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उत्तराखंड से पंजाब में आकर पढ़ाई में कमाया नाम, अब दूसरों के लिए जला रहे ज्ञान के दीप

उत्तराखंड से आकर बरसों से पंजाब में रह रहे लोगों की दूसरी पीढ़ी अब यहां की शिक्षा व्यवस्था में भी अहम योगदान दे रही है।

By Sat PaulEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 04:12 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 04:12 PM (IST)
उत्तराखंड से पंजाब में आकर पढ़ाई में कमाया नाम, अब दूसरों के लिए जला रहे ज्ञान के दीप
उत्तराखंड से पंजाब में आकर पढ़ाई में कमाया नाम, अब दूसरों के लिए जला रहे ज्ञान के दीप

जालंधर, [मनीष शर्मा]।  उत्तराखंड से आकर बरसों से पंजाब में रह रहे लोगों की दूसरी पीढ़ी अब यहां की शिक्षा व्यवस्था में भी अहम योगदान दे रही है। उन्होंने शिक्षा पंजाब में ली और फिर उसके बाद पंजाब में ही शिक्षा का उजाला फैलाने की ठान ली। कुछ दूसरे जिलों व राज्यों में भी शैक्षणिक कार्य से जुड़ चुके हैं। प्राइवेट से लेकर सरकारी माध्यम के जरिए वो बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हैं। खुद का करियर बनाने के साथ अब उत्तराखंड ही यह पीढ़ी पंजाब के नौनिहालों के भीतर देश के भविष्य में सार्थक योगदान के लिए ज्ञान के दीप जला रही है।

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तीन साल से बांट रहीं शिक्षा

मनप्रीत नेगी।

मूल रूप से उत्तराखंड निवासी मनप्रीत नेगी ने जालंधर में एसडी कॉलेज से पढ़ाई की। ग्रैजुएशन के बाद कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन भी यहीं से की। एमकॉम में जीएनडीयू में पूरे पंजाब में तीसरी पोजिशन पर आई। इस पर पंजाब व हरियाणा के तत्कालीन गवर्नर कप्तान सिंह सोलंकी ने अमृतसर में हुए समारोह में उन्हें सम्मानित किया। इसके बाद कॉलेज में पहुंची पहली महिला आईपीएस अफसर व इस वक्त पुडुचेरी की गवर्नर किरण बेदी ने कॉलेज में आकर उनको सम्मानित किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद एसडी कॉलेज ने ही उन्हें 2014 में वहां स्टूडेंट्स को पढ़ाने का ऑफर दिया। उन्होंने बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर वहां ज्वाइन किया। इसके अगले साल वो खालसा कॉलेज चली गई। वहां 3 साल पढ़ाने के बाद साल 2018 में केएमवी में पढ़ा रहीं हैं। 

थियेटर का शौक पूरा करने साथ कर रहा पढ़ाई

विक्रम सिंह।

विक्रम सिंह का कहना है कि मैं पहले श्री मुक्तसर साहिब में था। ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई वहीं हुई। उसके बाद जालंधर आ गया। यहां से बीएड व दोआबा कॉलेज से एमएससी की पढ़ाई की। 2006 में मैं यहां से पासआउट हुआ। इस दौरान थियेटर में भी दिलचस्पी थी लेकिन पढ़ाने का भी शौक था। इसलिए पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग में भर्ती निकली तो मैंने भी आवेदन कर दिया। साल 2017 में सिलेक्शन हो गई। इसके बाद मैथ टीचर के तौर पर आदमपुर के नजदीक डरौली कलां के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पोस्टिंग हो गई। अब वहीं पढ़ा रहा हूं। वैसे, थियेटर ग्रुप से भी जुड़ा हूं और हमने युवा नाम से ग्रुप रजिस्टर्ड करा रखा है।
 

बतौर कंप्यूटर टीचर दे रही सेवाएं

कविता ठाकुर का कहना है कि मेरी पढ़ाई बठिंडा में हुई है। वहां के एसडी गल्र्स कॉलेज से एमएससी आइटी की। इसके बाद कंप्यूटर टीचर की भर्तियां निकली तो मैंने भी अप्लाई कर दिया। साल 2008 में मुझे ज्वाइनिंग मिल गई। पहली तैनाती बठिंडा के ही गांव कुटी के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में थी। फिर चार साल बाद मेरी ट्रांसफर जालंधर हो गई। अब यहां नूरमहल के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बतौर कंप्यूटर टीचर सेवाएं दे रही हूं। 

2009 से दे रहीं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

वंदिनी असवाल।

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की रहने वाली वंदिनी असवाल का जन्म पंजाब में ही हुआ। यहां जालंधर में रहते हुए उन्होंने बीएड, बीकॉम व एमकॉम की पढ़ाई की। इसके बाद कंप्यूटर साइंस में एमएससी की। साल 2009 में उनकी तैनाती नंगल के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बतौर कंप्यूटर टीचर हो गई। इस वक्त वो नंगल के सरकारी हाईस्कूल में कार्यरत हैं।

शादी के बाद नहीं शिक्षा से नहीं छूटा मोह

उत्तराखंड के रिखणीखाल ब्लॉक की रहने वाली श्रुति जालंधर में ही पली-बढ़ी हैं और पढ़ाई भी यहीं की। यहां से बीएड करने के साथ इंग्लिश से एमए किया। इसके बाद शादी हो गई तो चंडीगढ़ जाना पड़ा। अब जालंधर में पढ़ी श्रुति पंचकूला के सेंट जेवियर कान्वेंट स्कूल में बतौर इंग्लिश टीचर सेवाएं दे रही हैं।

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