पुलिस मुलाजिम ने बुजुर्ग दंपती से कह दी ऐसी बात, बाद में होना पड़ा शर्मिंदा
मिलनसार स्वभाव के कारण पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर काफी लोकप्रिय भी हैं लेकिन उन्हीं के कुछ सिपाही उनका नाम मिट्टी में मिलाने पर तुले हैं।
जालंधर,[सुक्रांत]। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर अपनी बोलने की शैली के कारण शहरवासियों को खूब भाते हैं। अपने मिलनसार स्वभाव के कारण वे काफी लोकप्रिय भी हैं, लेकिन उन्हीं के कुछ सिपाही उनका नाम मिट्टी में मिलाने पर तुले हैं। बीते दिनों शहर में कर्फ्यू के दौरान पुलिस कर्मियों की सख्त ड्यूटी लगी तो कुछ मुलाजिम अपना धैर्य खो बैठे।
बस्ती अड्डा चौक पर नाके से एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के साथ निकल रहा था। वहां खड़े मुलाजिमों ने उसे रोका और कहा, 'कित्थों आ रेहां तूं, तैनूं पता नहीं कर्फ्यू लग्गा ए। यह सुनकर बुजुर्ग की पत्नी भी गुस्से में बोल पड़ी, 'गल्ल सुणों, असीं पुलिस कमिश्नर नूं वी मिले आं, ओ तां श्रीमान जी कैहंदे आ पर सिपाही तां बुजुर्गां नूं वी तूं-तूं कैहंदे। यह सुन कर वहां खड़े अन्य मुलाजिम भी शर्मिंदा हो गए। यही नहीं, बात एसीपी तक पहुंची तो उन्होंने भी मुलाजिमों की अच्छी क्लास लगाई।
नेता की फटकार, वालंटियर चुप
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लगाया कर्फ्यू करीब दो महीने चला। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात पुलिस मुलाजिमों की सख्त ड्यूटी में राहत देने के लिए पुलिस कमिश्नर ने शहर के नौजवानों को वालंटियर बनाकर उनके साथ खड़ा कर दिया। नतीजा यह निकला कि यह वालंटियर भी खाकी की फीलिंग लेने लगे। फुटबॉल चौक के पास लगे नाके पर खड़े वालंटियर ने एक स्कूटर सवार को रोका और दुर्व्यवहार करते हुए स्कूटर के दस्तावेज, लाइसेंस आदि मांगने लगा। वालंटियर को क्या पता था कि जिससे वह बात कर रहा है, वह भाजपा नेता रमेश कम्बोज थे। उन्होंने उस वालंटियर की जमकर क्लास ली और कहा कि यदि वो चाहें तो वहां खड़े सभी मुलाजिमों की शिकायत कर सीपी से सजा दिलवा सकते हैं। यह सुन बाकी मुलाजिमों ने भी वालंटियर को खूब डांटा और तमीज से पेश आने को कहा। इसके बाद माफी मंगवाकर नेता का गुस्सा शांत करवाया।
रेस्टोरेंट खोले, रेहड़ी का चालान
पंजाब पुलिस भी कई बार ऐसे कारनामे कर देती है कि उस पर लोगों को हंसी भी आती है और गुस्सा भी। कुछ ऐसा ही वाक्या बीते दिनों देखने को मिला। शहर में खाने-पीने की चीजों से पाबंदी हटा ली गई, पर साथ ही टेक अवे की हिदायत दी गई। शहर में खाने-पीने की दुकानें खुल गई तो गन्ने का रस बेचने वाले भी रेहड़ी लेकर रोड पर आ गए। इसी बीच स्काई लार्क चौक के पास पुलिसवालों ने एक रेहड़ी को रोक लिया तो रेहड़ी वाला बोला, डीसी साहिब ने कहा है कि खाने-पीने वाली चीजें तो बेच सकते हैं। इस पर पुलिस ने जवाब दिया, 'गन्ने दा रस केहड़ा खाण-पीण वाली चीजां च आंदा ए, तूं बाहर निकलेया ते तेरे ते पर्चा होना ही ए। यह सुन रेहड़ी वाले को भी हंसी आ गई। इसके बाद उसने पुलिस के आगे मिन्नतें कीं, लेकिन वे पर्चा दर्ज करके ही मानें।
पुलिस चंगे कम्म वी करदी
कर्फ्यू लगने के बाद शहर की कई समाजसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर पुलिस ने भी लंगर, राशन, दवा इत्यादि का वितरण किया था। इस दौरान शहर भर में पुलिस की काफी सराहना भी हुई थी। अब कर्फ्यू खुलने के बाद शहर में खाने-पीने वाली दुकानें खोलने के निर्देश मिले तो शास्त्री मार्केट चौक के पास मनी ढाबा भी खुल गया। पिछले दिनों कुछ जानकार वहां मिले तो कर्फ्यू की चर्चा शुरू हो गई। वे बोले, 'कफ्र्यू विच ही पता लगेया कि पुलिस चंगे कम्म वी करदी ए। ओहनां ने लंगर-राशन घर-घर पहुंचाया। इसी बीच एक बुजुर्ग बोला, 'एह तां कुझ वी नहीं, इक गरीब दा चालान कटेया, पर ओह पैसे देण जोगा नहीं सी। फेर नाके ते खड़े पुलिस वालेयां ने उसदी मजबूरी समझी ते कोलों पैसे दे के ओहनूं दोबारा इद्दां ना करन दी मत्त दे के तोरेया। ओह बंदा वी विचारा जांदा-जांदा पुलिस नूं असीसां दिंदा ही गेया।
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