एसडी कॉलेज में सुनाई 'नानी की कहानी'
सभी बच्चे अक्सर अपनी नानी और दादी से किस्से-कहानियां सुनते आए हैं लेकिन नातिन की जुबानी नानी की कहानी भी मजेदार होती है।
जालंधर : सभी बच्चे अक्सर अपनी नानी और दादी से किस्से-कहानियां सुनते आए हैं लेकिन नातिन की जुबानी नानी की कहानी भी मजेदार होती है। इस बात को प्रेमचंद मारकंडा एसडी कॉलेज के मंच पर स्टाइल आर्ट एसोसिएशन जालंधर के कलाकारों ने नाटक 'नानी की कहानी' के जरिए बाखूबी पेश किया।
आइएएस बनने के बाद नातिन नेत्रा जब रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है और ठाकुर शकु राणा यानी अपनी नानी से बात करती है। इसके बाद उसके आने के इंतजार में नानी की कहानी सुनाती है। नेत्रा बताती है कि बड़े-बड़े मुहावरे बोलने वाली ओपन माइंडेड परिवार में पली बढ़ी ठाकुर शकु राणा को अपने नाम और ठाकुर होने पर बेहद गर्व रहा है। बचपन में पिट्ठू खेलने, पतंग लूटने तथा हर जगह झांसी की रानी बनकर लड़ने को तैयारी होने वाली नानी के दिलचस्प किस्सों की याद ताजा करती है। किशोरावस्था में जमींदार के बेटे रघुवीक के साथ झगड़ा करती है, जिससे नाराज होकर जमींदार उसके पिता की गिरवी जमीन को लेकर कोर्ट में केस कर देता है। नानी के मजदूर पिता परेशानी में नदी में छलांग लगे देते है और नानी बचाने जाती है। इस हादसे में स्वराज की एंट्री होती है और वह नानी और उसके पिता को बचाते हैं। स्वराज और नानी की शादी हो जाती है लेकिन उनकी बेटी के पैदा होने के बाद स्वराज का किसी और से अफेयर हो जाता है, तब नानी उसे छोड़ कर सिलाई और बच्चे पढ़ाने का काम शुरू कर देती है। बेटी की शादी करती है। नेत्रा बताती है कि उसके जन्म के बाद उसकी मां की मौत हो जाती है और पिता उसे नानी के पास छोड़ देता है। फिर नानी उसे आइएएस बनाती है लेकिन नाना स्वराज नानी के स्कूल को डोनेशन देकर तथा पिता नानी के स्कूल में काम करके अपनी करनी पर पछताते नजर आते हैं। नेत्रा की इस कहानी का अंत नानी के ढोल-नगाड़े लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचने पर होता है।
कलाकार रेखा कश्यप ने नानी, भावना शर्मा ने नेत्रा, सचिन रहेला ने नाना तथा पिता का रोल विनोद कपूर ने अदा किया है तथा इसके लेखक और निर्देशक नीरज कोशिश रहे। कॉलेज की छात्राओं और टीचर्स ने भी नाटक का आनंद लिया।