Move to Jagran APP

उत्तराखंड से आकर पंजाब को बनाया कर्मभूमि, मेहनत और लगन से हासिल किया मुकाम

वर्षों से पंजाब में बसे उत्तराखंड के लोग भी मानते हैं कि उस वक्त पंजाबियों ने न केवल उन्हें खुले दिल से अपनाया बल्कि उनकी अपने-अपने हिसाब से मदद भी की।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 03:53 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 08:45 AM (IST)
उत्तराखंड से आकर पंजाब को बनाया कर्मभूमि, मेहनत और लगन से हासिल किया मुकाम
उत्तराखंड से आकर पंजाब को बनाया कर्मभूमि, मेहनत और लगन से हासिल किया मुकाम

जेएनएन, जालंधर: जिस धरती पर जन्म लिया हो, भला वहां कौन नहीं रहना चाहता। इच्छा नहीं मजबूरी थी इसीलिए बरसों पहले अपनी जन्मस्थली छोड़नी पड़ी। उत्तराखंड से निकले तो पंजाब में सरकारी व प्राइवेट नौकरियों से लेकर कारोबार के अवसरों ने उत्तराखंड के लोगों का स्वागत किया। उत्तराखंडी भी पीछे नहीं रहे और मेहनत व लगन से बड़ा मुकाम हासिल किया। अब वह पंजाब के विकास में अहम योगदान डाल रहे हैं। पंजाब को भी वह अब अपना ही घर समझते हैं।

loksabha election banner

वर्षों से पंजाब में बसे उत्तराखंड के लोग भी मानते हैं कि उस वक्त पंजाबियों ने न केवल उन्हें खुले दिल से अपनाया बल्कि रोजगार व कारोबार के मौके मिलने पर उनकी अपने-अपने हिसाब से मदद भी की। बोली-संस्कृति की विभिन्नता कभी उनके आड़े नहीं आई और वो भी पंजाब व पंजाबियत में ढलते चले गए। यहां के लोगों से उन्हें भरपूर सहयोग के अलावा प्यार मिला।

पंजाब के लोग मेहनतकश

साल 1979 में 21 साल की उम्र में मैं अपने गांव अमगांव कांडी से निकल पड़ा। पहले कोटद्वार गया। 5-7 महीने वहां काम किया। फिर दिल्ली गया लेकिन वहां घुटन महसूस हुई। फिर रिश्तेदार के साथ पंजाब आया। यहां जालंधर में इमीग्रेशन ऑफिस में नौकरी की। पंजाब मेहनतकश लोगों से भरा पड़ा है और माहौल भी खुशनुमा है। एक-दूसरे को देखकर हर वक्त काम करने की प्रेरणा मिलती ही रहती है।

-सत्येंद्र सिंह नेगी, गुरुनानक पुरा वेस्ट।

सत्येंद सिंह नेगी, देवी प्रसाद उनियाल और वेदप्रकाश बडौनी।

किस्मत ने साथ दिया तो पावरकॉम में हुई सिलेक्शन

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के फुज्यालड़ी गांव से मैं 18 साल की उम्र में आ गया था। शायद साल 1979 में। घर से निकला तो सीधे मोहाली आया। यहां डेढ़ साल रहा और काम किया लेकिन कामयाबी का इंतजार रहा। उस वक्त पंजाब राज्य बिजली बोर्ड यानि अब पावरकॉम में भर्तियां निकली। मैंने भी आवेदन कर दिया। किस्मत साथ दिया तो मेरी सिलेक्शन हो गई। अब पावरकॉम में हवलदार के पद पर कार्य कर रहा हूं।

-देवी प्रसाद उनियाल, पावरकॉम कर्मी।

लोगों से मिले प्यार का सदा कायल रहूंगा

मैं बारहवीं करने के बाद टिहरी गढ़वाल स्थित गांव कंडौली से चंडीगढ़ आया था। साल 1994 में। फिर अंबाला से मैंने आइटीआइ इलेक्ट्रिकल का डिप्लोमा किया और एक कंपनी में प्लानिंग सुपरवाइजर का काम करने लगा। साल 2013 में मैं जालंधर आ गया और यहां अब पब्लिकेशन कंपनी में हूं। पंजाब के लोग काफी खुशनुमा हैं। यहां के लोग भी काफी दिलदार है। यहां के लोगों से जो प्यार मिला, सहयोग मिला उसके हम सदा कायल रहेंगे।

-वेदप्रकाश बडौनी, नौकरीपेशा।

कुंवर सिंह, कुंदन सिंह और ओमप्रकाश शर्मा।

पंजाब में कभी परायापन महसूस नहीं हुआ

मूल रूप से गांव बडौगी (टिहरी गढ़वाल) का रहने वाला हूं। 1977 में मैं फगवाड़ा आया था। वहां प्राइवेट नौकरी शुरू कर दी। तकरीबन छह साल उसी में गुजरे। उसके बाद बिजली बोर्ड में भर्तियां निकलीं तो मैंने भी आवेदन कर दिया। लोहियां खास में फिर तैनाती रही। इसी साल 31 जनवरी को मैं एलडीसी की पोस्ट से सेवामुक्त हो गया। अब परिवार समेत यहीं रह रहे हैं। पंजाब व यहां के लोगों से इतना प्यार मिला कि कभी परायापन महसूस नहीं हुआ।

-कुंवर सिंह, रिटायर्ड पावरकॉम कर्मी।

अब तो बच्चे भी यहीं सेटल हो गए हैं

मैं टिहरी गढ़वाल के शिलौगी से 1972 में चंडीगढ़ आ गया था। वहां दो साल प्राइवेट नौकरी की। 1995 में पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन (पीएआइसी) में जॉब निकली। आवेदन किया और नौकरी भी मिल गई। 5-6 साल चंडीगढ़ में ही निकले। इसके बाद कपूरथला, होशियारपुर व जालंधर में नौकरी की। तकरीबन 25 साल से जालंधर में हूं और 2013 में रिटायर हो गया। अब बच्चे भी सेट हो गए हैं, अपनी बाकी जिंदगी यहीं गुजार रहा हूं।

-कुंदन सिंह, रिटायर्ड पीएआइसी कर्मी।

पंजाब में अच्छे दोस्त मिले

हम बागेश्वर के चरणा गांव से हैं। पिता आजादी से पहले 1945 में पंजाब आ गए थे। पिता पंडित ख्यालीराम पांडे यहां राधा कृष्ण मंदिर मंडी गेट के पास पुजारी थे। उनसे पहले मेरे तायाजी रामदत्त पांडे यहां आ गए थे। मेरा तो बचपन यहीं बीता। फिर पंजाब में अच्छे दोस्त मिले। यहां काम करने के बजाय खुद का कारोबार शुरू कर दूसरों को काम करने की प्रेरणा दी। अब सोढ़ल के पास रामाकृष्णा पेपर एजेंसी के नाम से पेपर का कारोबार है।

-ओमप्रकाश शर्मा, कारोबारी।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.