगी और ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ पहले ही है। वार्ड में आक्सीजन मास्क, वेंटीलेटर सहित अन्य डिमांड तैयार करने के लिए कमेटी गठित की गई है। डिमांड तैयार कर सेहत विभाग को भेजी जाएगी।
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काफी महंगे होते हैं बच्चों के वेंटीलेंटर, सरकार से करेंगे डिमांड
इंडियन अकादमी आफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के प्रधान डा. नीरज महाजन का कहना है कि जिले में बच्चों की बीमारियों का इलाज करने वाले 105 के करीब डाक्टर है। सेहत विभाग ने बच्चों का इलाज करने वाले सभी डाक्टरों से सुविधाओं को लेकर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट का आईएपी की टीम आकलन करेगी। इसके आधार पर अस्पतालों में सुविधाओं का दायरा बढ़ाया जाएगा। बच्चों में इस्तेमाल होने वाले वेंटीलेटर व सीपेप काफी मंहगे होने की वजह से हर अस्पताल के लिए खरीदना मुश्किल होगा। सरकार के सामने मांग उठाई जाएगी।
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निजी अस्पतालों को भेजे सर्वे में सौ से ज्यादा सवाल..ताकि किसी किस्म की कमी न रहे
आईएपी के नोडल अफसर डा. एसएस नांगल ने बताया कि तीसरी लहर को देखते हुए नेशनल कमिशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने अस्पतालों से बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सुविधाओं की रिपोर्ट मांगी है। इनमें उन्होंने 100 से भी ज्यादा सवाल किए है। अस्पताल में बच्चों के माहिर डाक्टरों की संख्या, एंस्थीसिया के माहिरों का विवरण, कितनी नर्से है, इनमें से कितनी ट्रेंड और कितनी नई शामिल है, लैब की सुविधा, लैब के स्टाफ की जानकारी, वेंटीलेटर, फोटोथेरेपी यूनिट, बेड, आक्सीजन सिलेंडर इत्यादि की जानकारी मांगी गई है। अस्पतालों को सर्वे लिस्ट भरने के लिए भेज दी गई है।