शहर के नेताओं को नहीं भाई डीसी की लोकप्रियता, बंद कमरों में निकाली भड़ास
अखबार से लेकर सोशल मीडिया तक खुद की जगह डीसी वरिंदर कुमार शर्मा की फोटो व खबरें देखकर नेता परेशान हो रहे हैं।
जालंधर, [मनीष शर्मा]। डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा की 'लोकप्रियता' नेताओं को रास नहीं आ रही। अखबार से लेकर सोशल मीडिया तक खुद की जगह डीसी की फोटो व खबरों से नेता परेशान हो रहे हैं। कांग्रेस के कई नेता व विधायक बंद कमरे में पार्टी नेताओं के आगे खुलेआम भड़ास निकाल चुके कि इनको कौन सा चुनाव लडऩा है?, जो मीडिया में छाए रहते हैं। खासकर कोरोना काल में तो नेता घरों में बंद हो गए, लेकिन अखबारों में छपने की छटपटाहट ना छूटी। खैर, कहते हैं बात निकली तो दूर तलक जाएगी, इसलिए सवाल डीसी तक भी पहुंचा। सीधे प्रतिक्रिया तो नहीं दी लेकिन समझाया जरूर कि कोरोना के समय बतौर जिला मजिस्ट्रेट यानि डीएम काम कर रहा था। तब लोगों को सब कुछ बताना मेरी जिम्मेदारी था। कहीं कोई असमंजस ना रहे, इसलिए रोजाना खुद जानकारी दी। इशारों में वो डीएम की पावर बता गए।
घड़ी ने बर्बाद किया समय
वैसे तो घड़ी सिर्फ समय बताती है लेकिन इस घड़ी ने पुलिस अफसरों का समय बर्बाद कर दिया। असल में खबर निकली कि बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार सीपी गुरप्रीत भुल्लर से दोस्ती निभाते हुए स्मार्ट वॉच गिफ्ट कर रहे हैं। जो कोरोना ड्यूटी वाले पुलिस कर्मचारियों के शरीर का तापमान बताएगी। यह देख अफसरों के फोन घनघनाने लगे। ऐसी कौन सी घड़ी है जो कोरोना से बचाएगी। मीडिया कर्मी खबर के लिए तो बाकी उस स्मार्ट वॉच की खासियत व उपलब्धता के चक्कर में पुलिस से तालमेल करने लगे। पुलिस से पूछने लगे कि हमें तो पूरे परिवार के लिए चाहिए ऐसी घड़ी .. कहां मिलेगी?। समय खराब होने लगा तो पुलिस कमिश्नर को स्पष्टीकरण भेजना पड़ा कि नासिक व मुंबई में एक कंपनी ने घड़ी दी है, हमें भी पेशकश की है, लेकिन अभी विचार कर रहे हैं। फिर मंजूरी लेकर खरीदेंगे, तब जाकर लोगों का मोबाइल शांत हुआ।
फोटो के शौकीनों से परेशानी
कोरोना संक्रमण का संकट चल रहा है लेकिन 'छपास रोगियों' का कोई इलाज नहीं। इनको पता है कि राज्य सरकार व पूरी अफसरशाही कोरोना वायरस की जंग में जुटी है, फिर भी अफसरों को मांग पत्र देते हुए लोगों की फोटो खिंचवाने की ख्वाहिश नहीं रुक रही। वैसे तो ये लोग कफ्र्यू में भी मास्क, सैनिटाइजर देने के नाम पर फोटो खिंचवाना चाहते थे लेकिन तब अफसर सख्ती व व्यस्त होने की बात कहकर सभी को गच्चा देते रहे। अब कर्फ्यू खत्म कर लॉकडाउन लगा तो एक दम से 'बाढ़' सी आ गई। मांगपत्र देते वक्त फोटो के चक्कर में सरकार की ओर से सबसे जरूरी गाइडलाइन शारीरिक दूरी नहीं रहती, फिर भी वो नहीं मान रहे। वैसे, डिप्टी कमिश्नर ने सुझाव दिया कि ई-मेल कर दो और अखबार में कह दो कि डीसी को दे दिया है लेकिन यह अपील फोटो के आगे नहीं टिक पा रही है।
अप्वाइंटमेंट के लिए जागते रहो
रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से कहीं मुश्किल उसकी अप्वाइंटमेंट लेना हो गया है। वैसे तो इसे सुविधा कहकर शुरू किया गया था लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि एक अदद अप्वाइंटमेंट के लिए आधी रात तक जागना पड़ रहा है। उसमें भी गारंटी नहीं। अप्वाइंटमेंट की ऑनलाइन बुकिंग रात 12 बजे खुलती है। अभी सिर्फ 30 अप्वाइंटमेंट मिल रही हैं। जैसे ही बुकिंग खुलती है तो इसमें एक्सपर्ट एजेंट फटाफट अप्वाइंटमेंट ले जाते हैं। आवेदक खुद लेने की कोशिश करता है, उसे पहले एप्लीकेशन नंबर व ब्योरा और फिर ओटीपी भरते-भरते अप्वाइंटमेंट निपट जाती है। अगली रात फिर कोशिश करनी पड़ती है या एजेंट की 'अप्वाइंटमेंट' लेने को मजबूर होना पड़ता है। सवाल तो यह है कि अगर राज्य सरकार व ट्रांसपोर्ट विभाग को सुविधा ही देनी है तो इसे सुबह दफ्तर के समय यानि नौ बजे खोलें ताकि सबको बराबर का मौका मिल सके।
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