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सात साल में 156 गायब बच्चे ट्रेस नहीं कर पाई पुलिस, लुधियाना में सबसे ज्यादा मामले

पंजाब पुलिस से आरटीआई में ली गई सूचना के अनुसार 107 नाबालिग बच्चों को ट्रेस न कर पाने के मामले में लुधियाना और मुक्तसर के बाद जालंधर कमिश्नरेट पुलिस पंजाब में तीसरे स्थान पर है।

By Sat PaulEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 08:05 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 05:36 PM (IST)
सात साल में 156 गायब बच्चे ट्रेस नहीं कर पाई पुलिस, लुधियाना में सबसे ज्यादा मामले
सात साल में 156 गायब बच्चे ट्रेस नहीं कर पाई पुलिस, लुधियाना में सबसे ज्यादा मामले

जालंधर, [मनीष शर्मा]। जिले में किडनैप या लापता हुए नाबालिग बच्चों के करीब डेढ़ सौ से ज्यादा मामले जालंधर पुलिस अभी तक ट्रेस नहीं कर पाई है। पिछले सात साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पुलिस ने भले ही पुलिस करीब 85 फीसद मामलों को ट्रेस कर पाने में कामयाब हुई है, परंतु करीब 15 फीसद मामलों में पुलिस खाली हाथ है। गायब हुए यह बच्चे क्या मानव तस्करी का शिकार हुए या उनके बारे में कोई भी जानकारी सामने आने की वजह कुछ और है, पुलिस इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाई है।

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पंजाब पुलिस से आरटीआई में ली गई सूचना के अनुसार 107 नाबालिग बच्चों को ट्रेस न कर पाने के मामले में लुधियाना और मुक्तसर के बाद जालंधर कमिश्नरेट पुलिस पंजाब में तीसरे स्थान पर है। वहीं जालंधर देहात पुलिस भी 49 बच्चों को ट्रेस नहीं कर पाई है। पूरे जिले की बात करें तो एक जनवरी 2013 से लेकर अक्टूबर 2019 तक जिले में कुल 967 बच्चोंं किडनैप या लापता होने की सूचना पुलिस के पास पहुंची। पौने सात साल में आईं इन शिकायतों के बाद अब तक सात साल में पुलिस 811 मामलों को ट्रेस करने में कामयाब रही। परंतु गायब हो चुके 156 नाबालिग बच्चे आज भी पुलिस के लिए पहेली बनेे हुए हैं।

16 लड़कियों, 40 लड़कों का कोई सुराग नहीं

आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार जिले में 18 साल से कम उम्र की कुल 116 लड़कियों और 40 लड़कों का कोई पता नहीं चल सका है। शहरी क्षेत्र से किडनैप या लापता हुए 744 बच्चों में 534 लड़कियां शामिल हैं। इनमें सेे पुलिस ने कुल 637 मामले ट्रेस कर 460 लड़कियों और 177 लड़कों को ढूंढ निकाला। शहर में 74 लड़कियों समेत 107 बच्चे आज तक ट्रेस नहीं हो पाए। वहीं देहात की बात करें तो किडनैप या लापता हुए 223 बच्चों में 160 लड़कियां शामिल हैं। देहात पुलिस ने कुल 174 बच्चे ट्रेस किए। देहात में 42 लड़कियों समेत 49 बच्चोंं के मामले आज भी अनट्रेस हैं।

आंकड़ोंं की जुबानी गायब हुए बच्चों की कहानी

जालंधर पुलिस कमिश्नरेट

साल  लापता  किडनैप   ट्रेस

2013 -- 107 -- 101

2014 -- 134 -- 117

2015 -- 115 -- 107

2016 -- 92 -- 83

2017 -- 86 -- 73

2018 -- 131 -- 106

2019 -- 79 -- 50

कुल -- 744 -- 637

(नोट: 2019 के आंकड़े 31 अक्टूबर तक)

जालधंर देहात पुलिस

साल लापता, किडनैप हुए बच्चे  ट्रेस

2013 -- 44 -- 42

2014 -- 45 -- 40

2015 -- 48 -- 37

2016 -- 33 -- 19

2017 -- 19 -- 13

2018 -- 23 -- 17

2019 -- 11 -- 6

कुल -- 223 -- 174

(नोट: 2019 के आंकड़े 31 अक्टूबर तक)

मानव तस्करी से जुड़े हो सकते हैं मामले, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ले संज्ञान

लुधियाना के कौंसिल ऑफ आरटीआई एक्टिविस्ट्स के अध्यक्ष रोहित सभ्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया एंड अदर्स केस में आदेश दिया कि अगर एफआइआर दर्ज करने के चार महीने तक बच्चा ट्रेस नहीं होता तो इसे राज्य के एंटी ह्यमूून ट्रैफ्किंग यूनिट को भेजा जाए और इसकी गंभीरता से जांच की जाए। यह यूनिट हर तीन महीने बाद रिपोर्ट दे और लीगल सर्विसिज अथॉरिटीज को अपडेट रखे। इसके बाद केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने भी राज्य गृह सचिव को पत्र भेजकर इसे लागू करने को कहा था। सभ्रवाल ने आरटीआइ में सामने आई सूचना के बाद अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरपर्सन को पत्र भेजा है। उन्होंने आशंका जताई कि यह मामले मानव तस्करी से जुड़े हो सकते हैं इसलिए इसका संज्ञान लेकर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि किडनैप या लापता हुए हुए बच्चों को ढूंढने में पुलिस कोताही करती है।

गायब हुए बच्चों के मामले में चार महीने तक सुराग न मिलने पर यह मामले कमिश्नरेट पुलिस के एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को दिए जाते हैं। जिन बच्चों का अभी तक पता नहीं चल सका है, उनकी तलाश के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस बारे में यूनिट अधिकारियों को भी सख्त हिदायतें जारी की जाएंगी।

-गुरमीत सिंह डीसीपी (इन्वेस्टिगेशन) कमिश्नरेट पुलिस, जालंधर।

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