पंचायती राज की डिस्पेंसरियां खुद मरहम को मोहताज, कैसे देंगी लोगों को इलाज Jalandhar News
कई डिस्पेंसिरयों में डॉक्टरों ने ओपीडी में बैठने के लिए कुर्सी मेज की व्यवस्था भी खुद या फिर दानी सज्जनों के सहयोग से करवाई है। यहां तैनात फार्मासिस्ट ठेके पर सेवाएं दे रहे हैं।
जालंधर, [जगदीश कुमार]। गांव के लोगों की सेहत संभाल के लिए डॉक्टरों का टोटा आड़े आ रहा है। 2006 के बाद से आज तक पंचायती राज ने देहात में जिला परिषद के बैनर तले डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों की भर्ती ही नहीं की है। 2006 में कैप्टन सरकार ने पंचायती राज को मजबूत करने के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की बागडोर पंचायती राज को सौंपी थी। दो बार गठबंधन सरकार और अब दोबारा कांग्रेस सरकार आने के बावजूद पंचायती राज की डिस्पेंसरियां खुद के इलाज का इंतजार कर रही हैं। पिछले 13 साल में डॉक्टरों की संख्या लगातार कम होती गई। डिस्पेंसरियां मूलभूत सुविधाओं को तरसती रही हैं।
ज्यादातर डिस्पेंसरियों में महिला स्टाफ व मरीजों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। वहीं बरसात में डिस्पेंसरियों की छतों से पानी टपकता है। हालात ये हैं कि कई डिस्पेंसिरयों में डॉक्टरों ने ओपीडी में बैठने के लिए कुर्सी मेज की व्यवस्था भी खुद या फिर दानी सज्जनों के सहयोग से करवाई है। इसके अलावा यहां तैनात फार्मासिस्ट भी ठेके पर सेवा कर रहे हैं।
ऐसें हैं स्वास्थ्य केंद्रों के हाल
- पंजाब में कुल 1186 डिस्पेंसरियां हैं।
- 462 डॉक्टरों के पद खाली।
- 204 फार्मासिस्टों के पद हैं खाली।
- 60 फीसद डिस्पेंसरियाें की हालत खस्ता।
- 70 लाख मरीजों की हैं यह सहारा।
2006 सेहत विभाग से पंचायती राज को दी थीं डिस्पेंसरियां
जिला परिषद के बैनर तले साल 2006 में देहात की 1186 डिस्पेंसरियों सहित करीब 5500 स्कूल व 582 पशु स्वास्थ्य केंद्र राज्य सरकार ने पंचायती राज को सौंपे थे। सरकार के प्रयास से करीब 13500 शिक्षकों, 1186 रूरल मेडिकल अफसर तथा 582 पशु चिकित्सकों को रोजगार मिला था। आर्थिक मंदी के चलते स्कूल और पशु चिकित्सा डिस्पेंसरियां संबंधित विभागों में वापस शिफ्ट कर दी थी। रूरल डिस्पेंसरियों को सेहत विभाग में शिफ्ट करने की कवायद शुरू हुई थी जो डॉक्टरों की गुटबंदी के चलते फिलहाल टल गई है।
डिस्पेंसरियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। लंबे अर्से से डॉक्टरों की भर्ती न होने से एक एक डाक्टर को दो-तीन डिस्पेंसरियों में ड्यूटी देनी पड़ रही है। राज्य के पंचायती राज मंत्री ने डॉक्टरों की भर्ती करने का आश्वासन दिया है।
-डॉ. जेपी सिंह नरूला, प्रधान, डॉक्टर्स एसोसिएशन।
सबसे पहले डिस्पेंसरियों में दवाइयों की समस्या का समाधान किया जा चुका है। अब पंचायती राज खुद दवाइयां खरीदता है। पहले पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन की ओर से दवाइयों की खरीद की जाती थी। डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए कवायद शुरू कर दी है।
-तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, पंचायती राज मंत्री।
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