चंद पैसों की खातिर अंजान को कमरा किराए पर दे रहे लोग, शहर में कई आतंकी हो चुके हैं गिरफ्तार Jalandhar News
बीते वर्षों में जालंधर से कश्मीरी आतंकी माओवादी नक्सली बांग्लादेशी और पंजाब के आतंकी तक गिरफ्तार हो चुके हैं और सब में एक बात समान थी कि वो किराए के घरों में रह रहे थे।
जालंधर [सुक्रांत]। शहर के लोग चंद पैसों की खातिर अपने घरों में अनजान लोगों को शरण दे रहे हैं। इनकी न तो मकान मालिक को जानकारी होती है और न ही पुलिस के पास कोई जानकारी होती है। बीते वर्षों में जालंधर से कश्मीरी आतंकी, माओवादी, नक्सली, बांग्लादेशी और पंजाब के आतंकी तक गिरफ्तार हो चुके हैं और सब में एक बात समान थी कि वो किराए के घरों में रह रहे थे और मकान मालिकों को पता भी नहीं था कि उनके घर पर आतंकी रह रहे हैं। शहर में इस समय ऐसे हजारों लोग हैं, जो पुलिस वेरीफिकेशन के बिना रह रहे हैं। न तो किराए पर रखने वाले लोग पुलिस के पास जा रहे हैं और न ही पुलिस अपने स्तर पर जांच करने की जहमत उठाती है।
गगन विहार गिरफ्तार हुआ था कश्मीरी युवक
करीब दो साल पहले गगन विहार में किराए के मकाने में तीन साल से कश्मीर निवासी युवक को गिरफ्तार किया था। वह यहां बीसीए कर रहा था, लोगों के बीच घूम फिर रहा था। स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को उसके मंसूबों की भनक तक नहीं लगी और दिल्ली साइबर सेल पुलिस उसे उठाकर ले गई। इसके बाद आनन फानन में पुलिस ने दूसरे राज्यों से आए लोगों को उठाना शुरू किया और पहचान पत्र जमा करवाए। उस वक्त एक अनुमान लगाया गया था कि जालंधर में करीब 40 हजार लोग ऐसे रहते हैं जिनकी पहचान सही नहीं है। आज यह गिनती बढ़कर 50 हजार तक पहुंच चुकी है। शहर के अंदरूनी इलाकों से निकलकर ऐसे लोगों की गिनती पॉश इलाकों में भी बढ़ गई है।
अधिकतर लोगों की नहीं हुई है पुलिस वेरिफिकेशन
डीएवी कालेज के पास के इलाकों में सैकड़ों लोगों ने पीजी रखे हुए हैं जिनमें ज्यादातर दूसरे राज्यों से आए छात्र हैं। वहीं गढ़ा, अर्बन एस्टेट में भी दूसरे राज्यों से आए छात्रों की गिनती काफी ज्यादा है। वहीं शहर के अंदरूनी इलाकों में उन लोगों की गिनती ज्यादा है जो दिहाड़ी कमाने के चक्कर में आए हैं। उन लोगों के लिए किराए के कमरे उपलब्ध करवाए गए हैं लेकिन पहचान के लिए पुलिस वेरिफिकेशन नहीं करवाई गई।
विदेशी छात्रों को रखने से पहले भी पुलिस को नहीं दी जाती सूचना
शहर के कई इलाके, जिनमें थाना 7 व थाना 6 के इलाके ज्यादा हैं, में दूसरे राज्यों से आने वालों के अलावा विदेशी छात्रों को भी पीजी में रखा जा रहा है। हालांकि विदेशी छात्रों की वेरीफिकेशन को दिल्ली एयरपोर्ट पर ही हो जाती है, लेकिन इनको किराए पर घर देने से पहले पुलिस को सूचना नहीं दी जाती। कुछेक घर ही ऐसे होंगे जिन्होंने पुलिस को सूचना देकर किराएदार रखे हैं। पिछले कुछ दिनों से पुलिस ने कई विदेशी नागरिकों को ड्रग्स सप्लाई के मामले में गिरफ्तार किया है लेकिन फिर भी ज्यादा पैसों की खातिर लोग इनको किराए पर घर दे देते हैं।
दो साल में मात्र 100 लोगों की ही हुई वेरीफिकेशन
बीते दो साल में शहर के थानों में मात्र 100 लोगों की ही वेरीफिकेशन हुई है, जिनमें ज्यादा थाना सात और थाना बस्ती बावा खेल में ही हुई है। हैरानीजनक पहलू तो यह है कि पुलिस की तरफ से बिना सूचना के किराएदार रखने की एक भी रपट दर्ज नहीं हुई है। कश्मीरी आतंकियों के पकड़े जाने के बाद दो तीन लोगों से पूछताछ तो हुई थी लेकिन मामला दर्ज करने के नाम पर मात्र जांच की बात कही गई थी।
किराएदार रखने से पहले उनका पहचान पत्र लेकर संबंधित थाने को सौंपे। थाना पुलिस इसकी जांच करवाएगी कि पहचान पत्र सही है या नहीं। पुलिस से जानकारी लेने के बाद ही किराएदार या पीजी रखें। किराएदारों को बिना पुलिस वेरीफिकेशन रखने के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी जो किराएदार की सूचना नहीं देते।
- गुरमीत सिंह, डीसीपी
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