Punjab: नहर में प्रवाहित नारियल निकाल लोगों को बेच रहे लोग, अमृतसर में चल रहा ये गोरखधंधा
हिंदू धर्म में लोग हवन-पूजन गंडमूल पूजा शनि दोष से मुक्ति अथवा धार्मिक अनुष्ठान के बाद ईष्ट देवता को अर्पित किए नारियल व सामग्री इत्यादि को नदी-नहर में जल प्रवाह करते हैं। व्यक्ति अपरबारी नहर में आ रहे पूजन सामग्री के लिफाफों और नारियल को निकालता है।
अमृतसर [नितिन धीमान]। आप बस अड्डा, रेलवे स्टेशन या फिर भीड़भाड़ वाले बाजारों व चौराहों में जाएं तो ‘गिरी ले लो गिरी..’ की आवाजें अकसर सुनते होंगे। यह नारियल की गिरी बेचने वाले होते हैं। इनसे लोगों ने कई बार नारियल की गिरी लेकर खाई होगी। पर क्या आपको पता है कि दस रुपये में बिकने वाली यह गिरी किस नारियल की है। हम आपको बताते हैं। दरअसल, ग्रह दोष से मुक्ति के लिए लोगों की ओर से नहरों और दरिया में नारियल प्रवाहित किए जाते हैं। मगर कुछ लोग इन नहरों से नारियल को निकालकर सस्ते में बेचकर कमाई कर रहे हैं। ऐसा ही मामला गांव सांघना से गुजरती अपरबारी दोआब नहर में देखने को मिला।
हिंदू धर्म में लोग हवन-पूजन, गंडमूल पूजा, शनि दोष से मुक्ति अथवा धार्मिक अनुष्ठान के बाद ईष्ट देवता को अर्पित किए नारियल व सामग्री इत्यादि को नदी-नहर में जल प्रवाह करते हैं। अपरबारी नहर के पुल के पिलर पर खड़ा होकर व्यक्ति नहर में आ रहे पूजन सामग्री के लिफाफों और नारियल को निकालता है।
एक दिन में निकल आते हैं 10-15 नारियल
पूछने पर बताया कि प्रतिदिन दस से पंद्रह नारियल निकाल लेता है। इसे अमृतसर स्थित बंगला बस्ती में बेचता है। एक नारियल के 15 से 20 रुपये मिलते हैं। बंगला बस्ती में कुछ लोग नारियल से गिरी निकालकर बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन पर बेचते हैं। इससे उसकी रोजी रोटी चलती है। कई बार तो सोना-चांदी भी निकल आता है।
नहर से निकाल नारियल बेचना अनुचित: पंडित रमनदास
पंडित रमनदास दास के अनुसार जल प्रवाह किए खाद्य पदार्थो का सेवन आमतौर पर जलीय जीव करते हैं। यदि यह बाजार में बिकते हैं तो खरीदने वाले अनजान हैं। वे तो इसका भुगतान कर खरीदते हैं। जो शख्स नहर से इन वस्तुओं को निकालकर बेच रहा है वह अनुचित कर रहा है। नहर से निकालकर नारियल का सेवन करने से शारीरिक दृष्टि से कोई नुकसान नहीं होता, पर मान्यता के अनुसार ईष्ट को अर्पित करने के बाद जल प्रवाह की गई किसी भी वस्तु का प्रयोग करना वर्जित है।
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