विदेश जाने की चाहत बनी मुसीबत, फर्जी एजेंट ने जर्मनी की बजाय पहुंचा दिए यूक्रेन
फर्जी ट्रैवल एजेंट के हाथों फंसे जालंधर के तीन युवकों को तरनतारन पुलिस ने यूक्रेन से मुक्त करवाया है और ट्रैवल एजेंट को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
जेएनएन, जालंधर। विदेश जाने की चाहत में युवा आए दिन फर्जी ट्रैवल एजेंटों के झांसे में आकर मुसीबत में फंस रहे हैं। ऐसा ही कुछ जालंधर के तीन युवकाें के साथ हुआ। फर्जी एजेंट ने पैसे लेकर युवकों को जर्मनी की बजाय यूक्रेन भेज दिया, जहां पर उन्हें काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। फर्जी ट्रैवल एजेंट के हाथों फंसे जालंधर के तीन युवकों को तरनतारन पुलिस ने यूक्रेन से मुक्त करवाया है। इसके साथ ही ट्रैवल एजेंट को भी गिरफ्तार कर उस पर मानव तस्करी व धोखाधड़ी का केस फाइल किया गया है। फर्जी एजेंट ने तीनों से साढ़े 22 लाख रुपये लेकर उन्हें जर्मनी की बजाय यूक्रेन भेज दिया था। वहां पहुंच तीनों को दस महीने से बंधक बनाकर रखा गया। शिकायत मिलने पर पुलिस ने पहले ट्रैवल एजेंट को पकड़ा। उसके बाद तीनों की वतन वापसी करवाई गई। तरनतारन के एसएसपी दर्शन सिंह मान ने बताया कि जालंधर जिले के गांव बाजरा निवासी हरदीप सिंह पुत्र रामजीत दास ने उन्हें फोन पर सूचना दी थी कि फर्जी ट्रैवल एजेंटों का शिकार होकर वह जर्मनी की बजाय यूक्रेन के शहर कीव पहुंच गया है। वहां उसे बंधक बनाकर रखा गया है। उसके साथ गांव औजला निवासी गुरप्रीत राम पुत्र पाला राम और रवि कुमार पुत्र सतपाल निवासी गांधी नगर जालंधर भी हैं। सभी ने एसएसपी से रिहाई की गुहार लगाई थी।
साढ़े 22 लाख रुपये में हुआ था सौदा
हरदीप सिंह ने बताया था कि तरनतारन जिले के गांव संघा निवासी संदीप सिंह और चंडीगढ़ के सेक्टर 11 निवासी तेजिंदर सिंह ने उनको जर्मनी भेजने के लिए 22.50 लाख की राशि ली थी। बाद में धोखे से उनको दस माह पहले यूक्रेन भेज दिया गया। वहां कई माह तक वे बंधक बने रहे। बार-बार फोन करने के बाद भी ट्रैवल एजेंट उनको न तो वापस बुला रहा था और न जर्मनी भेज रहा था। ट्रैवल एजेंट संदीप सिंह को पकडऩे के बाद पता चला कि यूक्रेन भेजे गए तीनों युवक उसके संपर्क में हैं। पुलिस ने यह मामला पंजाब सरकार के ध्यान में लाया। उसके बाद पंजाब सरकार ने यूक्रेन सरकार से राबता कायम कर हरदीप सिंह, गुरप्रीत राम और रवि कुमार को वापस लाया गया।
बयां किया दर्द : समय पर नहीं मिलता था खाना
दस माह बंधक रहे तीनों युवकों ने बताया कि उनको 15-15 दिन के ट्रैवल वीजा पर यूक्रेन भेजा गया था। वहां के शहर कीव में पहुंचते ही उन्हें एक कमरे में बंधक बना लिया गया। वहां दस माह बड़ी मुश्किल से गुजरे। समय पर खाना नहीं दिया जाता था। पांच दिन के खाने को 10 से 15 दिनों में एडजस्ट करने का दबाव होता था। एयरपोर्ट से रवाना होते ही पासपोर्ट के साथ 1500-1500 यूरो यह कह कर ले लिए कि शो मनी है। फिर उनको सर्बिया भेजने लिए और साढ़े 10 लाख की मांग की गई। जब उक्त युवकों ने आगे जाने से मना किया तो यह कहा गया कि अपने परिजनों से संपर्क करके टिकटें मंगवा लें। हरदीप सिंह ने कहा कि बर्फीले मौसम में छोड़कर वह ये कह कर उस समय बाहर आ गए कि वापस जाने का खुद रास्ता ढूंढ लेंगे।
कर्ज लेकर भेजा था विदेश-सोचा था गरीबी दूर होगी
सारी जानकारी देते ही युवकों ने एसएसपी से वतन वापसी की गुहार लगाई। रवि ने बताया कि उनके परिजनों ने कर्ज लेकर यह सोच कर विदेश भेजा था कि घर की गरीबी दूर होगी। पर फर्जी ट्रैवल एजेंट ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा।
सिर्फ एक फोन कॉल और एसएसपी वापस ले आए वतन
हरदीप सिंह की पत्नी सिमरन कौर ने एसएसपी दर्शन सिंह मान का धन्यवाद करते कहा कि उनके पति व दोस्तों ने सिर्फ एक फोन पर एसएसपी को अपनी दास्तां सुनाई थी। उसके बाद एसएसपी ने खुद उनको वापस लाने के लिए मेहनत की और पंजाब सरकार से बात की। हरदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने फेसबुक के जरिए पंजाब पुलिस की वेबसाइट से एसएसपी दर्शन सिंह मान का नंबर लिया था।
रजिस्टर्ड एजेंट के माध्यम से ही जाएं विदेश: डीसी
जालंधर के डिप्टी कमिश्नर कमिश्नर वरिंदर सिंह कुमार शर्मा ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है, जो भी परिवार इस प्रकार के मामले में संपर्क करता है, प्रशासनिक स्तर पर हरसंभव मदद की जाती है। साथ ही प्रशासन लोगों से लगातार अपील कर रहा है कि रजिस्टर्ड ट्रेवल एजेंटों के माध्यम से विदेश जाएं।