गणतंत्र दिवस समारोह : सम्मानित होने के लिए आवेदन देने डीसी दफ्तर पहुंच रहे लोग, दुविधा में अधिकारी Jalandhar News
सम्मान पाने के जुगाड़ की इस ख्वाहिश से सरकारी कर्मचारी भी नहीं बच सके हैं। वे अपने विभाग के प्रमुख से पत्र लेकर पहुंच रहे हैं।
जालंधर, जेएनएन। गणतंत्र दिवस समारोह में सम्मानित होने के लिए अचानक सोशल वर्करों की कतार लग गई है। हालात यह हैं कि डीसी दफ्तर में रोजाना 10 से 15 सामाजिक कार्यकर्ता सिफारिशी पत्र लेकर पहुंच रहे हैं। कोई मंत्री की सिफारिश लेकर आ रहा है तो कोई विधायक की। पार्षदों के पत्र वालों की भी कमी नहीं है।
सम्मान पाने के जुगाड़ की इस ख्वाहिश से सरकारी कर्मचारी भी नहीं बच सके हैं। वे अपने विभाग के प्रमुख से पत्र लेकर पहुंच रहे हैं। कई कर्मचारी तो दबाव डालने के लिए कांग्रेस के विधायकों का सिफारिश पत्र भी साथ लेकर आ रहे हैं। जरूरत के वक्त मुश्किल से मिलने वाले इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की बाढ़ देख कर्मचारियों के साथ खुद डीसी भी हैरान हैं। हालांकि दफ्तर में किसी को मायूस नहीं किया जा रहा और आवेदन लेकर लौटाया जा रहा है।
हकीकत यह कि सूची तैयार है
हकीकत यह है कि गणतंत्र दिवस पर गुरु गोबिंद सिंह स्टेडियम में होने वाले समारोह में जिन लोगों को सम्मानित किया जाना है, उनकी सूची तैयार की जा चुकी है। उनकी पुलिस वेरीफिकेशन भी कराई जा चुकी है। इसके अलावा उनके कामकाज के बारे में भी प्रशासन जानकारी इकट्ठी कर चुका है। हालांकि यह बात कागजों में सामाजिक कार्यकर्ता बने इन लोगों को नहीं बताई जा रही।
जाहिर है जहां डिप्टी कमिश्नर को जरूरतमंदों के लिए नेकी की दीवार पर सामान देने के लिए अपील करनी पड़ी हो, वहां अचानक इतने सामाजिक कार्यकर्ता पैदा हो गए हो तो संदेह होना भी लाजिमी है। यह सब सम्मान के लिए किया जा रहा है और सामाजिक काम-काज से शायद ही किसी का कोई वास्ता हो।
वीरवार को पहुंचे दाे लाेग
सम्मान की चाह में जिला प्रशासनिक कांप्लेक्स पहुंचने वाले कुछ कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं की सिफारिश सरकार में बड़े ओहदों पर बैठे अधिकारियों ने भी की है तो कुछ की सिफारिश मुख्यमंत्री कार्यालय में घुसपैठ रखने वाले नेताओं ने भी की है। वीरवार को जिला प्रशासनिक कांप्लेक्स में ऐसी ही सिफारिशें को लेकर दो लोग पहुंचे।
अचानक एनजीओ के लेटरपैड भी निकले
कई कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विभिन्न एनजीओए के लेटरहैड पर बकायदा फाइल बनाकर सिफारिश करवाई है। प्रशासनिक अधिकारी इस बात से हैरान हैं कि जब जरूरत होती है तो एनजीओ कहीं दिखाई नहीं देते हैं। अचानक से दर्जनों ने एनजीओ कहां से प्रकाश में आ गए हैं।