शिक्षक दिवस विशेषः इन डॉक्टरों ने गुरु से सीखा हालात से लड़ना, अब बच्चों को सिखा रहे गुर
शिक्षक दिवस पर शहर के डॉक्टरों ने अपने गुरुओं को याद किया और कहा कि उनकी बदौलत ही वे आज समाज में एक मुकाम बना सके हैं।
जालंधर [जगदीश कुमार]। डॉक्टर को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है। इन डॉक्टरों को तैयार करने वाले अध्यापक अपनी इस कला का श्रेय देते हैं उस गुरु को जिन्होंने उन्हें इस काबिल बनाया। पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस (पिम्स) की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. कुलवीर कौर कहती हैं कि उनके गुरु सरकारी मेडिकल कॉलेज पटियाला के डॉ. जगदीश चंद्र थे। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई के अलावा समाज में बेहतर रुतबा बनाने के गुर भी सिखाए थे। उनकी वजह से वर्तमान में पिम्स की डायरेक्टर प्रिंसिपल की कुर्सी पर पहुंची हूं।
उनके गुरु ने उन्हें ब्लड बैंक का कामकाज सौंपा था और कहा था कि खुद सेवानिवृत होने से पहले इस विभाग का मुखी बनाउंगा, तो उन्होंने सरकार से लड़कर अपना वचन पूरा किया था। वह बच्चों को अपने परिवार के सदस्य की तरह पढ़ाते थे। वहीं रोजमर्रा के दफ्तरी कामकाज, पत्राचार तथा आयकर रिटर्न भरना भी सिखाया था।
सहनशीतला से काम करना और हालात से लड़ना सिखाया
पिम्स फार्माकोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. जसमिंदर कौर बजाज, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार तथा प्रोफेसर पुनीत खुराना कहते हैं कि उनकी गुरु डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. कुलबीर कौर हैं। उन्होंने बच्चों को डॉक्टर बनाने के गुर सिखाए। उनकी ओर से बच्चों को पढ़ाने की तकनीक पर एमसीआइ ने भी मुहर लगाकर अन्य कालेजों में भी इसे लागू करवाया। इसके अलावा उन्होंने प्रबंधन, पत्राचार तथा हालात पर काबू पाना सिखाया। इसके अलावा सहनशीलता में विश्वास रख कर काम करने के गुरु सिखाए।
बच्चों को शिक्षा ही नहीं मजबूत आत्मविश्वास पर पक्का विश्वास करना सिखाया
पिम्स में जच्चा-बच्चा विभाग की प्रमुख डॉ. एचके चीमा व बायोकेमिस्ट्री विभाग की प्रोफेसर डॉ. रवजीत सभ्रवाल का कहना है कि बच्चों को डॉक्टर के साथ-साथ समाज में एक अच्छा नागरिक बनाने की भी शिक्षा दे रहे हैं।
गुरु ने डॉक्टर बनने का सपना साकार करने का दिखाया मार्ग
पिम्स में एमबीबीएस दूसरे साल के विद्यार्थी करण सचदेवा और फाइनल एयर के साहिल का कहना है कि डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने के लिए मेडिकल कालेज पहुंचे। यहां पहुंच कर दिल डरता था की डॉक्टर बनने का लंबा सफर कैसे पूरा होगा, परंतु जहां डॉ. एचके चीमा व डॉ. रवजीत सभ्रवाल जैसे टीचर्स ने हमें गाइड किया। यही नहीं किताबी पढ़ाई के अलावा मरीजों की सेवा करने की भरपूर जानकारी देकर वे हमारा भविष्य संवार रहे हैं।