Move to Jagran APP

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हुआ सख्त, अब लेदर इंडस्ट्रीज के जेनरेटर्स भी किए सील Jalandhar News

लेदर इंडस्ट्री से करीब पांच हजार लोग जुड़े हुए हैं। अदालत के फैसले के बाद इंडस्ट्रीज बंद होने से लेबर भी अब इंडस्ट्री संचालकों के साथ खड़ी नजर आ रही है।

By Edited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 07:26 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 10:41 AM (IST)
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हुआ सख्त, अब लेदर इंडस्ट्रीज के जेनरेटर्स भी किए सील Jalandhar News
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हुआ सख्त, अब लेदर इंडस्ट्रीज के जेनरेटर्स भी किए सील Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। अदालत की सख्ती से हरकत में आया सरकारी अमला अब लेदर इंडस्ट्री पर कार्रवाई कड़ी करता जा रहा है। शुक्रवार को लेदर इंडस्ट्रीज के बिजली के कनेक्शन काटे जाने के बाद शनिवार को इंडस्ट्रीज में लगे जेनरेटर भी सील कर दिए गए हैं। पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से शनिवार को यह कार्रवाई की गई।

loksabha election banner

पीपीसीबी के एक्सईएन अरुण काकड़ ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि कॉमन एफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) से जुड़ी तमाम 61 लेदर इंडस्ट्रीज को नोटिस जारी किए गए थे और शनिवार को इन्हीं इंडस्ट्रीज में लगे जेनरेटरों को भी सील कर दिया गया ताकि बिजली कनेक्शन कटने के बाद कोई जेनरेटर से बिजली लेकर यूनिट को चला ना सके। उन्होंने बताया कि 61 इंडस्ट्रीज में से अधिकतर के पास जेनरेटर की सुविधा थी और सभी जेनरेटर सील कर दिए गए हैं।

रिव्यू पिटीशन डालने की तैयारी

दूसरी तरफ अदालती आदेश के बाद राहत तलाश रही लेदर इंडस्ट्री की तरफ से रिव्यू पिटिशन डाले जाने की तैयारी का भी पता चला है। हालांकि पंजाब लेदर फेडरेशन समेत इंडस्ट्री संचालक अपनी आगामी रणनीति को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं। पता चला है कि रिव्यू पिटिशन में अदालत से राहत की गुहार लगाए जाने की तैयारी है और साथ ही इस बात का आश्वासन भी दिया जाएगा कि प्रदूषण नियंत्रण के तय मानकों के मुताबिक ही इंडस्ट्री तमाम इंतजाम करेगी।

लेबर भी हक में आई, आजीविका का दे रही हवाला

लेदर इंडस्ट्री से करीब पांच हजार लोग जुड़े हुए हैं। अदालत के फैसले के बाद इंडस्ट्रीज बंद होने से लेबर भी अब इंडस्ट्री संचालकों के साथ खड़ी नजर आ रही है। पता चला है कि अदालत से राहत लेने के लिए डाली जा रही रिव्यू पिटिशन में लेबर की तरफ से भी अपनी एवं अपने परिवार की आजीविका का हवाला देते हुए राहत की मांग की जाएगी। लेदर इंडस्ट्री की लेबर अपने स्तर पर भी पत्र लिख रही है।

इंडस्ट्रीज के अंदर ड्रमों में पड़ा चमड़ा हो सकता है खराब

इंडस्ट्री संचालकों के ध्यान में नहीं था कि अदालत इतना कड़ा फैसला ले सकती है और इंडस्ट्रीज को बंद करने के आदेश दे सकती है। परिसरों में रुटीन में लेदर को ट्रीटमेंट के लिए केमिकल या पानी में डुबोकर रखा गया था कि एकाएक इंडस्ट्रीज को बंद कर देना पड़ा। सरकारी अमला कुछ इस कदर सख्ती से पेश आया कि पहले दिन बिजली के कनेक्शन काटे गए और दूसरे दिन जेनरेटर भी सील कर दिए गए। इंडस्ट्री संचालकों को ट्रीटमेंट के लिए रखा चमड़ा संभालने तक का वक्त नहीं मिला। हालात यह हो गए हैं कि बिजली ना होने के चलते लेदर यूनिट्स में लेदर ट्रीटमेंट या लेदर बनाना तो दूर, दस्तावेज तक भी संभाल नहीं हो पा रहे हैं।

फिनिश्ड प्रोडक्ट बेचने वाले भी चिंता में

लेदर से तैयार होने वाले बूट, बेल्ट, पर्स इत्यादि फिनिश्ड प्रोडक्ट बेचने वाले भी लेदर इंडस्ट्रीज के बंद होने के बाद चिंता में घिरे हुए नजर आ रहे हैं। फिनिश्ड प्रोडक्ट बेचने वालों की तरफ से लेदर इंडस्ट्री को माल तैयार कराने के ऑर्डर भेजे गए थे, जो अब उन्हें समय पर तो नहीं मिल सकेंगे ऐसे में मार्केट में सामान की किल्लत आ सकती है।

महंगे हो सकते हैं लेदर के उत्पाद

जालंधर की मार्केट में लेदर की प्रोडक्शन बंद होने के बाद लेदर से तैयार होने वाले उत्पाद महंगे होने का अंदेशा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि स्थानीय मार्केट में से तो लेदर उपलब्ध होगा ही नहीं। अगर कानपुर या किसी अन्य शहर से लेदर मंगवाया जाएगा तो इसमें समय भी लगेगा और किराया भी देना होगा। इससे लेदर उत्पाद के महंगे हो जाने की प्रबल संभावना रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.