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घुमक्कड़ः लिखित शिकायत के मुरीद अफसर...और मोबाइल से खौफ खाते हैं सरकारी मुलाजिम

आजकल सरकारी कर्मचारियों को मोबाइल से बड़ा डर लग रहा है। एसडीएम टू के दफ्तर में नोटिस लगा है कि किसी को दफ्तर में काम कराना है तो मोबाइल बंद या साइलेंट रखें।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 04:10 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 04:10 PM (IST)
घुमक्कड़ः लिखित शिकायत के मुरीद अफसर...और मोबाइल से खौफ खाते हैं सरकारी मुलाजिम
घुमक्कड़ः लिखित शिकायत के मुरीद अफसर...और मोबाइल से खौफ खाते हैं सरकारी मुलाजिम

जालंधर, [मनीष शर्मा]। वैसे तो सैकड़ों लिखित शिकायतें अफसरों के दफ्तरों में धूल फांकती रहती हैं लेकिन कोई फरियादी अफसरों के दफ्तर में आकर दुखड़ा रोए तो भी आगे से जवाब मिलता है लिखित शिकायत दो तो ही जांच करेंगे। ऐसा ही एक मामला डीसी दफ्तर की एक महिला कर्मी के साथ हुआ। महिला ने रेवेन्यू अफसर पर तबादला न करने के बदले सैक्सुअल फेवर मांगने का आरोप लगाया। मामला संगीन है और वह भी उस डिप्टी कमिश्नर दफ्तर का। जब एसडीएम राहुल सिद्धू से पूछा गया तो बोले कि लिखित शिकायत आए तो जांच करें। वो बात अलग है कि महिला कर्मी रो-रोकर उन्हें पूरा मामला बता चुकी है। यही बात खुद डीसी वरिंदर शर्मा ने भी तब कही, जब उनसे नंबरदारों के विदेश में या काम न करने के बावजूद मानभत्ता देने के बारे में पूछा गया। वो भी यही बोले कि कोई लिखित में दे तो जांच कराएंगे।

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मोबाइल का यह कैसा खौफ

आजकल हर कोई जेब में मोबाइल रखता है लेकिन सरकारी कर्मचारियों को इससे बड़ा डर लगता है। एसडीएम टू के दफ्तर में नोटिस लगा है कि किसी को दफ्तर में काम कराना है तो मोबाइल बंद या साइलेंट मोड पर रखें। फोन सुनते पकड़े गए तो मोबाइल जब्त कर लेंगे और पांच बजे लौटाएंगे। आरटीए के ड्राइविंग ट्रैक पर तो वीडियो बनाने की पाबंदी है। पकड़े जाने पर जब्त मोबाइल से वीडियो डिलीट करा दी जाती है। ट्रैफिक पुलिस के चालान सेंटर पर भी लिखा हुआ है कि चालान का जुर्माना भरने आए लोग मोबाइल पर बात न कराएं। पुलिस वाले कहते हैं कि लोग सिफारिश कराते हैं कि जुर्माना कम कर दो। अब जुर्माना तो सरकार ने तय कर रखा है तो हम क्या करें। किसी के आगे बुरे न बनें, इसके लिए फोन ही नहीं सुनते।

पुलिस कमिश्नर का ड्रेसिंग सेंस

पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर जैसे खुद अपनी ड्रेस टिप-टॉप रखते हैं और सामने वाले की कमजोरी पकडऩे से भी नहीं चूकते। कुछ दिन पहले गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में करियर गाइडेंस मेला लगा था तो वो सांसद चौधरी संतोख सिंह के साथ स्टॉल देख रहे थे। यहां सीआरपीएफ के स्टॉल पर पहुंचे तो वहां खड़े गार्ड की ड्रेस उनको अखर गई। उन्होंने समझाने में देर नहीं लगाई कि पेट पर बांधी सफेद पट्टी सही नहीं बंधी है। फिर मौका इसी स्टेडियम में गणतंत्र दिवस की फाइनल रिहर्सल का आया तो यहां भी उन्हें मार्च पास्ट में पुलिस वालों की ड्रेस अखर गई। यहां अपने ही कर्मचारी थे तो वो खुद आगे बढ़े और उनकी पगड़ी को ठीक किया। उन्हें घुट्टी भी पिलाई कि ड्रेस ढंग से पहना करो। यही वजह है कि जब भी पुलिस कमिश्नर से सामना होता है तो कर्मचारी अपनी ड्रेस पहले ठीक कर लेते हैं।

प्रशासन की अच्छी पहल

जिला प्रशासन ने जनहित में दो अच्छे कार्य शुरू किए हैं। गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में नेकी की दीवार बनाई गई है। जहां लोग पुराने पहनने लायक साफ सुधरे कपड़े, खिलौने, जूते आदि देकर ठंड से जूझते जरूरतमंदों तक पहुंचा सकते हैं। दूसरी पहल महिलाओं के लिए की गई है। प्रशासन ने शहर में सखी बॉक्स लगवाए हैं।  इनमें घरेलू हिंसा व शोषण की शिकार महिलाएं शिकायत दे सकती हैं। अक्सर महिलाएं पुलिस थाने में जाने से कतराती हैं। क्योंकि वहां पर पुलिस वालों का व्यवहार और उनके सवाल काट खाने को दौड़ते हैं। ऐसे में अब प्रताडऩा की शिकार महिलाएं चुपचाप डीसी दफ्तर, बस स्टैंड, सिविल सर्जन दफ्तर में लगे इन सभी बॉक्स में शिकायत डाल सकती हैंं। इसका फायदा भी है कि शिकायतों की निगरानी सीधे प्रशासनिक स्तर पर होगी और महिलाओं को कहीं भटकना भी नहीं पड़ेगा।

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