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लॉकडाउन : श्मशानघाट में अस्थियां रखने वाले लॉकर फुल, लोग नहीं जा पा रहे हरिद्वार

इस बार हालात कुछ ऐसे बने हैं कि लोग हरिद्वार नहीं जा पा रहे। इस कारण वे ब्यास गोइंदवाल तथा कीरतपुर में ही अस्थि विसर्जन कर रहे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 11:45 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 11:45 AM (IST)
लॉकडाउन : श्मशानघाट में अस्थियां रखने वाले लॉकर फुल, लोग नहीं जा पा रहे हरिद्वार
लॉकडाउन : श्मशानघाट में अस्थियां रखने वाले लॉकर फुल, लोग नहीं जा पा रहे हरिद्वार

जालंधर [जगदीश कुमार]। कोविड-19 के खात्मे को लेकर विश्व भर में चल रही जंग के बीच इन दिनों आम जनता घरों में कैद होकर रह गई है। प्रशासन की सख्ती के कारण कुछ परिवार इस कारण भी परेशान हैं कि वे अपनों को खोने के बाद उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों तक को मोक्ष दायनी गंगा में प्रवाहित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में शहर के अधिकतर श्मशानघाटों में लॉकर फुल हो चुके हैं।

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मान्यता के तहत अधिकतर लोग अस्थि विसर्जन के लिए हरिद्वार ही जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ब्यास, गोइंदवाल तथा कीरतपुर में भी अस्थि विसर्जन करने जाते हैं। इस बार हालात कुछ ऐसे बने हैं कि लोग हरिद्वार नहीं जा पा रहे। इस कारण वे ब्यास, गोइंदवाल तथा कीरतपुर में ही अस्थि विसर्जन कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने हरिद्वार में ही अस्थि विसर्जन करना है और वे अस्थियां श्मशानघाटों में बने लॉकर में ही जमा करवा रहे हैं। लॉकडाउन में संकट की घड़ी में दुखी परिवारों की समस्या का समाधान करने के लिए भी सरकार की ओर से कोई विकल्प तैयार नहीं किया गया है। लोग खुद अस्थियां विसर्जन के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं।

अनुमति नहीं मिली तो मजबूरन ब्यास में करेंगे विसर्जित

अर्बन ईस्टेट फेज में रहने वाले एमएम आहुजा कहते हैं कि गत दिवस उनकी भाभी की निधन हो गया था और घर के लोग ही शिवपुरी मॉडल टाउन में अंतिम संस्कार कर आए थे। अब अस्थियां विसर्जन करने के लिए सबसे बड़ी समस्या सामने खड़ी है। उनके पूर्वजों की अस्थियां हरिद्वार में गंगा जी में विर्सजित की गई थीं। अब संकट का दौर चल रहा है इस दौरान शहर से बाहर जाना भी मुश्किल है। जिला प्रशासन से अस्थियां विर्सजित करने के लिए हरिद्वार जाने के लिए आवेदन करेंगे अगर अनुमित मिल गई तो ठीक है, नहीं तो ब्यास में ही उन्हें अंतिम विदाई देकर आत्मिक शान्ति के लिए प्रार्थना करेंगे।

अंतिम स्थान स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट के चेयरमैन तरसेम कपूर कहते हैं कि इससे पहले 1984 में इस तरह की परेशानियां सामने आई थी। उसके बाद श्मशानघाट में लॉकर की संख्या बढ़ा दी थी। पिछले दस दिन में 65 लोगों का अंतिम संस्कार हो चुका है। श्मशानघाट में अस्थियां रखने के लिए 46 लॉकर हैं। कुछ लोग तो ब्यास में या अन्य जगहों पर अस्थि विसर्जन के लिए चले गए लेकिन अभी तक 40 अस्थियां लॉकर में पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि लॉकर फुल होने के बाद अस्थियां रखने की वेक्लपिक व्यवस्था करवाई जाएगी।

हरनाम दास श्मशानघाट के प्रभारी पंडित संदीप मिश्रा का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में 58 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ है। जहां अस्थियां रखने के लिए 40 लॉकर हैं और सभी फुल हो चुके है। लोग विसर्जन के लिए कर्फ्यू खुलने का इंतजार कर रहे है। उनका कहना है कि अस्थियां रखने की व्यवस्था के लिए एक अलग कमरा खोला जा रहा है।

सभी लॉकर फुल

मॉडल टाउन शमशानघाट के पंडित विजय कुमार का कहना है कि पिछले एक सप्ताह में 12 संस्कार हुए हैं। उनके पास अस्थियां रखने के लिए 20 लॉकर है जो फुल हो चुके हैं। कर्फ्यू खुलने की अवधि बढ़ने की वजह से ज्यादातर लोग हरिद्वार जाने की बजाय ब्यास, गोइंदवाल और कीरतपुर में ही विसर्जित कर रहे हैं। बस्ती गुजां श्मशानघाट के महंत गवर्धन दास का कहना है कि पहली बार ऐसा संकट आया कि अस्थियों को भी विसर्जन के इंतजार करना पड़ रहा है। पिछले एक सप्ताह में 9 लोगों के संस्कार हुए हैं। उनके बाद अस्थियां रखने के लिए दीवार पर 11 खूंटे लगे हैं जो फुल हैं। मिस्त्री को बुलाया है और इनकी संख्या 20 कर दी जाएगी। 

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