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लोकसभा चुनावः आदमपुर के विधायक पवन टीनू पर दोबारा दांव खेल सकता है अकाली दल

सियासी जानकारों का कहना है कि टीनू जालंधर से शिअद के उम्मीदवार के तौर पर फाइनल हो सकते हैं। पार्टी हाईकमान के बार-बार कहने पर चुनाव लडऩे को तैयार हो सकते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 10:15 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 10:15 AM (IST)
लोकसभा चुनावः आदमपुर के विधायक पवन टीनू पर दोबारा दांव खेल सकता है अकाली दल
लोकसभा चुनावः आदमपुर के विधायक पवन टीनू पर दोबारा दांव खेल सकता है अकाली दल

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। अरसे से जालंधर में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) आगामी लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से आदमपुर के विधायक पवन कुमार टीनू पर दांव खेल सकता है। दो बार विधायक, पार्टी प्रवक्ता एवं विधानसभा में चीफ व्हिप के तौर पर काम कर रहे पवन कुमार टीनू पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों की सूची में शामिल हैं और पार्टी के लिए जालंधर से एकमात्र उम्दा विकल्प के तौर पर नजर आ रहे हैं।

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शिअद हाईकमान पिछले कुछ समय से पवन कुमार टीनू को लोकसभा चुनाव लडऩे के लिए राजी कर रही थी, लेकिन टीनू हामी नहीं भर रहे थे। बीती 5 फरवरी को सुखबीर बादल ने आदमपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत भोगपुर में वर्करों से मुलाकात की थी। शनिवार को ही यूथ अकाली दल की बागडोर संभाल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने गोराया में रैली की है। इन दोनों ही आयोजनों के दौरान पार्टी हाईकमान की तरफ से पवन कुमार टीनू को चुनाव लडऩे के लिए कहा गया है। शुरुआत में टीनू ने लोकसभा चुनाव लडऩे से इन्कार ही किया था, लेकिन पार्टी के अंदरूनी मामलों से वाकिफ जानकारों का कहना है कि टीनू जालंधर से शिअद के उम्मीदवार के तौर पर फाइनल हो सकते हैं। पार्टी हाईकमान के बार-बार कहने पर चुनाव लडऩे को तैयार हो सकते हैं।

अनुसूचित जाति के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं टीनू

पवन कुमार टीनू ने पिछला लोकसभा चुनाव भी अकाली दल की टिकट पर लड़ा था लेकिन कांग्रेस के चौधरी संतोख सिंह से पिछड़ गए थे। शायद शिअद हाईकमान की तरफ से पवन कुमार टीनू को उम्मीदवार बनाए जाने की ठोस वजह यह भी है कि बीते कई वर्षों के दौरान पवन कुमार टीनू ही ऐसे अकाली नेता हैं, जिन्होंने अनुसूचित जाति बहुल जालंधर में दलितों से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। पोस्टमैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम को लेकर टीनू ने पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को साथ लेकर धरने दिए और विधानसभा तक इस मसले को प्रमुखता से उठाया। यह ऐसा मसला है, जिसे लेकर तमाम अनुसूचित जाती समुदाय सरकार के खिलाफ है और राहत चाहता है। इसके अलावा उनके अन्य मामलों में भी टीनू ने लगातार सक्रियता दिखाई है।

उम्मीदवार बने टीनू तो पार्टी को नहीं करना पड़ेगा ज्यादा होमवर्क

अगर पवन कुमार टीनू पार्टी हाईकमान की सोच के मुताबिक उम्मीदवार बनने की हामी भर देते हैं तो जालंधर लोकसभा क्षेत्र से शिअद ही उम्मीदवार फाइनल कर लेने वाली पहली पार्टी बनेगी। टीनू के उम्मीदवार बनने पर पार्टी हाईकमान समेत टीनू को भी कोई भारी होमवर्क करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि 5 वर्ष पहले ही वह लोकसभा क्षेत्र की नब्ज टटोल चुके हैं। टीनू के शिअद के उम्मीदवार बनने से जालंधर में होने वाले चुनावी रण के रोचक हो जाने की संभावनाएं प्रबल होती दिखाई दे रही हैं क्योंकि इस बार टीनू एक अनुभवी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे। इसे हलके में लेना कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए मुनासिब नहीं होगा।

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