पनीरी तैयार, नहरी विभाग को किसानों का इंतजार
मानसून को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से धान लगाने के लिए निर्धारित तिथि नजदीक आने लगी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : मानसून को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की ओर से धान लगाने के लिए निर्धारित तिथि नजदीक आने लगी है। धान लगाने के लिए पनीरी खेतों में तैयार होने के कगार पर है। जिले में करीब दो फीसद रकबा नहरी पानी से सिचाई पर निर्भर है। दस जून के बाद खेतों में धान लगाने का काम शुरू हो जाएगा। इससे पहले धान लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
कृषि अधिकारी डॉ. नरेश गुलाटी ने कहा जिले में 1.73 लाख हेक्टेयर रकबे पर धान की खेती करने का लक्ष्य है। इसमें से 20 फीसद रकबे में किसान सीधी धान की बिजाई करने के हक में हैं। जिले में नहरी पानी से सिचांई करने वाले करीब दो फीसद रकबा है। इसमें आदमपुर, शाहकोट, फिल्लौर, नकोदर व शहर के आसपास के कुछ इलाके हैं। हालांकि इन इलाकों में नहरी पानी को विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। धान लगाने के बाद पड़ती है पानी की ज्यादा जरूरत
शाहकोट के किसान हरसुलिदर सिंह ने कहा कि पानी की जरूरत धान लगाने के बाद ज्यादा पड़ेगी। उससे पहले लेबर की किल्लत आ रही है। ज्यादातर इलाके में ट्यूबवेल लगे हुए हैं। बिजली खर्च कम करने के लिए नहर के किनारे वाले किसान नहरी पानी का इस्तेमाल करते हैं। नहरी पानी खेतों तक पहुंचाने के लिए उच्च प्रबंध किए गए हैं। पनीरी तैयार होने के बाद खेतों में लगाने से दो दिन पहले नहरी विभाग को सूचना देने पर पानी छोड़ा जाएगा। नहरी पानी इस्तेमाल करने वाले किसानों की संख्या काफी कम है। 1450 क्यूसिक पानी छोड़ने का लक्ष्य
नहरी विभाग के एक्सईएन दविदर सिंह ने कहा जालंधर मंडल में 800 किलोमीटर तक की नहर है। इसमें 80 फीसदी पक्की तथा 20 फीसदी कच्ची है। बरसात से पहले इनकी सफाई करवा दी गई है। जालंधर इलाके में 300 किलोमीटर नहर है। किसानों को धान की बिजाई के लिए 1450 क्यूसिक पानी छोड़ने का लक्ष्य है। पानी की बचत के लिए किसानों के साथ तालमेल किया गया है। पनीरी तैयार होने पर जैसे ही किसान खेत में लगाने के लिए तैयारी करेंगे उससे दो दिन पहले पानी नहरों में छोड़ दिया जाएगा।