रेलवे स्टेशन की सड़क ध्वस्त, लोग त्रस्त, पार्षद मस्त
रेलवे स्टेशन की सड़क पूरी तरह से खस्ता हालत में है।
संवाद सहयोगी, जालंधर : रेलवे स्टेशन की सड़क पूरी तरह से खस्ता हालत में है। रोज यहां से गुजरने वालों को परेशानी हो रही है। दोमोरिया पुल से लेकर रेलवे स्टेशन तक पूरी सड़क जगह-जगह से टूटी है। इस संबंधी लोगों ने निगम व पार्षद को कई बार शिकायत भी की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
लोगों का कहना है कि बारिश के दिनों में तो यहां से गुजरना और भी मुश्किल हो जाता है। लोगों को पता ही नहीं चलता कि कहां गड्ढा है, ऐसे में वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। पांच साल से इस सड़क की मरम्मत नहीं करवाई गई है। यहां से गुजरने वाले ऑटो वाले भी परेशान हैं।
रेलवे स्टेशन ऑटो यूनियन के प्रधान लव सहोता, ऑटो चालक राम अवतार, मनजीत, विक्रम और अन्य का कहना है कि चुनाव से पहले तो पार्षद यहां लगभग रोजाना चक्कर लगाते थे। लेकिन जीतने के बाद कभी शक्ल भी नहीं दिखाई। यही नहीं, स्टेशन की तरफ आते हुए जैसे ही पुल खत्म होता है तो वहां से लेकर स्टेशन तक दो ही खंभों पर स्ट्रीट लाइटें लगी हैं, लेकिन ये भी अक्सर बंद ही रहती हैं। अंधेरा होने के कारण लोगों को गड्ढों का पता नहीं चलता और वे हादसों का शिकार बन रहे हैं। उधर, इस संबंध में वार्ड नंबर 18 के पार्षद बलजीत थिद का कहना है कि वे जल्द ही सड़क बनवाने का प्रयास करेंगे। कोई भी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है, इस सड़क के कारण हम तो परेशान होते ही हैं आम लोगों को भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पार्षद ने भी कभी यहां आकर नहीं देखा कि सड़क के क्या हाल हैं।
- लव सहोता, प्रधान, रेलवे स्टेशन ऑटो यूनियन हम किससे पास शिकायत लेकर जाएं। कोई सुनने को तैयार नहीं हैं। टूटी सड़क से रोज गुजरने से गाड़ियां खराब हो रही हैं। लोग रोज इस सड़क पर गिरते हैं। हमने कई बार यहां के गड्ढों को खुद भरा है, लेकिन बारिश के बाद फिर वही हाल हो जाता है।
अमित, ऑटो चालक मैं लगभग दस साल से यहां ऑटो चला रहा हूं। इस सड़क का हमेशा यही हाल रहा है। सड़क बनती है पर हल्की सी बारिश के कारण ही पानी में बह जाती है। केवल नाम के लिए हल्की फुल्की सड़क बना दी जाती है। कभी भी यहां पक्की सड़क नहीं बनी।
- सहजराम, ऑटो चालक एक तो यह सड़क जगह-जगह से टूटी हुई है और दूसरा यहां पर जो स्ट्रीट लाइट लगी हुई हैं वो भी अक्सर बंद ही रहती हैं। ऐसे में रोजाना यहां हादसे होते हैं। बारिश के दिनों में तो यहां के हालात और भी बुरे हो जाते हैं।
बलराज, व्यापारी